ये पहले नहीं सोचते, जब लगती आग तब कुआं खोदने चलते..
- सर्वेक्षण टीम के आने के बाद नगर निगम ने शुरू की सफाई
- स्मार्ट सिटी में पिछड़ जाने के बाद सर्वेक्षण 2017 से भी शामिल होने की स्थिति नहीं - i next ने एक माह पहले ही नगर निगम को कर दिया था सचेत GORAKHPUR: एक कहावत है, आग लगने पर कुआं खोदना। आपने भी सुनी होगी। नगर निगम की कार्यशैली पर यह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है। निगम की इसी लापरवाही के चलते स्मार्ट सिटी में शामिल होने की दौड़ से बाहर हो चुका गोरखपुर अब सर्वेक्षण 2017 में भी शामिल होने की स्थिति में नहीं दिख रहा। हालत यह है कि सर्वेक्षण टीम शहर में जायजा ले रही है और निगम को अब सफाई की सूझी है। जबकि एक माह पहले ही आई नेक्स्ट ने इसके लिए नगर निगम को सचेत कर दिया था। बदहाल है स्थितिशहर में सफाई की स्थिति बदहाल है। नगर निगम कर्मचारी ही नहीं, अधिकारी भी अपनी ड्यूटी सही ढंग से नहीं करते। अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यशैली सुधारने के लिए आई नेक्स्ट ने पहले ही नगर निगम को सचेत किया था। साक्ष्य के रूप में कई बार मोहल्लों की गंदगी की तस्वीर पब्लिश करते हुए नगर निगम प्रशासन को आइना भी दिखाया लेकिन नगर निगम के काम में कोई बदलाव नहीं आया। स्थिति यह रही कि जब सर्वेक्षण 2017 की टीम शहर में पहुंची तो नगर निगम में खलबली मच गई। अब निगम प्रशासन चारों तरफ सफाई करने में लगा है।
कार्रवाई में भी कोताही नगर निगम के कर्मचारी जहां काम करने से जी चुराते हैं, वहीं अधिकारी कार्रवाई में कोताही करते हैं। दोनों की मिलीभगत के कारण शहर से गंदगी कभी साफ नहीं होती और पब्लिक को परेशानी होती है। हालत यह है कि सफाईकर्मियों की बड़ी फौज और भारी भरकम संसाधन के बाद भी हर तरफ मोहल्लों में गंदगी नजर आ जाती है। इसके बाद भी यह सब अधिकारियों को नहीं दिखता। कार्रवाई की स्थिति यह है कि तमाम लापरवाही के बाद भी सुपरवाइजरों के खिलाफ एक साल में 100 से अधिक जुर्माना नहीं पहुंचा है। यदि अधिकारी लापरवाही सुपरवाइजरों के खिलाफ जुर्माना काटते तो इससे निगम की आय तो बढ़ती ही, डर से सुपरवाइजर अपना काम भी सही ढंग से करते। यूरिनल के बारे में भी बताया हमनेआई नेक्स्ट ने नगर निगम की सारी कमियां उसे बताई लेकिन यह उसे रास नहीं आई। अगस्त माह में ही कई खबरें पब्लिश कर बताया कि सिटी के प्रमुख मार्केट और एरिया में कई जगहों पर पब्लिक यूरिनल नहीं है। स्वच्छ गोरखपुर बनाने चले नगर निगम के 90 प्रतिशत मार्केट में पब्लिक के लिए यूरिनल तक नहीं है। जिससे पब्लिक को मजबूरन गली या दीवार का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन इसके चार माह बीत जाने के बाद भी तमाम मार्केट यूरिनल से वंचित हैं।
पब्लिक ने भी रखी थी अपनी बात इतना ही नहीं, आई नेक्स्ट ने पब्लिक व एक्सपर्ट्स के साथ ग्रुप डिस्कशन भी कराया था। इसमें पब्लिक ने अपनी राय रखी तो एक्सपर्ट ने रास्ते सुझाए और निगम के जिम्मेदारों ने वादा किया कि सबकुछ जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। लेकिन इसके बाद भी सूरत वही रही। 'मैं भी रिपोर्टर' ने भी दिखाई तस्वीर आई नेक्स्ट द्वारा कम्युनिटी जर्नलिज्म को लेकर चलाए जा रहे 'मैं भी रिपोर्टर' कॉलम के तहत सिटी के युवाओं ने भी कई जगहों की तस्वीरें भेजी, जिसे पब्लिश किया गया। अलग-अलग मोहल्लों की इसमें स्थिति वहीं के लोगों ने बयां की। इसके बाद भी नगर निगम के जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगा। अभी तक सिटी के करीब 500 स्थानों पर गंदगी की तस्वीरें रीडर्स ने भेजी है जिनमें से अधिकतर पब्लिश की गई हैं। लेकिन इस पर भी निगम शांत पड़ा रहा। वर्जन