नगर निगम को पता नहीं, जमीन का हो गया पट्टा
- शेल्टर होम निर्माण के लिए जमीन देखने पहुंचे पदाधिकारी तो हो गया था पट्टा
- 2.08 करोड़ की योजना में 80 लाख रुपए भी मिल चुके हैं निर्माण के लिए GORAKHPUR: शासन ने नगर निगम एरिया के अंदर रह रहे गरीबों के लिए 2.08 करोड़ रुपए की एक योजना दी। इसे शुरू करने के लिए नगर निगम ने 80 लाख रुपए भी दे दिया, लेकिन जैसे काम करने के लिए मौके पर निगम की टीम पहुंची तो पता चला कि जमीन तो किसी और को पट्टा हो गई है। नगर निगम आश्चर्य में है कि उसकी जमीन, बिना उसकी जानकारी के कैसे पट्टा कर दी गई। मामले में तत्कालीन एसडीएम व अन्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। लगभग एक करोड़ की जमीननगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि इस एरिया में जमीन का रेट साढ़े तीन लाख रुपए प्रति डिस्मिल है। इस तरह देखें तो यहां निगम की 28 डिस्मिल जमीन है, ऐसे में इस जमीन की कीमत 98 लाख रुपए होती है। इस जमीन पर शहर में कम से कम दस बड़ी गलियां, छह नाले बन सकते हैं। यही नहीं नगर निगम के बजट को देखें तो पथ प्रकाश विभाग में लाइट मरम्मत का एक साल का बजट एक करोड़ रुपए होता है। पार्षद विंध्यवासिनी जायसवाल का कहना है कि यहां शेल्टर होम योजना में कुल 75 कमरे बनने थे जो गरीबों को एलॉट होते।
बॉक्स पूर्व एसडीएम पंकज वर्मा पर संदेह एक साल पहले फातिमा हॉस्पिटल के समीप नगर निगम की लगभग 28 डिस्मिल जमीन थी। जमीन निगम की होने के कारण खाली पड़ी हुई थी, नगर निगम के रेंट विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि लगभग एक साल पहले गोरखपुर सदर के तत्कालीन एसडीएम पंकज वर्मा ने इसमें खेल किया। उन्होंने जमीन को पट्टे पर कर दिया। लेकिन पट्टा किसके नाम से हुआ है, यह ना तो नगर निगम बता रहा है और ना ही जिला प्रशासन इसकी जानकारी दे रहा है। बता दें, नगर निगम की जमीन किसी और की नहीं हो सकती। इसलिए नगर निगम की जमीन को बेचने, आवंटित करने या पट्टा देने का अधिकार किसी को नहीं मिलता है। ऐसे में फातिमा हॉस्पिटल के पहले की इस जमीन को एसडीएम सदर ने कैसे पट्टा कर दिया ये सवालों के घेरे में है। वर्जननगर निगम की ओर से शेल्टर होम की योजना की स्वीकृति मिली थी। इसके लिए जमीन भी चिन्हित कर ली गई थी। लेकिन जिस जगह पर बननी थी, उसका पट्टा हो जाने की जानकारी मिली है। अब पट्टा निरस्त करने के लिए पत्र लिखा गया है।
- बीएन सिंह, नगर आयुक्त