Gorakhpur News : गोरखपुर में 45 हजार अनफिट वाहन, राहगीरों के लिए बने काल
गोरखपुर (ब्यूरो)।समय पूरा होने के बाद भी इन वाहन मालिकों ने फिटनेस नहीं कराई है। इनमें ऑटो, ई-रिक्शा, बस, स्कूली वैन, कार और ट्रैक्टर शामिल हैं। आरटीओ के अनुसार इन वाहनों का अब रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने की तैयारी है। 1 लाख टू व्हीलर का होना है री-रजिस्ट्रेशन
आरटीओ के आंकड़ों के मुताबिक गोरखपुर जिले में 6,61,838 टू व्हीलर रजिस्टर्ड हैं। जबकि 15 साल के बाद री-रजिस्ट्रेशन न कराने वाले टू व्हीलर की संख्या 1,06,251 है। आरटीओ अधिकारियों की मानें तो इसमें से हजारों की संख्या में बाइक व स्कूटर कबाड़ हो गए हैं या चलने की हालत में नहीं हैं। ऐसे में ये वाहन हादसे का कारण तो बन ही सकते हैं। साथ ही इनका या इनकी नंबर प्लेट का दुरुपयोग अन्य वारदातों में किया जा सकता है। अगर वाहन चलने की स्थिति में नहीं है और कबाड़ हो चुका है तो भी इसकी सूचना आरटीओ को देनी होती है। आरटीओ की ओर से टू व्हीलर वाहन मालिकों को जनवरी 2023 तक का समय दिया गया है। यदि समय से री-रज्रिस्ट्रेशन नहीं कराया गया तो रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया जाएगा। सालों से फिटनेस नहीं
आरटीओ के अनुसार कोरोना के बाद नियमित समय में कामर्शियल व अधिक सीटर वाले प्राइवेट वाहनों की फिटनेस व चेक कराने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। शहर में 472 स्कूली वैन, 231 बस, 2492 ई रिक्शा समेत 45 हजार वाहन अनफिट सड़कों पर चल रहे हैं। इसके लिए आरटीओ की ओर से नोटिस भी दी गई, लेकिन वाहन मालिकों ने अपने वाहनों की फिटनेस आरआई से नहीं कराई है। रूरल में ज्यादा अनफिट वाहन आरटीओ के मुताबिक सिटी की अपेक्षा वाहनों का री-रजिस्ट्रेशन और फिटनेस न कराने वालों की संख्या आउटर में अधिक है। क्योंकि वहां ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की प्रवर्तन टीमों का मूवमेंट कम होता है। लिहाजा रूरल एरिया में बिना रजिस्ट्रेशन के स्कूटर व बाइक अधिक संचालित होती है। यहीं कंडम बसें भी आउटर में सबसे ज्यादा चलती हैं। फैक्ट एंड फीगरवाहन अनफिट वाहन कुल वाहन स्कूली वैन 472 2067प्राइवेट बस 232 940रोडवेज बसें 18 470
ई-रिक्शा 2492 5791ऑटो 10,608 25,631फोर व्हीलर 20,648 82,636टै्रक्टर 10,638 28,369 टू व्हीलर्स का री-रजिस्ट्रेशन और कॉमर्शियल वाहनों का फिटनेस नहीं कराने वालों को बार-बार नोटिस दी जा रही है। अगले महीने से अभियान चलाकर रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवाए जाएंगे। संजय कुमार झा, एआरटीओ प्रशासन