यातायात विभाग और आरटीओ डिपार्टमेंट ने नगर निगम के इन गाडिय़ों पर लगे हूटर नीली-लाल बत्ती को हटाने की बात कह रही है. वहीं नगर निगम के जिम्मेदार अफसर प्रवर्तन दल समेत अन्य अधिकारियों को हूटर लगाने की परमिशन देने की बात कह रहे हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)। एक तरफ जहां शासन के आदेश पर जिले भर में यातायात विभाग और आरटीओ डिपार्टमेंट वीआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए हूटर, नीली-लाल बत्ती हटाने के लिए अभियान चला रही है। वहीं नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी ठेके गाड़ी पर हूटर और नीली-लाल बत्ती के साथ चलते हुए दिखाई दे रहे है। हालांकि यातायात विभाग और आरटीओ डिपार्टमेंट ने नगर निगम के इन गाडिय़ों पर लगे हूटर, नीली-लाल बत्ती को हटाने की बात कह रही है। जबकि नगर निगम के जिम्मेदार अफसर प्रवर्तन दल समेत अन्य अधिकारियों को हूटर लगाने की परमिशन देने की बात कह रहा है। खैर, दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियल्टी चेक में नीली-लाल बत्ती और हूटर लगाकर चलने वाले अधिकारियों से सवाल किए जाने पर जो जवाब आए। वह बेहद चौकाने वाले रहे। जिसे पढि़ए हिमांशु पांडेय की रिपोर्ट मेंसिग्नल पर भी नहीं रुकते इनके वाहन


नगर निगम के अफसरों के वाहन सिग्नल पर रूकने की बजाया हूटर बजाते हुए तेजी से आगे बढ़ जाते हैं। ऐसे वहां खड़े लोग यही कहते नजर आते हैं कि इन अफसरों के लिए कोई नियम कानून है भी या नहीं। वहीं, इस बारे में पूछने पर जिम्मेदार कहते हैं कि मेरे रहने तक ऐसा नहीं होता अगर कर्मचारी ऐसा करते हैं तो उसकी जांच की जाएगी। मोटर यान अधिनियम की नई अधिसूचना के तहत कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी के दौरान संभागीय आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और उपखंड मजिस्ट्रेट नीली बत्ती लगा सकेंगे। ये लोग बत्ती का उपयोग घर से ऑफिस के दौरान नहीं कर पाएंगे। सिर्फ कानून व्यवस्था के दौरान ही बत्ती का प्रयोग कर पाएंगे। बाकी समय बत्ती को ढंकी रहेगी। वहीं गश्ती ड्यूटी, एस्कॉर्ट, पायलेट, आपात स्थिति नियंत्रण या कानून व्यवस्था के लिए पुलिस, आबकारी, परिवहन विभाग और अग्निशमन वाहन नीली बत्ती लगा सकेंगे। बैंगनी रंग के कांच से ढ़की लाल बत्ती का उपयोग एम्बुलेंस के लिए कर सकेंगे।ये लगा सकेंगे फ्लैशर वाली लालबत्तीराज्यपाल, मुख्यमंत्री, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीश, विधानसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री।ये लगा सकेंगे बिना फ्लैशर वाली लालबत्ती विधानसभा के उपाध्यक्ष, राज्य मंत्री, एडवोकेट जनरल, उप मंत्री, मुख्य सचिव, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष।अवैध रूप से बत्ती लगाने पर कार्रवाई का नियम अवैध रूप से लाल या नीली बत्ती का उपयोग करने पर अधिकारी व कर्मचारियों विरुद्ध सीसीए नियम 17/16 के अंतर्गत कार्रवाई होती है। इसमें उन्हें सेवामुक्त करने के साथ ही उनकी वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है।हम अतिआवश्यक सेवाओं में आते हैं, इसलिए अधिकारियों की गाडिय़ों पर हूटर और बीकर लगे हैं। कई बार हमें बेहद जल्दी में सड़कों से गुजरना होता है। - गौरव सिंह सोगरवाल, नगर आयुक्तट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की संयुक्त टीम हूटर, बीकर और प्रेशर हार्न लगाने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है। नगर निगम के गाडिय़ों में जहां हूटर, बीकर और प्रेशर हार्न लगा होगा। उसकी भी चेकिंग कराई जाएगी। नियम सबके लिए बराबर है।- अरूण कुमार, एआरटीओ प्रशासन


कहीं मेहरबान तो नहीं ट्रैफिक पुलिसहूटर और बीकन लगाने पर रोक है। केवल पुलिस, एंबुलेंस, सीएम, राज्यपाल, विधान परिषद सभापति, विधान सभा अध्यक्ष और हाईकोर्ट के न्यायाधीश व मुख्य न्यायाधीश के अलावा अन्य संवैधानिक पदों के आसीन लोगों को ही हूटर और बीकन लगाने की परमिशन है। इसके अलावा किसी को भी हूटर और बीकन लगाने की परमिशन किसी को भी नहीं है लेकिन निगम अफसर सभी नियमों को ताक पर रखकर अपनी गाडिय़ों में हूटर लगाकर चल रहे हैं। सबसे ज्यादा हैरत की बात तो यह है कि एक ओर जहां ट्रैफिक पुलिस आम पब्लिक के साथ यातायात नियमों को लेकर सख्ती बरतते हुए अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है तो वहीं दूसरी ओर अफसरों पर इनकी उदासीनता बड़े सवाल खड़े कर रही है। पेश है हूटर और बीकर को लेकर हमारे रिर्पोटर और निगम अधिकारियों के बीच बात-चीत के कुछ अंशरिपोर्टर- आपके वाहन पर यूपी 53 ईजे 9998 आपका वाहन है।अधिकारी- हां वो वाहन मेरा ही है। रिपोर्टर- सर, आपके वाहन पर हूटर लगा है जबकि शासन के निर्देश के मुताबिक हूटर लगाने पर रोक है।

अधिकारी- हमें लगातार अतिक्रमण हटाने का काम करना होता है। इसलिए हूटर की जरूरत पड़ती है। (अतिक्रमण हटाने के लिए निगम का प्रर्वतन दल गठित है)रिपोर्टर- हूटर न लगाने का शासन की ओर से निर्देश है। अधिकारी- किसी को आपत्ति है तो शिकायत करे, हम हूटर हटा देंगे। रिपोर्टर- आपकी गाड़ी टेंडर के माध्यम से लगी है, इसमें हूटर आपने लगवाया है या ठेकेदार ने।अधिकारी- हमने खुद से इसे लगवाया है। हमें शहरी क्षेत्र में हूटर की जरूरत पड़ती है। रिपोर्टर- बिना हूटर के भी तो आपका काम चल सकता है तो ये हूटर क्यों। अधिकारी- हम सरकारी काम के लिए ही इसका इस्तेमाल करते हैैं। वैसे बुलाने पर पब्लिक नहीं आती लेकिन हूटर बजाकर बुलाने पर लोग आ जाते हैं।प्रर्वतन दल के अधिकारी से बातचीतरिपोर्टर- आपकी गाड़ी पर हूटर के साथ ही बीकर भी लगा है। अधिकारी- हमने इसे बैंग्लोर और इंदौर से कॉपी किया है। हमारे प्रर्वतन दल को बीकर और हूटर लगाने की परमिशन मिली है। हम इमरजेंसी की स्थिति में जाते हैं इसलिए ये जरूरी भी है। रिपोर्टर- आपको हूटर और बीकर लगाने की परमिशन किसने दी।अधिकारी- नगर आयुक्त ने ही परमिशन दी है। रिपोर्टर- आपकी गाडिय़ां निगम की हैं या ठेके की।
अधिकारी- निगम के पास कोई निजी गाड़ी नहीं है एक गाड़ी को छोड़कर। सभी टेंडर निकालकर रखी गई हैं। हमने गाडिय़ों को अपने हिसाब से मोडिफाई किया है। इसमें हमारे जवान बैठकर चलते हैं। रिपोर्टर- आपको हूटर और बीकर की आवश्यक्ता क्यों पड़ती है।अधिकारी- हमें वीआईपी रूट क्लियर करना होता है। वहीं, अतिक्रमण हटाने जाते समय इसकी जरूरत पड़ती है, नार्मल गाडिय़ों से जाने पर लोग झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। रिपोर्टर- आपके जवान तो यूनिफार्म में रहते ही हैं तो गाड़ी मोडिफाई कराने की क्या जरूरत है।अधिकारी- जवान तो यूनिफार्म में रहते हैं लेकिन गाड़ी सादी होने से लोग उलझने लगते हैं इसलिए हमने गाड़ी को भी यूनिफार्म पहना दी है। रिपोर्टर- आपकी गाडिय़ां खूब सिग्नल तोड़ती हैं। अधिकारी- मैं जब बैठा रहता हूं तो ऐसा नहीं होने देता हूं। अगर कोई साथी कर्मचारी ऐसा कर रहा है तो उसकी निगरानी की जाएगी। पेनाल्टी लगाकर इसपर रोक लगाई जाएगी।नियमों के मुताबिक ये कर सकेंगे नीली बत्ती का उपयोग Posted By: Inextlive