Gorakhpur News: 16 साल के बच्चे नहीं जाएंगे कोचिंग, अब खराब न होगा बचपन
गोरखपुर (ब्यूरो)। उन्हें स्कूलिंग और अनुशासन की जानकारी ही नहीं हो पा रही है। किताब छोड़ रट्टू तोते की तरह केवल एग्जाम में पास होने तक ही बच्चे सीमित हो गए थे। यह बातें स्कूल प्रबंधन और बच्चों के पेरेंट्स ने कही हैं। इन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कोचिंग सेंटर में 16 साल से कम आयु के बच्चों के नामांकन पर रोक लगाने के फैसले पर खुशी जाहिर की।शहर में 500 कोचिंगसूत्रों की मानें तो शहर में केवल 50 कोचिंग ही रजिस्टर्ड हैं। इनके अलावा करीब 500 अनियंत्रित कोचिंग यहां गली-गली चल रहे हैं। जहां पर टॉप करने और फस्र्ट पोजिशन दिलाने की गारंटी भी ली जाती है। इन कोचिंगों पर अब कार्रवाई होना तय है।मुख्य धारा में आना होगा
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी गाइड लाइन के 3 माह के अंदर सभी कोचिंग को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके साथ ही कोचिंग का शुल्क निर्धारित करना होगा। अत्याधिक शुल्क वसूलने पर एक लाख तक का जुर्माना और रजिस्ट्रेशन रद्द भी करने निर्णय लिया गया है। कोचिंग सेंटर की निगरानी के लिए अब राज्य सरकार जिम्मेदार होगी। लौटानी होगी फीस
गाइडलाइन के अनुसार विभिन्न कोर्स के लिए ट्यूशन फीस उचित होनी चाहिए और उसकी रसीद भी कोचिंग को अवेलबल करानी होनी। अगर स्टूडेंट पूरी फीस जमा कर चुका है और वह बीच में पाठयक्रम छोड़ रहा है तो उसे 10 दिन के अंदर उसकी बची फीस रिफंड करनी होगी। स्टूडेंट अगर कोचिंग के हॉस्टल में रह रहा है तो उसकी फीस भी वापस करनी होगी। साथ ही कोर्स के बीच में पढ़ाई के दौरान फीस में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। बहुप्रतीक्षित निर्णय है। 16 साल के बाद बच्चे अपना मूल्यांकन करने लायक हो जाते हैं। पेरेंट्स के प्रेशर और दोस्तों के बहकावे में आकर बच्चों का बचपन खराब हो रहा था। अजय शाही, अध्यक्ष, स्कूल एसोसिएशन गोरखपुरहम लोग बहुत दिनों से ऐसे कोचिंग के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। बच्चे 8वीं के बाद से ही स्कूल कम कोचिंग में अधिक समय देने लग रहे थे। इससे वह हर तरह से कमजोर हो रहे थे। राजीव गुप्ता, डायरेक्टर, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेजस्कूल की शिक्षा बच्चों को स्कूल में ही ग्रहण करनी चाहिए। इससे बच्चों के अंदर खुद से सीखने की इच्छा जागृत होती है। आगे चलकर यही पढ़ाई कंपटीशन में भी काम आती है।राजेश कुमार, डायरेक्टर, एकेडमिक ग्लोबल स्कूल
यह बहुत ही सराहनीय कदम है। स्कूलों में बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। कम उम्र में दोहरा प्रेशर अब कम होगा। कोचिंग की वजह से बच्चे किताब से दूर होते जा रहे थे। अब सही दिशा में जाएंगे।अनुराग त्रिपाठी, पेरेंट मैं तो शुरू से ही बच्चों को स्कूल की पढ़ाई पर ही फोकस करने को ही कहता रहा हूं। हाईस्कूल तक विद्यालय की पढ़ाई और वहां अनुशासन का पाठ सीखने को मिलता है। वह स्कूल में ही संभव है। आदित्य जायसवाल, पेरेंट गाइडलाइन का पालन कराया जाएगा। सभी कोचिंग भी इस नए नियमों परिचित हो गए होंगे। अब उन्हें नियम का पालन करते हुए कोचिंग का संचालन कराना चाहिए। आगे चलकर हम लोग चेकिंग भी करेंगे। डॉ। अश्वनी मिश्रा, क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी