Gorakhpur News : मरने वाले पर भी केस दर्ज करती है गोरखपुर पुलिस...
गोरखपुर (ब्यूरो)।गोला एरिया में खौफनाक घटना को अंजाम देकर सुसाइड करने वाले इंद्र बहादुर मौर्य पर सोमवार को हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। मृतक के साले विनोद मौर्य की लिखित तहरीर पर गोला थाने में केस दर्ज किया गया है। सोमवार को हत्यारे पति की भी चिता पत्नी और दोनों बच्चों के साथ ही जली।शनिवार की देर रात हुई घटना
शनिवार की देर रात इंद्र बहादुर ने अपनी पत्नी सुशीला देवी और दो बच्चे चांदनी और आर्यन की चाकू से मारकर हत्या कर दी। इसके बाद खुद को भी आग के हवाले कर इंद्र बहादुर ने सुसाइड कर लिया। इस मामले में मृतका सुशीला के भाई विनोद मौर्य की तहरीर पर मृतक पर मुकदमा दर्ज हुआ है। तहरीर में विनोद मौर्य ने लिखा है कि इंद्र बहादुर जुआ खेलने का आदी था। मेरी बहन जुआ खेलने से मना करती थी। जिससे हमेशा झगड़ा होता था। 5 फरवरी 2023 को मेरे बहनोई इन्द्र बहादुर मौर्य ने मेरी बहन सुशीला देवी, बच्चे आयर्न और चांदनी की चाकू मारकर हत्या कर दी। इसके बाद आग लगाकर सुसाइड कर लिया। एक साथ जली चार चिताएं
सोमवार को चारों शव पोस्टमॉर्टम के बाद गोला के देवकली पहुंचा। जिसके बाद एसडीएम रोहित कुमार मौर्य, सीओ जगतराम कन्नौजिया, कोतवाल बड़हलगंज जयनारायण शुक्ला, थानाध्यक्ष गोला अश्वनी कुमार तिवारी समेत पुलिस बल की मौजूदगी में चारो शव का सरयू तट पर अंतिम संस्कार किया गया। हत्यारे मृतक इंद्र बहादुर के भतीजे अभिषेक मौर्य ने चारों शव को मुखाग्नि दी। भाई नहीं आया, बेटे को भेजा घरमौत के बाद तो इंद्रबहादुर का छोटा भाई जयबहादुर गांव नहीं आया। उसने अपने बेटे अभिषेक मौर्य को गांव भेज दिया। अभिषेक के गांव पहुंचते इस मामले में एक और नया मोड़ सामने आया है। अभिषेक ने पुलिस को एक और लिखित तहरीर सूदखोरों के खिलाफ दी है। भतीजे अभिषेक ने लिखा है कि इस सामूहिक हत्याकांड से पहले इस गांव के सूदखोरों से परेशान होकर मेरे पिता जय बहादुर मौर्य गांव छोड़कर 3 साल पहले लापता हो गए। मेरे गांव के संदीप मौर्य ने मेरे पिता को सूद पर रुपए दिया था। जिसके ब्याज के एवज में उसने मेरे पिता के हिस्से का खेत और जमीन रजिस्ट्री करा ली। जबकि, उस जमीन का शेष बकाया 15 लाख रुपए भी संदीप मौर्य ने अब तक नहीं दिया। विजय और संदीप हड़पना चाहते थे चाचा की जमीन
मेरे चाचा इंद्र बहादुर सिंह को इसी गांव के विजय प्रताप सिंह, संदीप मदृदेशिया ने सूद पर रुपए दिए थे। जिसका ब्याज नहीं चुका पाने पर वह सभी चाचा को प्रताडि़त कर रहे थे। सूदखोर चाहते थे कि पिता की तरह मेरे चाचा भी अपने हिस्से की जमीन और खेत उनके नाम रजिस्ट्री कर दें।