मौसम का ठंड और नम मिजाज लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ाने लगा है. वहीं नियमों की अनदेखी कर चल रहे निर्माण कार्य लोगों को परेशान कर रहे हैं. हालत यह हो गई है कि अब इस आबोहवा में सांस लेना भी दूभर होने लगा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।सड़कों पर निकलने पर लोगों का दम घुटने लगा है। खासतौर पर उन इलाकों में मुश्किलें ज्यादा हैं, जहां कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहे हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो जहां इंडस्ट्रियल जोन में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार वेरी पुअर क्वालिटी में बना हुआ है। वहीं, कॉमर्शियल जोन में भी एयर क्वालिटी लगातार खराब हो रही है। अब तक मॉडरेट जोन में चल रहे रेसिडेंशियल एरिया की हवा भी खराब है। इतना ही नहीं हवा में फैले पार्टिकुलेट मैटर्स भी लगातार बढ़ रहे हैं, जिसकी वजह से दमा और अस्थमा के मरीजों की मुश्किलें बढऩे लगी हैं।तेजी से बढ़ा है पीएम 10


पॉल्युशन के ग्राफ पर नजर डालें तो यह लगातार ऊपर आ रहा है। पॉल्युटेंट और एक्युआई में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। पॉल्युशन की मॉनीटरिंग करने वाले साइंटिफिक असिस्टेंट सत्येंद्र यादव ने बताया, जलकल बिल्डिंग (कॉमर्शियल), एमएमएमयूटी (रेसिडेंशियल) और गीडा (इंडस्ट्रियल) में लगे इक्विपमेंट के जरिए 22 दिसंबर से लेकर 17 जनवरी के बीच नौ बार रीडिंग ली गई है, जिसमें रेसिडेंशियल एरिया का पॉल्युशन लेवल लगातार पुअर क्वालिटी में बना हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक आरएसपीएम-10 है, जो लगातार डेंजर लेवल की तरफ बढ़ रहा है। 22 दिसंबर को रेसिडेंशियल एरिया का एक्युआई जहां 123 रिकॉर्ड किया गया था। वहीं 16-17 जनवरी के बीच 122 बना रहा। इस बीच एक बार यह 128 के आंकड़े तक भी पहुंच गया था। नीचे ही अटके हैं पॉल्युटेंटएमएमएमएमयूटी के प्रोफेसर और एन्वायर्नमेंटलिस्ट डॉ। गोविंद पांडेय की मानें तो जिस तरह से मौसम बना हुआ है, ऐसा मौसम पॉल्युशन को बढ़ाने के लिए सहायक है। इस दौरान ऊपरी सतह में नमी हो जाने की वजह से पॉल्युटेंट की एक लेयर फॉर्म हो जा रही है, जो हवा में तैर रहे खतरनाक पार्टिकल्स को ऊपर नहीं जाने देती, जिससे यह निचली सतह पर रहकर कॉन्संटे्रशन बढ़ाते रहते हैं और पॉल्युशन का ग्राफ लगातार ऊपर होता चला जाता है। जिस कदर म्वॉयशचर में इजाफा होता है, यह प्रॉब्लम उतनी ज्यादा बढ़ती जाती है। इसलिए सर्दियों के मौसम पॉल्युशन के लिहाज से काफी क्रिटिकल होते हैं। डर्ट माइट होती है एक्टिव

मौसम के इस उठा-पटक भरे रुख की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी दमा और अस्थमा का शिकार हुए मरीजों को हो रही है। इस वक्त मौसम में फ्लक्चुएशन काफी ज्यादा होता है। ऐसे में फॉग और दबाव ज्यादा होने से पॉल्युटेंट लोवर लेवल पर पहुंच चुके हैं। इससे रेस्पीरेटरी ऑर्गन में इंफेक्शन के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं। इस दौरान डर्ट माइट भी काफी एक्टिव होती हैं, जिससे भी परेशानी हो सकती है। ऐसे बदलते मौसम में ह्यूमन बॉडी टेंप्रेचर एडजस्ट नहीं कर पाती और लोग मौसम की उठापटक की चपेट में आकर बीमार पड़ जाते हैं। क्या बरतें सावधानी?- किसी को खांसी-जुकाम हो तो वह छोटे बच्चों से दूर रहे। - बाहर निकलें तो फुल स्लीव्ज के कपड़े पहनें और हो सके तो पूरी बॉडी ढक कर चलने की कोशिश करें- बंद हेलमेट पहनकर निकलें, इससे नाक और मुंह में पॉल्युशन नहीं जाएगा, जिससे बीमारी का खतरा कम होगा।- पीने के पानी की मात्रा बढ़ा दें।- अगर बीमार हैं तो ज्यादा से ज्यादा आराम करें।- दमा के पेशेंट्स हैं तो फौरन ही डॉक्टर को दिखाएं- हाईजिन को मेनटेन करें और हाथ-पांव साफ रखें।- सीनियर सिटीजन मॉर्निंग वॉक को अवॉयड करें।कुछ यूं रहा है एक्युआई - डेट रेसिडेंशियल इंडस्ट्रियल कॉमर्शियल22 दिसंबर - 123 298 288

26 दिसंबर - 119 319 27629 दिसंबर - 127 319 28430 दिसंबर - 128 379 2882 जनवरी - 106 310 2695 जनवरी - 115 307 2749 जनवरी - 122 309 27512 जनवरी - 128 312 27316 जनवरी - 122 308 268यह है 2 जनवरी के हालात - कैटेगरी - पीएम-10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआई
आवासीय 109.69 01.56 5.67 106इंडस्ट्रियल 358.28 34.98 51.57 310कॉमर्शियल 319.45 06.76 21.25 269यह है 16 जनवरी के हालात - कैटेगरी - पीएम-10 एसओ2 एनओ2 एक्यूआईआवासीय 133.28 01.83 6.85 122इंडस्ट्रियल 356.67 35.26 53.47 308कॉमर्शियल 317.57 07.09 19.72 268यह है एक्युआई का मानक - 0-50 - मिनिमम इंपैक्ट51-100 - सेंसिटिव लोगों को सांस लेने में थोड़ा प्रॉब्लम101-200 - लंग, हर्ट पेशेंट के साथ बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत201-300 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस लेने में प्रॉब्लम301-400 - लंबे समय तक संपर्क में रहने वालों को सांस की बीमारी401 या ऊपर - हेल्दी लोगों को भी सांस लेने में दिक्कत, रेस्पिरेटरी इफेक्टइनके भी हैं मानक पीएम 10 - 60 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबएसओ 2 - 40 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबएनओ 2 - 50 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब

Posted By: Inextlive