Gorakhpur News: चौपट हुई ई-बस सेवा, नगरी में भटक रहे पैसेंजर
गोरखपुर (ब्यूरो)। निर्धारित रूटों पर बसें न चलने से पैसेंजर्स को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है या एक बार फिर ऑटो या ई-रिक्शा के सहारे हैं। इसके चलते प्रतिदिन 1.50 लाख रुपए का नुकसान भी ई-बस संचालन समिति को उठाना पड़ रहा है। महेसरा इलेक्ट्रिक डिपो में बची 5 बसों में से सिर्फ 3 बसों का संचालन सहजनवां और एक बस का संचालन कौड़ीराम रूट पर हो रहा है। वहीं, सिटी के विभिन्न रूटों पर ई-बसों की पहिया थम गया है। नहीं मिली बस, ऑटो बने सहारा
बुधवार दोपहर करीब 1 बजे 12वीं का छात्र अक्षम गोलघर में इलेक्ट्रिक बस स्टॉपेज पर ई-बस का इंतजार कर रहा था। उसे मेडिकल कॉलेज जाना था, लेकिन करीब आधा घंटा तक बस का इंतजार करने के बाद भी बस नहीं आई तो अक्षम पैदल ही आगे बढ़ गया। इस दौरान उसने बताया कि अब धर्मशाला जा रहा हूं। वहां से ऑटो पकड़कर मेडिकल कॉलेज जाऊंगा। तीन बजे मोहद्दीेपुर चौराहे पर राम प्रवेश को पत्नी को डॉक्टर के यहां दिखाने सूबा बाजार जाना था। इसके लिए वह इलेक्ट्रिक बस के इंतजार में खड़े थे, लेकिन जब 20 मिनट के बाद भी बस नहीं आई तो वह ऑटो से सूबा बाजार निकल गए। 5 बसें बचीं, इनमें एक खराब
बेड़े में सिर्फ पांच ई-बसें बची हैं। इसमें से एक ई-बस पिछले कई दिनों से खराब है। इसके मेंटेनेंस के लिए सिटी बस संचालक समिति की ओर से प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेजा गया। पाट्र्स नहीं आने के चलते बस की मरम्मत नहीं हो पाई। रूरल एरिया की बड़ी कनेक्टिविटी 18 जनवरी के पूर्व शहर में 25 ई-बसों का संचालन हो रहा था। इन बसों का संचालन कई रूटों पर होता था। पिपराइच, भटहट, एम्स, एयरपोर्ट, इंजीनियरिंग कॉलेज और अन्य रूटों पर हजारों की संख्या में पैसेंजर सफर कर रहे थे। देहात से शहर में आने और शहर से देहात में जाने के लिए ज्यादातर लोग इन इलेक्ट्रिक बसों का इस्तेमाल कर रहे थे। अब तक नहीं आईं 75 बसें वर्तमान में जिले में 25 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो रहा था। जिम्मेदारों ने दावा किया था, जनवरी में 75 नई इलेक्ट्रिक बसें बेड़े में शामिल हो जाएंगी। लेकिन ये बसें अब तक नहीं आई। बसें अयोध्या जाने के बाद पैसेंजर्स की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। पर्यटक बसें भी खड़ीं
महेसारा डिपो में एक साल से मरम्मत के लिए दो पर्यटक इलेक्ट्रिक बसें खड़ी रर्हं। अब जब मरम्म्त हो गई और चलने लायक हो गईं। फिर भी बसों का संचालन नहीं हो सका है। विभागों की खींचतान में बसों का बीमा तक नहीं हो रहा है। स्कूल और कॉलेज खुल गए हैं। दूसरी तरफ बस का संचालन बंद होने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यूनिवर्सिटी जाने के लिए कई जगहों पर ऑटो बदलना पड़ता है। राखी दुबे, स्टूडेंट हम स्टूडेंट्स के लिए एक मात्र सहारा ई-बस थी। लेकिन इधर इलेक्ट्रिक बस का संचालन बंद होने से प्रॉब्लम होती है। ऑटो वाले अधिक किराया भी वसूल कर रहे हैं। प्राची सिंघानिया, स्टूडेंट हमें यूनिवर्सिटी आने के लिए इलेक्ट्रिक बस पकडऩी थी, लेकिन बस नहीं मिल रही है। ऑटो से जाने पर दो जगह ऑटो बदलना पड़ता है। बस मिल जाती तो सहुलियत होती। आदित्य तिवारी, स्टूडेंट कई दिनों से बस नहीं मिल रही है। इससे काफी परेशानी हो रही है। कई जगहों पर ऑटो बदलकर गंतव्य तक जाना पड़ रहा है। इसमें समय भी बर्बाद हो रहा है। वैभव मिश्रा, स्टूडेंट
गोरखपुर की 20 ई-बसों का संचालन अयोध्या में हो रहा है। पांच बसों में दो सहजनवां और दो कौड़ीराम रूट पर संचालित की जा रही है। पीएम ई योजना तक तहत 75 बसें मिलने वाली थीं, लेकिन अभी तक नहीं मिली हैं। अयोध्या से बसें आने के बाद अन्य रूटों पर संचालन किया जाएगा। लव कुमार सिंह, कार्यपालक अधिकारी, सिटी ई-बस संचालन समिति