जब तक आपका अपनी स्थिति से जुड़ाव नहीं होगा तब तक आप अच्छे इंसान नहीं होंगे और आप अपने प्रोफेशन के साथ इमानदारी नहीं कर सकते. आजकल की पत्रकारिता ल_मार हो गई है. ऐसा क्यों हो गया है मुझे नहीं समझ आता.


गोरखपुर (ब्यूरो)।यह बातें 'जिंदगी लाइव विद ऋचाÓ तथा 'बिग हीरोजÓ जैसे शो से प्रसिद्ध ऋचा अनिरुद्ध ने शेयर कीं। ऋचा गोरखपुर लिट फेस्ट के तहत ऑर्गनाइज शब्द संवाद के दूसरे सेशन में प्रकृति त्रिपाठी से गुफ्तगू में मुखातिब थीं। इस मोटीवेशनल सेशन में उन्होंने अपने जीवन की तमाम स्मृतियों और घटनाओं को साहित्यप्रेमियों से साझा किया। उन्होंने चर्चित सॉन्ग 'जिंदगी लाइवÓ को अवार्ड मिला तब जाकर मुझे रिकॉग्नाइज किया गया। आज की पत्रकारिता का जिम्मेदार केवल मीडिया ही नहीं हम खुद भी हैं। खराब खबरों को टीआरपी हम दे रहे हैं। उडऩे वाली खबरें लोग शौक से देखते हैं। सच्ची खबरें देखना हम खुद नहीं पसंद करते हैं। मीडिया चैनल वही दिखा रहे जो हम देखना चाह रहे हैं। हम गलत देखना बंद करें तो अच्छी खबरें अच्छे शो अपने आप हमारे सामने होंगे।इनकार किया अमिताभ बच्चन से मिलना


ऋचा ने बताया कि उनका जन्म झांसी के एक सामान्य परिवार में हुआ है जहां पर लड़की और लड़के में कभी भेदभाव नहीं रहा। उन्होंने कहा कि मेरी मां का हमेशा से सपना कुछ बड़ा करने का रहा। उन्होंने सिखाया कि कुछ भी करो तो बड़ा करो शायद उसका ही प्रभाव रहा कि मैंने अमिताभ बच्चन से मिलना इनकार किया और तय किया कि जब भी मिलूंगी तो इनके इंटरव्यू के साथ मिलूंगी। ऐसा बचपन मे सोच पाई इसके पीछे मां थीं। मेरे बचपन के जमाने में टीवी कम थे न्यूजपेपर का दौर था। बचपन में ही मैं सोचा करती थी जब मेरी आखिरी सांस पूरी हो तो न्यूज पेपर में मेरा नाम हो। मुझे लोगों की बातों का कभी फर्क नहीं पड़ा। मेरे मन में शुरू से रहा कि मैं कोई काम करुंगी तो खुद का काम, मन से और स्वतंत्रता से करूंगी। अभिभावक खुद ही जिम्मेदार

उन्होंने कहा कि वह यहां बैठे युवा अभिभावक से निवेदन करेंगी कि वे अपने बच्चों को रूट से जोडऩे के लिए संगीत सिखाएं। शास्त्रीय संगीत के बारे में जानकारी दें, अच्छे साहित्य के बारे में बताएं, अच्छे साहित्यकारों से परिचित कराएं। यह बहुत बड़ी विडंबना है आजकल के बच्चे बिस्मिल्ला खां को, रविशंकर को नहीं जानते। अभिभावक यह नहीं जानते हैं कि इसके वे खुद ही जिम्मेदार हैं क्योंकि वे ही उनको ऐसा बना रहे हैं। ओटीटी जैसे प्लेटफॉर्म पर परिवार के साथ बच्चे बैठकर गालियां देख रहे हैं। यह कंटेंट उन को बाहर से नहीं हम खुद ही दे रहे हैं। ऐसा करने से मां-बाप को खुद भी बचना चाहिए और अपने बच्चों को भी बचाना चाहिए। इस अवसर पर उपस्थित साहित्यप्रेमियों ने ऋचा अनिरुद्ध से कई सवाल भी किए जिसका उन्होंने खूबसूरती से उत्तर दिया। इस सत्र का मॉडरेशन प्रकृति त्रिपाठी ने किया। संचालन डॉ। प्रियंका श्रीवास्तव ने किया।

Posted By: Inextlive