डीडीयू को ग्रीन कैंपस बनाने के लिए शुरू किए गए स्टार्टअप जीरो वेस्ट सेंटर पर अब ताला लग चुका है. यूनिवर्सिटी में इसकी स्थापना कूड़ा निस्तारण के साथ ही आय अर्जित करने के उद्देश्य से की गई थी लेकिन बीते कई महीनों से यह घाटे में चल रहा था.


गोरखपुर (ब्यूरो)। डीडीयू को ग्रीन कैंपस बनाने के लिए शुरू किए गए स्टार्टअप (जीरो वेस्ट सेंटर) पर अब ताला लग चुका है। यूनिवर्सिटी में इसकी स्थापना कूड़ा निस्तारण के साथ ही आय अर्जित करने के उद्देश्य से की गई थी, लेकिन बीते कई महीनों से यह घाटे में चल रहा था। वहीं, यूनिवर्सिटी से निकलने वाले कूड़े की मात्रा इतनी कम थी कि उससे व्यापार संभव नहीं था। इसके चलते फरवरी 2024 में इसपर पूरी तरह से ब्रेक लग गया। जिम्मेदारों की मानें तो इसके विफल होने की मुख्य वजह अप्रशिक्षित लोगों के माध्यम सेंटर का संचालन करना है। पूर्व वीसी प्रो। राजेश सिंह के कार्यकाल में काफी प्रयासों के बाद जीरो वेस्ट सेंटर शुरू किया गया था। नैक मूल्यांकन में भी इसके एवज में यूनिवर्सिटी को माक्र्स मिले थे।


वहीं, यूनिवर्सिटी के बॉटनी और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स भी इस सेंटर का यूज प्रैक्टिकल लैब के तौर पर करते थे, लेकिन इसके बंद होने से अब उनकी उम्मीदों पर भी झटका लगा है।

दरअसल, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नई व्यवस्था के तहत नगर निगम के साथ एमओयू साइन कर कैंपस के कूड़ा निस्तारित की जिम्मेदारी सौंप दी है। अब निगम की गाडिय़ां कैंपस का कूड़ा इक_ा कर निस्तारण केंद्र तक ले जाती हैं। इस व्यवस्था के शुरू हो जाने के बाद जीरो वेस्ट कैंपस के संचालन की जो आस बची भी थी, वह खत्म हो चुकी है। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के मुताबिक जीरो वेस्ट कैंपस की जरूरत के हिसाब से वेस्टेज नहीं निकल रहा था, जबकि हकीकत यह है कि सेंटर बंद होने के बाद जीरो वेस्ट कैंपस के मेन गेट पर ही कूड़े का देर लग गया है। जीरो वेस्ट सेंटर में बनती थी आर्गेनिक खादसाल 2021 में शुरू हुए इस स्टार्टअप में पेड़ों से गिरने वाले पत्तों को सुखाकर ऑर्गेनिक खाद बनाई जाती थी, जिसे यूनिवर्सिटी के साथ ही आसपास की नर्सरियों में देने की योजना बनाई गई थी। उद्घाटन के समय ग्रीन कैंपस इनिशिएटिव की कोऑर्डिनेटर डॉ। स्मृति मल्ल ने इससे प्रति माह 10 टन खाद उत्पादन की बात कही थी। इस इनिशिएटिव से कैंपस में साफ-सफाई के साथ ही कुछ लोगों को रोजगार देने के दावे भी शामिल थे। यह स्टार्टअप पूर्व वीसी के महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक था। इसे आने वाले समय में बड़े लाभ का स्रोत मानकर शुरू किया गया था।

जीरो वेस्ट सेंटर में हमलोग खाद बनाने की प्रक्रिया सीखते थे, लेकिन इसके बंद होने से अब दिक्कत हो रही है। यूनिवर्सिटी प्रशासन को इसको दोबारा शुरू करने पर विचार करना चाहिए।- सूरज सिंह, स्टूडेंट, बीएससी एजी आर्गेनिक खाद की आजकल बहुत ज्यादा मांग है। जीरो वेस्ट सेंटर में इसका प्रशिक्षण दिया जाता था। इसके बंद हो जाने से काफी निराशा हुई।- आर्यन चौधरी, स्टूडेंट, बीएससी एजीलड़कियों के लिए लैब का प्रशिक्षण ग्राउंड की अपेक्षा सुविधाजनक होता है। जीरो वेस्ट सेंटर से हमें काफी मदद मिलती थी, लेकिन अचानक इसे बंद कर दिया गया।- श्रेया यादव, स्टूडेंट, बीएससी एजीजीरो वेस्ट सेंटर में कचरा मैनेजमेंट की तकनीक भी बताई जाती थी। इससे हमें दैनिक जीवन में भी व्यवस्थित रहने का प्रशिक्षण मिलता था। सेंटर बंद होने से काफी निराशा हुई। संजू, स्टूडेंट, बीएससी एजी यूनिवर्सिटी में शुरू किया गया। जीरो वेस्ट सेंटर जिन उद्देश्यों के तहत बनाया गया था, उसे पूरा नहीं कर पाया। इसे इनकम जनरेट न होने के कारण बंद कर दिया गया है। कैंपस में कूड़ा निस्तारण के लिए नगर निगम के साथ एमओयू किया गया है, अब कूड़ा निस्तारण की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम को दे दी गई है।प्रो। शांतनु रस्तोगी, कुलसचिव

Posted By: Inextlive