अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स गोरखपुर में सात वर्ष की बच्ची के गाल ब्लैडर पित्त की थैली का दूरबीन विधि लैप्रोस्कोपी से आपरेशन किया गया है. गाल ब्लैडर में पथरी स्टोन के कारण बच्ची को छह महीने से पेट में तेज दर्द व उल्टी की समस्या थी. यह पहली बार है जब इतनी छोटी बच्ची का दूरबीन विधि से इस तरह का आपरेशन हुआ है.

गोरखपुर : कुछ दिन पहले स्वजन बच्ची को लेकर एम्स गोरखपुर के सर्जरी आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) में पहुंचे थे। एसोसिएट प्रोफेसर डा.मुकुल ङ्क्षसह ने परीक्षण के बाद बच्ची की जांच कराई तो गाल ब्लैडर में एक सेंटीमीटर की पथरी दिखी। आपरेशन का निर्णय लिया गया। कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रो.गोपाल कृष्ण पाल के मार्गदर्शन में डा.मुकुल ङ्क्षसह के साथ सीनियर रेजीडेंट डा.रवि प्रकाश, जूनियर रेजीडेंट डा.आदित्य और डा.तनुश्री की टीम ने आपरेशन किया। एनेस्थीसिया की टीम में विभागाध्यक्ष प्रो.विक्रम वर्धन, असिस्टेंट प्रोफेसर डा.सोनम पटेल और जूनियर रेजीडेंट डा। रिया शामिल रहीं।

गाल ब्लैडर का यह है काम


पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में यह छोटा, नाशपाती के आकार का अंग पित्त को संग्रहीत करता है। सामान्य पित्त नली के माध्यम से पित्त को छोटी आंत में छोड़ता है। यह भोजन पचने में सहायता करता है। पथरी, सूजन, संक्रमण के कारण गाल ब्लैडर ठीक से काम नहीं करता या काम करना बंद कर देता है। इस कारण सूजन, गैस, बुखार, अपच या सीने में जलन, उल्टी, पेट के ऊपरी दाएं या ऊपरी मध्य भाग में तेज दर्द, पीठ या दाएं हाथ के नीचे भी दर्द हो सकता है।


बाल चिकित्सा मरीजों में दूरबीन विधि से आपरेशन चुनौतीपूर्ण होता है। पेट में दबाव का सटीक नियंत्रण और एनेस्थीसिया की दवाओं का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना होता है। आपरेशन के तीसरे दिन बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वह भोजन कर रही है ।
डा.मुकुल ङ्क्षसह, एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जरी विभाग, एम्स गोरखपुर

Posted By: Inextlive