बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चेस्ट व टीबी रोग विभाग में जानलेवा बीमारी सीओपीडी की चपेट में पांच साल में 29 हजार से अधिक पेशेंट््स सामने आए हैं. यह चौंकाने वाला आंकड़ा है. सीओपीडी फेफड़े की बीमारी है. इससे सांस की नालियों में सूजन व सिकुडऩ आ जाती है जिससे सांस लेने में प्रॉब्लम आती है और ऑक्सीजन कार्बन डाईऑक्साइड का रक्त से आदान-प्रदान अवरुद्ध होने लगता है.

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेट्री मेडिसीन विभाग के एचओडी डॉ। अश्विनी कुमार मिश्र ने बताया कि विभाग में पांच साल में करीब 29 हजार से अधिक पेशेंट्स इस बीमारी के शिकार हुए हैं। यह आंकड़ा वर्ष 2000 में 5400, 2001 में 5670, 2022 में 5955, 2023 में 6252 और 2024 में अब तक करीब 6500 लोग सीओपीडी के मरीज देखे जा चुके हैं। विश्व में पांच करोड़ लोग और भारत में करीब 35 लाख लोग इससे ग्रसित है। इस बीमारी में फेफड़ों में जकडऩ जाती है और श्वास की नली में सिकुडऩ आ जाती है। उन्होंने बताया कि इसका इलाज कठिन एवं जटिल है लेकिन किसी विशेषज्ञ डॉक्टर के परामर्श से बीमारी नियंत्रित की जा सकती है।

बचा सकते फेफड़े


उन्होंने बताया कि बढ़ते हुए पर्यावरण के प्रदूषण एवं बीड़ी ,हुक्का या सिगरेट पीने से मरीजों में इस बीमारी का तेजी से प्रकोप हो रहा है। ऐसे मरीजों में शुरुआत में ही उपचार से फेफड़े खराब होने से बचाया जा सकता है और मरीज स्वस्थ जीवन बिता सकता है। इस बीमारी के लक्षण मुख्यत: सांस फूलना, खांसी आना ,सीने में जकडऩ दर्द एवं बुखार हो सकता है।

नॉन स्मोकर्स भी


डॉ। सूरज जायसवाल बताते हैं कि धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में पाया जाने वाला ये रोग अब कई नॉन स्मोकर्स में भी दिखने लगा है। वायु प्रदूषण और स्मॉग इसका अहम कारण है। घर पर मच्छर से बचने के लिए हम क्वॉयल का इस्तेमाल करते हैं। इसमें 100 सिगरेट के बराबर धुआं और 50 सिगरेट के जितना फार्मेल्डिहाइड निकलता है।

योग से बचाव


योग चिकित्सक डॉ। संतोष कुमार ने बताया कि कपालभाति, भुजंग आसन, नौकासन, शलभ आसन, शशांक आसन आदि से फेफड़ों की सेहत सुधारने में काफी मदद मिलती है। ये आसन सीओपीडी मरीजों के लिए काफी उपयोगी हैं।

प्रदूषण रोकें, रोज टहलें


एमडी चेस्ट डॉ। नदीम अरशद कहते हैं कि प्रदूषण पर काबू पाना सीओपीडी के प्रसार को रोकने के लिए बेहद जरूरी है। सीओपीडी मरीज रोजाना तीन से छह किलोमीटर टहलें तो रोग को बढऩे से रोका जा सकता है।

लक्षण


- सूखी या बलगम के साथ होने वाली खांसी
- गले में घरघराहट
- सांस लेने में तकलीफ जो काम करने के साथ और भी बढ़ती जाती है
- छाती में जकडऩ या खिंचाव महसूस होना
कारण
- धूम्रपान अथवा अपरोक्ष धूम्रपान
- प्रदूषित वातावरण में काम करना
- आनुवांशिक
पांच सालों में मेडिकल कॉलेज ओपीडी में पहुंचे सीओपीडी के पेशेंट्स
वर्ष सीओपीडी पेशेंट की संख्या
2000 5400
2001 5670
2022 5955
2023 6252
2024 6500

कोट
सीओपीडी बीमारी का लक्षण पता चलते ही तुरंत अपने नजदीकी सांस के डॉक्टर या पल्मनोलॉजिस्ट से मिले, जिससे की बीमारी को शुरुआत में ही रोका जा सके और उसका पूर्ण इलाज किया जा सके।
डॉ। अश्विनी कुमार मिश्र, एचओडी रेस्पिरेट्री मेडिसीन विभाग मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive