Gorakhpur News: नहाय-खाय से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ
गोरखपुर। छठ घाटों पर पूरे दिन चहल पहल रही। श्रद्धालुओं के साथ स्वयं सेवक घाटों की व्यवस्था दुरुस्त करने में लगे रहे। महानगर के सूर्यकुंड धाम, गोरखनाथ, महेसरा घाट, राजघाट, रामघाट, रामगढ़ताल आदि स्थानों में बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा की वेदी बनाते नजर आए।
तैयार हुए अस्थायी घाटसिटी के मोहद्दीपुर, मेडिकल कॉलेज रोड स्थित विष्णु मंदिर, गीता वाटिका, शाहपुर, विष्णुपुरम, बौलिया कॉलोनी, कूड़ाघाट, सूबा बाजार, बशारतपुर, रुस्तमपुर, राप्तीनगर, जाफरा बाजार, सहारा इस्टेट, बिछिया, सिविल लाइंस, पादरी बाजार, असुरन चौक आदि इलाकों में लोगों ने घरों के आगे अस्थायी घाट बनाकर तैयार किए हैं। कोसी भरने की तैयारी
घर में किसी मांगलिक आयोजनया किसी मन्नत के पूरा होने के बाद व छठ पर कोसी भरी जाती है। सिटी के विभिन्न कॉलोनियों और मोहल्लों के घरों में कोसी भरने की तैयारी है। इसे लेकर इन परिवारों में जोरों से तैयारी चल रही है। घर पर कोसी भरने में उपयोग में लाया जाने वाला मिट्टी का हाथी, कलश, दीये, गन्ना, फल आदि सामान जुटाने में लोग लगे रहे। घरों की साफ-सफाई भी की जाती रही।
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, मान्यता है कि भगवान सूर्य और माता छठ को समर्पित छठ व्रत का शुभारंभ रामायण काल से हुआ। माता सीता ने इस व्रत को अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए किया था। द्रोपदी के छठ व्रत के परिणाम स्वरूप पांडवों को राजपाट वापस मिला था।
ज्योतिर्विद मनीष मोहन के अनुसार, छठ व्रत रोगों से मुक्ति, संतान के सुख और समृद्धि में वृद्धि के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से छठ व्रत रखने से मनोकामना जरूर पूरी होती है। जिसकी मनोकामना पूरी होती है, वह कोसी भरते हैं। बहुत से लोग घाटों पर दंडवत पहुंचते हैं। खरना आज
इस दिन पंचमी तिथि का मान संपूर्ण दिन और और रात को 9,बजकर 36 मिनट तक, पश्चात षष्ठी तिथि, इस दिन मूल नक्षत्र प्रात:काल 9 बजकर 23 मिनट तक पश्चात पूर्वाषाढ़ नक्षत्र रहेगा। सुकर्मा योग दिन में 10 बजकर 13 मिनट पश्चात धृति नामक योग है। यह सूर्य षष्ठी व्रत का द्वितीय दिवस रहेगा। ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, व्रती महिलाएं बुधवार को निर्जल खरना व्रत रखेंगी। शाम को स्वच्छ स्थान पर चूल्हे को स्थापित कर अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर से पूजा करेंगी। आटे से रोटी और साठी के चावल से खीर बनाएंगी। इसके बाद खरना किया जाएगा। यही रोटी और खीर खाने के बाद छठ व्रत शुरू हो जाएगा, जो सोमवार को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद संपन्न होगा।