Gorakhpur News: गोरखपुर और बस्ती मंडल में उज्ज्वला योजना से जुड़ी करीब चार लाख लाभार्थी दिवाली से पहले मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर से वंचित हो सकती हैं. इन लाभार्थियों ने अपने कनेक्शन की ई-केवाइसी नहीं कराई है.

गोरखपुर (ब्यूरो) Gorakhpur News: गोरखपुर और बस्ती मंडल में उज्ज्वला योजना से जुड़ी करीब चार लाख लाभार्थी दिवाली से पहले मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर से वंचित हो सकती हैं। इन लाभार्थियों ने अपने कनेक्शन की ई-केवाइसी नहीं कराई है। इस कारण नेशनल पेमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआइ) की वेबसाइट पर लाभार्थी के बैंक अकाउंट से जुड़ी सूचना नहीं दर्ज को सकी है। एनपीसीआइ के माध्यम से ही लाभार्थियों के बैंक खाते में सब्सिडी की राशि भेजी जाती है। इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड, ङ्क्षहदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड ने उज्ज्वला योजना में लाभार्थियों का कनेक्शन जारी किया है। कंपनियों को अलग-अलग लक्ष्य दिया गया था। कनेक्शन जारी करने के साथ ही चूल्हा और सिङ्क्षलडर दिए गए थे। इन सिङ्क्षलडर को रिफिल कराने के बाद सब्सिडी की राशि लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजी जाती है। वर्तमान में 14.2 किलोग्राम भार के नान सब्सिडी रसोई गैस सिङ्क्षलडर की कीमत 965 रुपये है। उज्ज्वला योजना की लाभार्थियों को केंद्र सरकार की ओर से 350 रुपये सब्सिडी दी जाती है। सिङ्क्षलडर लेते समय लाभार्थी को 965 रुपये देने होते हैं। बाद में सब्सिडी की राशि बैंक खाते में आ जाती है। प्रदेश सरकार ने दीपावली से पहले उज्ज्वला योजना की लाभार्थियों को मुफ्त सिङ्क्षलडर देने की घोषणा की है। इसमें सिङ्क्षलडर लेने वाली लाभार्थी के बैंक खाते में केंद्र सरकार 350 रुपये और प्रदेश सरकार 615 रुपये भेजेगी। सिङ्क्षलडर लेने के पांच दिन के भीतर सब्सिडी की राशि आ जाती है।

उज्ज्वला योजना की लाभार्थियों को ई-केवाईसी के साथ ही एनपीसीआइ की वेबसाइट पर पंजीकरण जरूर करा लेना चाहिए। यह अनिवार्य है।
रामेंद्र प्रताप ङ्क्षसह, जिला पूर्ति अधिकारी

ओटीपी देने पर देंगे सिङ्क्षलडर


रसोई गैस सिङ्क्षलडर की डिलीवरी के लिए पहुंचे हाकर को उपभोक्ता के मोबाइल नंबर पर आया ओटीपी अनिवार्य रूप से देना है। इस ओटीपी को दर्ज करने के बाद सिङ्क्षलडर की डिलीवरी की प्रक्रिया पूरी होगी। इसके बाद नान सब्सिडी रसोई गैस सिङ्क्षलडर के उपभोक्ताओं के बैंक खाते में सब्सिडी की राशि 59.05 रुपये आ जाती है। यह व्यवस्था पिछले वर्ष से लागू है लेकिन, उपभोक्ता ओटीपी देने में आनाकानी करते हैं। जबकि सिङ्क्षलडर की बुङ्क्षकग कराने के साथ उपभोक्ता के मोबाइल नंबर पर ओटीपी आ जाता है। आयल कंपनियों के अधिकारी ओटीपी देने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive