- नगर निगम ऑफिस में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने में हो रहा खेल

- ऑनलाइन आवेदन करने वालों से भी भरवा रहे ऑफलाइन फॉर्म, वसूल रहे रुपए

GORAKHPUR: राज्य सरकार जहां भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए नए-नए नियम ला रही है वहीं, उसके कर्मचारी कमाई का नया रास्ता भी खोज ले रहे हैं। गवर्नमेंट ने जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दिया ताकि लोगों को सहूलियत हो। लेकिन धरातल पर यह लागू नहीं हो पा रहा है। कर्मचारी ऑनलाइन आवेदन को मानते ही नहीं हैं। लोग जब नगर निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र विभाग में प्रमाण पत्र का ऑनलाइन आवेदन लेकर जाते हैं तो कर्मचारी मैनुअल भरने को कह देते हैं। साथ ही दलाल का नाम भी बता देते हैं, जाइए, वहां भरवा लीजिएगा। और यह दलाल मैनुअल फॉर्म भरकर 200 से 500 रुपए वसूल कर लेते हैं। रोज करीब डेढ़ सौ लोग जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आते हैं।

सुविधा के बाद भी पुरानी व्यवस्था

एक साल पहले नगर निगम में कंप्यूटर से केवल मैनुअल प्रमाण पत्र बनाए जाते थे। लेकिन छह माह पहले केंद्र सरकार ने ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनाने के लिए जोर दिया। इसके बाद गोरखपुर नगर निगम में इसके लिए कवायद शुरू हो गई। कहने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू हो गई लेकिन प्रमाण पत्र मैनुअल ही जारी किए जाते रहे। इस समय स्थिति यह है कि जो लोग ऑनलाइन फॉर्म भरकर प्रमाण पत्र के लिए ऑफिस पहुंचते हैं, उनसे कर्मचारी व दलाल मिलकर फिर से मैनुअल फॉर्म भरवाने के नाम पर पैसे वसूल करते हैं।

वर्जन

जिन लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किया हैं, वे रजिस्ट्रेशन नंबर और रसीद लाकर प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं। वैसे ऑनलाइन आवेदन करने वालों का प्रमाण पत्र निकलने में कुछ देर लगता है क्योंकि सर्वर बहुत स्लो चलता है। फॉर्म के नाम पर पैसा लेना गलत है। यदि अप्लीकेंट्स कंप्लेन करें तो संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- सतीश कुमार सिंह, नगर मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी

केस नंबर 1

लालडिग्गी एरिया के रहने वाले राजेश अग्रवाल का भांजा जुलाई में पैदा हुआ। सितंबर के पहले हफ्ते में उन्होंने जन्म प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन किया। उन्होंने ऑनलाइन 20 रुपए का भुगतान भी कर दिया। एक सप्ताह बाद जब नगर निगम ऑफिस में आवेदन और शुल्क की रसीद लेकर पहुंचे तो उनसे फिर से 20 रुपए लिए गए। आनलाइन फॉर्म नहीं चलेगा। फॉर्म तो यहीं भरना पड़ेगा। वहीं दलाल तुरंत काम कराने के लिए 500 रुपए तक मांग रहे थे।

केस नंबर 2

राप्तीनगर निवासी रामायण यादव का पोता अगस्त में पैदा हुआ। उसी समय बैंक में जॉब करने वाले बेटे ने जन्म प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया। रामायण यादव जब प्रमाण पत्र लेने नगर निगम आए तो उन्हें दलालों ने घेर लिया। उन्होंने बताया भी कि ऑनलाइन आवेदन हो चुका है फिर भी दलालों ने उन्हें ऑनलाइन आवेदन न मानने की बात कहते हुए मैनुअल फॉर्म भरने के नाम पर 150 रुपए ले लिए। दलालों ने एक दिन में ही प्रमाणपत्र दे दिया।

रिपोर्टर- जन्म प्रमाण पत्र बनवाना है।

दलाल- बन जाएगा, इसमें कौन सी बड़ी बात है, फॉर्म भरवा लीजिए।

रिपोर्टर- खिड़की से फॉर्म मिला है, उसे भर भी लिया है।

दलाल- तो खिड़की से जमा कर दीजिए।

रिपोर्टर- लेकिन वह तो दशहरा के बाद बुला रहे हैं।

दलाल- आपको कब तक चाहिए?

रिपोर्टर- दो से तीन दिन में।

दलाल- तो 500 रुपए लगेगा।

रिपोर्टर- लेकिन फीस तो 20 रुपए ही है? 500 कब हो गया?

दलाल- इतनी जल्दी चाहिए तो पैसा तो लगेगा ही। आज पैसा देकर चले जाइए, कल दोपहर एक बजे तक प्रमाण पत्र लेकर जाइए।

रिपोर्टर- प्रमाण पत्र इतना जल्द मिलेगा, कहीं फर्जी तो नहीं होगा?

दलाल- प्रमाण पत्र कोई फर्जी बनाता है, कल आइए और लेकर जाइए, उसकी कहीं भी जांच करा सकते हैं।

रिपोर्टर- अगर ऑनलाइन आवेदन कर दें तो?

दलाल- कहां ऑनलाइन के चक्कर में पड़े हो भाई? ऑनलाइन आवेदन किए तो दिवाली के बाद ही प्रमाणपत्र मिलेगा। उसके बाद भी यहां आकर आपको फिर से फॉर्म भरना पड़ेगा। अब आपकी मर्जी है। आज पैसे देकर कल प्रमाणपत्र ले जाइए या ऑनलाइन के चक्कर में पड़कर दिवाली बाद तक का वेट कीजिए।

(बातचीत की रिकॉर्डिग आई नेक्स्ट के पास मौजूद है.)

Posted By: Inextlive