Gorakhpur News: छठ पर्व: खरना के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जल उपवास
गोरखपुर। बुधवार को दिनभर निर्जल उपवास रखने के बाद शाम को व्रतियों ने चूल्हे को स्थापित किया। अक्षत, धूप, दीप और सिंदूर से इसकी पूजा की। प्रसाद के लिए रखे आटे से रोटी और साठी के चावल की खीर बनाई। वहीं पर खरना अनुष्ठान किया। बुधवार को पूरे दिन छठ घाटों पर पर्व की तैयारियां जोर-शोर से चलती रही।
गुरुवार को डाला छठ है। इस दिन षष्ठी तिथि का मान संपूर्ण दिन और रात को 9 बजकर 1 मिनट तक पश्चात सप्तमी तिथि है। धृति योग और धाता नामक औदायिक योग है। दिन सायंकालीन अघ्र्य शाम 5 बजकर 29 मिनट पर दिया जाएगा। ज्योतिर्विद मनीष मोहन के अनुसार, इस दिन व्रती दिनभर व्रत रखकर अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगी। शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को तालाब या नदी में अघ्र्य देंगी। अघ्र्य देने के बाद सूपों में रखा सामान भगवान सूर्य और माता षष्ठी देवी को अर्पित किया जाता है।
शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिनों के छठ महापर्व का समापन हो जाएगा। इस दिन आनंद नामक नामक औदायिक योग है। इस प्रकार सूर्य षष्ठी का महापर्व सुकर्मा योग से प्रारंभ होकर आनंद योग में समाप्त हो रहा है। यह अत्यंत मंगलकारी है। पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, इस दिन व्रती ब्रह्म मुहूर्त में नई अघ्र्य सामग्री लेकर जलाशय में खड़ी होकर अरुणोदय की प्रतीक्षा करेंगी। जैसे ही क्षितिज पर अरुणिमा दिखाई देगी, वह मंत्रोच्चार के साथ भगवान सूर्य को अघ्र्य देंगी। इसके बाद वह व्रत का पारण करेंगी।
गुरुवार-अस्ताचलगामी अघ्र्य: शाम 5:29 बजे
शुक्रवार-उगते सूर्य को अघ्र्य: सुबह 6:32 बजे छठ माता की प्रतिमाएं स्थापित
कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बुधवार को सिटी में विभिन्न स्थानों पर छठ माता की प्रतिमाओं की स्थापना भक्तिभाव से की गई। सायंकाल पूजा-अर्चना कर प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की गई। पट खुलने के बाद दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की भीड़ रही। छठ पूजा के बाद प्रतिमाओं को राप्ती नदी के राजघाट तट पर बने कृत्रिम तालाबों में विसर्जित कर दिया जाएगा।
बाजारों में उमड़ी भीड़
गोरखपुर। छठ पूजन सामग्रियों की खरीदारी के लिए बाजारों में बुधवार देर रात तक खरीदारों की भीड़ उमड़ी रही। फल, सब्जी, दउरा, सुपली, मिट्टी के बर्तन आदि की दुकानें खरीदारों की भीड़ से पूरे दिन गुलजार रहीं। पर्याप्त मात्रा में पूजन सामग्री होने के बावजूद दुकानदारों ने सामान महंगा बेचा।
सिटी में बने अस्थायी घाट
छठ पूजा के लिए महानगर के असुरन चौक, विष्णुपुरम, बशारतपुर, राजघाट, गोरखनाथ, मानसरोवर, सूर्यकुंड, डोमिनगढ़, रामगढ़ताल, विष्णु मंदिर, राप्तीनगर, रुस्तमपुर, बिछिया, सहारा इस्टेट और खरैया पोखरा के साथ तमाम मोहल्लों में अस्थायी घाट बनाए गए हैं।
बिहार से आकर गोरखपुर में छा गया छठ महापर्व
गोरखपुर। छठ महापर्व की शुरुआत वैसे तो बिहार से हुई, लेकिन अब यह पर्व देश ही नहीं विदेशों तक पहुंच गया है। गोरखपुर में छठ 60 से 70 के दशक में रेलवे के कर्मचारियों-अधिकारियों के परिवारों के माध्यम से गोरखपुर में आया और छा गया। उस समय पूर्वोत्तर रेलवे में बिहार के लोग बहुतायत तैनात थे। उनके परिवारों ने इस व्रत को शुरू किया। बौलिया रेलवे कॉलोनी के शिव मंदिर के पास स्थित पोखरे से शुरू हुई छठ पूजा अब सिटी में कितना विस्तार ले चुकी है, वर्तमान में घाटों पर उमडऩे वाली श्रद्धालुओं की भीड़ इसकी गवाही देती है। बौलिया रेलवे कॉलोनी से हुई शुरुआत
जानकारों की मानें तो छठ पूजा गोरखपुर पहली रेलवे की बौलिया रेलवे कॉलोनी स्थित प्राचीन शिव मंदिर के पोखरे पर हुई थी। श्रद्धालुओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी और आज सिटी में 500 से अधिक घाटों पर यह पर्व पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे भी श्रद्धालु हैं, जो अपने घर या आसपास कृत्रिम तालाब बनाकर विधि-विधान से पूजा करते हैं।