Gorakhpur News: हीट वेव से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
गोरखपुर (ब्यूरो)। हीट स्ट्रोक एक गंभीर समस्या है, जिसमें शरीर का टेम्प्रेचर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि हीट स्ट्रोक से दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है। जब शरीर अपने आप को ठंडा रखने में नाकाम हो जाता है, तब शरीर में पानी की बहुत कमी हो जाती है और ये एक खतरे की घंटी है। यूथ भी हो रहे शिकार
ब्रेन स्ट्रोक अब बुजुर्गो को ही नहीं बल्कि यूथ भी बड़ी संख्या में इसके शिकार हो रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक के केसेज में 20 से 30 परसेंट ऐसे मरीज होते हैं, जिनकी उम्र 40 साल से कम हैं। गोरखपुर की बात करें तो यहां भी डेली आने वाले 40 से 50 ब्रेन स्ट्रोक के केसेज में करीब 30 परसेंट यगेस्टर ही होते हैं। इसका मुख्य कारण नशे की लत, खराब लाइफस्टाइल और जागरूकता का अभाव है। ब्लड वेन्स में सिकुडऩ या क्लाटिंग के कारण दिमाग में ब्लड का प्रवाह कम हो जाता है। जब दिमाग के अंदर धमनियां फट जाती हैं तो हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज कहते हैं। टेम्प्रेचर को कम करने के अलावा आपको अपनी सेहत से जुड़े अन्य फैक्टर्स का भी ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है। बचाव के तरीके
- हाई रिस्क फैक्टर को जानें और बचें।
- अगर हार्ट, बीपी, शुगर या किडनी की बीमारी के मरीज हैं तो सतर्क रहें। - बीमारी को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते रहें। - सिगरेट, खैनी, गुटखा व शराब के सेवन से बचें। - मोटापा के शिकार हों तो वजन नियंत्रित रखें। दिनचर्या में एक्सरसाइज को शामिल करें। - पानी खूब पिएं तथा जंक फूड से दूरी बनाए रखें। - गर्मी में बीमारी से बचने के लिए कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें। - ज्यादा गर्मी में घर से बाहर न निकलें। - हल्के और सूती कपड़े पहनें। - भोजन में नमक व सैच्युरेटेड फैट की मात्रा सीमित रखें। लक्षण- शरीर के आधे हिस्से में कमजोरी- आधे चेहरे, एक हाथ या पैर में सुन्नपन या कमजोरी महसूस होना- हाथ-पैर का संतुलन बिगडऩा- बेहोशी आना- सिर में तेजदर्द के साथ उल्टी और चक्कर आना- भ्रम की स्थिति होना- आंख से धुंधला या डबल दिखना, निगलने में परेशानी, चाल में लडख़ड़ाहट, आवाज में तुतलाहट या बंद होना
हीट वेव और लू के चलते ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ गया है। पानी की कमी के चलते ब्लड का गाढ़ा होना मुख्य कारण है। सबसे ज्यादा इन दिनों यगेस्टर ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। पेशेंट्स को चाहिए की वह डॉक्टर्स से संपर्क कर नियमित जांच कराएं। डॉ। सौरभ श्रीवास्तव, न्यूरो सर्जन