अब स्कूलों की फीस और कॉपी-किताब ही नहीं बच्चों के पेरेंट्स को वैन का किराया भी भारी पड़ रहा है. नए सेशन से प्राइवेट वैन संचालकों ने वैन का किराया बढ़ा दिया है. वैन संचालकों की मनमानी से पेरेंट्स की जेब ढीली हो रही है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। लेकिन, उन्हें मजबूरी में बच्चों को इन्ही वैन से स्कूलों में भेजना पड़ा रहा है। वहीं जो वैन स्कूलों के बाहर से संचालित हो रहे हैं वह ज्यादातर अवैध रूप से संचालित हो रहे है। इन्होंने स्कूल वाहन के रूप में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट से परमिट भी नहीं लिया हुआ है।कई वाहन आउटडेटेड


सिटी में तमाम ऐसे लोग जिनकी वैन आउटडेटेड हो गई है, उन आउटडेटेड वैन को लोगों ने स्कूल के बच्चों को ढोने में लगा दिया है। ऐसा करके वह बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इतना ही नहीं वैन संचालक हर साल वैन के किराए में 100 से 200 रुपये की बढ़ोत्तरी कर पेरेंट्स से मोटी रकम वसूल रहे हैं। बच्चा चाहे स्कूल से एक किमी दूरी पर रहता हो या 10 किमी दूरी पर, पेरेंट्स को 1500 से 2000 रुपये के बीच किराया देना पड़ रहा है। स्कूलों के बाहर से आउटडेटेड प्राइवेट वेन खुलेआम संचालित हो रहे हैं, लेकिन न ही ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को बच्चों की परवाह होती है और न ही स्कूलों को। पेरेंट्स भी बच्चों की सुरक्षा की परवाह नहीं करते हैं। केस 1

दोपहर 12:30 बजे सिविल लाइंस स्थित स्कूलों के बाहर प्राइवेट वैन की लंबी कतार लगी हुई थी, इसमें यूपी 53 डीएम 7796, यूपी 53 एआर 4110, यूपी 53 एच 4345 सहित दर्जनों प्राइवेट वैन शामिल थी। स्कूल की छुट्टी होते ही इन प्राइवेट वैन में आकर बच्चे बैठने शुरू हो गए। ड्राइवर्स ने इन वैन में सात बच्चों की जगह पर 15 बच्चों को बैठा लिया और वहां से रवाना हो गए। इस बीच एक वैन संचालक से किराए के बारे में जानकारी ली गई तो उसने कहा कि असुरन चौक का 1800 रुपये लगेगा।केस 2 दोपहर 12:50 बजे सिविल लाइंस के कार्मल रोड पर स्कूल वैन की बड़ी संख्या में खड़ी थी। इनमें अधिकतर प्राइवेट वैन थे, स्कूल के छूटने के बाद बच्चे स्कूल से बाहर निकले और इन वाहनों में बैठ गए और वहां से घरों के लिए निकल गए। प्राइवेट वाहनों से बच्चों को ले जाने का खेल यातायात पुलिस के सामने चलता है, लेकिन वह मौन साधे रहते हैं। इसी छूट का फायदा उठाकर वह पेरेंट्स मनमाना किया वसूल रहे हैं।चल रही हैं अनफिट वैनस्कूलों के बाहर बच्चों को ले जाने के लिए जो वैन खड़ी दिखीं उनमें कई ऐसी थीं जिनकी फिटनेस समाप्त हो चुकी है। इस दौरान यूपी 53 बीटी 4788 और यूपी 53 बीटी 3179 वैन भी अनफिट मिली।

जो भी प्राइवेट या अनफिट वैन से बच्चों को ढोते हैं और मनमाना किराया वसूलते है तो यह गलत है। जांच में अगर ये वाहन बच्चे को ढोते मिले तो उनपर कार्रवाई की जाएगी।अरुण कुमार, एआरटीओ, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंटपहले मैं बच्चों को वैन से ही बच्चों को स्कूल भेजता था, लेकिन वैन में बच्चों को सुरक्षित नहीं थे, ऐसे में अब खुद ही बच्चों को स्कूल छोडऩे और लेने आता हूं।संतोष श्रीवास्तव, पेरेंट्समेरा बच्चा 12वीं में पढ़ता है, कभी भी उसे स्कूल बस या वैन से स्कूल नहीं भेजा, बच्चे इसमें सुरक्षित नहीं होते हैं। सभी को खुद ही अपने बच्चों को सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।अलका श्रीवास्तव, पेरेंट्स सरकार की स्कीम तो अच्छी है, फ्री ऑफ कॉस्ट सिविल कोचिंग की, पर ये थोड़ा शॉकिंग है कि यहां से कोई आईएएस नहीं निकला।नेहा

Posted By: Inextlive