Gorakhpur News: गेट न. 2 के पास दो घंटे पड़ा रहा मरीज, नहीं
गोरखपुर (ब्यूरो)। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और बाद में गार्ड ने इमरजेंसी डॉक्टर और पुलिस को सूचना दी। आनन-फानन स्ट्रेचर से गार्ड उसे इमरजेंसी वार्ड में लेकर पहुंचे, लेकिन उसकी मौत हो गई।
जानकारी के मुताबिक, चौरीचौरा इलाके के मीठाबेल नई बाजार निवासी राजेश यादव (42) अपनी पत्नी वंदना देवी उर्फ उषा (38) के साथ रामगढ़ताल इलाके के मंझरिया में रहते थे। पत्नी को रीढ़ की हड्डी में दिक्कत है, इस वजह से अचानक बेहोश हो जाती है। गरुवार की सुबह वंदना अचानक बेहोश गई और उसे पति राजेश लेकर एम्स की इमरजेंसी में पहुंचे थे। पत्नी को भर्ती कराने के बाद 11.30 बजे दवा लेने के लिए बाहर जा रहे थे। तभी वे धूप से चक्कर खाकर गेट नंबर दो के पास गिर गए। किसी की नजर नहीं पड़ी, फिर एक दवा के एजेंट ने दोपहर 1.50 बजे गार्ड को बेहोश युवक के पड़े होने की जानकारी दी। आनन फानन लेकर इमरजेंसी में गए, लेकिन कुछ ही देर में मौत हो गई। राजेश दो बेटों के पिता थे। बड़ा बेटा काजू व छोटा बेटा धन्यजय बाहर रहकर मजदूरी करता है। एक बेटी भी है। इस सम्बंध में एम्स के इंस्पेक्टर संजय सिंह ने कहा कि मौत होने की सूचना मिली है मृतक के घर पर सूचना दे दी गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा है।साढ़े तीन घंटे डाउन रहा सर्वर, मरीज हलकानअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में गुरुवार को सर्वर डाउन होने से साढ़े तीन घंटे मरीज परेशान रहे। उमस भरी गर्मी में पर्चा बनने वाले हॉल की सेंट्रल एसी भी दगा दे दी गई। इसका असर यह हुआ कि गर्मी में मरीज उबलने लगे। आनन-फानन में सूचना कार्यकारी निदेशक तक पहुंची तो उन्होंने व्यवस्था करने के निर्देश दिए। तब जाकर किराए पर कई टेबल पंखे लाए गए और मरीजों को राहत मिली।
तीमरदारों के अनुसार, गुरुवार की सुबह आठ बजे जब ऑनलाइन काउंटर खुला तो सर्वर काम नहीं कर रहा था। धीरे-धीरे काउंटर पर लाइन बढ़ती गई। लेकिन, सर्वर काम करना नहीं शुरू हुआ। इस पर मरीजों ने हो-हल्ला शुरू किया तो उन्हें बताया गया कि सर्वर ठप है। इसके बाद मैनुअल पर्चा बनाने की बात मरीजों और तीमारदारों ने कही। लेकिन, कोई असर नहीं हुआ। मरीजों ने थोड़ी सख्ती दिखाई तो मामला प्रशासनिक भवन तक पहुंचा। प्रशासनिक भवन से कार्यकारी निदेशक सहित अन्य टीम मौके पर आई। इसके बाद मैनुअल पर्चा बनना शुरू हुआ। इस बीच 11.30 बजे के आसपास सर्वर सही हुआ तो ऑनलाइन पर्चा बनाने का काम शुरू हुआ। लेकिन, तब तक 200 से अधिक मरीज जा चुके थे। बताया जा रहा है कि इस बीच दो हजार 95 मरीज देखे गए। इसमें 750 मैनुअल पर्चा बनाया गया। इधर यह परेशानी तो थी ही साथ ही एम्स की सेंट्रल एसी भी गर्मी में जवाब दे गई। इस पर मरीज और तीमारदार बिना एसी के उबलने लगे। मरीजों के हो-हल्ला के बाद करीब 20 की संख्या आनन-फानन में टेबल पंखे के इंतजाम किए गए। तब जाकर मरीजों ने राहत की सांस ली। इस संबंध में एम्स के मीडिया प्रभारी सह डॉ। मुकुल सिंह ने बताया कि मरीजों की भीड़ बहुत ज्यादा थी। सुबह से सर्वर ठप होने से दिक्कत आई। लेकिन व्यवस्था बनाया गया और डॉक्टरों ने मैन्युअल पर्चा पर मरीजों को देखा।