स्मार्ट सिटी की दौड़ से गोरखपुर बाहर
- सालिड वेस्ट मैनेजमेंट और वाटर चार्ज लागू न होने से डूबी लुटिया
- रेंट, टैक्स, वाटर टैक्स और सालिड वेस्ट मैनेजमेंट लागू न होने से 15वें नंबर पर पहुंचा गोरखपुर GORAKHPUR: पिछले एक माह से गोरखपुर को स्मार्ट सिटी में शामिल कराने की जुगत भिड़ा रहे अफसरों की मेहनत पर पानी फिर गया है। वेंस्डे को स्मार्ट सिटी के चयन के लिए हुई बैठक में गोरखपुर कुल 72.5 नंबर पाकर 15वें स्थान पर पहुंच गया। इस पजह से गोरखपुर स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर हो गया। अफसरों की लापरवाही और पब्लिक के टैक्स को लेकर गैरजिम्मेदाराना रवैये के चलते गोरखपुर टैक्स, रेंट और राजस्व प्राप्ति में पिछड़ गया। लटका सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट2010 में तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी की जमीन को खरीद कर नगर निगम ने सालिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम शुरू किया। 5 साल हो गए है, कभी कंपनी भागी तो कभी शासन स्तर पर मामला फंसा और प्रोजेक्ट अधर में लटक गया। अगर यह योजना शहर में चालू हो गई होती तो शायद नगर निगम को इस कैटेगरी में 10 नंबर मिल जाते, लेकिन गोरखपुर को एक नंबर भी नहीं मिला।
माननीयों के कारण कम हुए 5 नंबरगोरखपुर के 5 नंबर नगर निगम के माननीय पार्षदों के कारण कटे हैं। एक साल पहले नगर निगम बोर्ड की मीटिंग में शहर में वाटर चार्जर लगाने का प्रस्ताव रखा गया था। नगर निगम अफसरों के इस प्रस्ताव को माननीय पार्षदों ने अस्वीकार कर दिया। जिसका परिणाम यह रहा कि नगर निगम के 5 नंबर कट गए।
नगर निगम के जिम्मेदारों ने स्मार्ट सिटी के लिए कोई होमवर्क नहीं किया था। जबकि पहले ही कहा गया था कि स्मार्ट सिटी के लिए तैयारी शुरू कर दें। तैयारी न करने का परिणाम फिर से देखने को मिला। योगी आदित्यनाथ, सदर सांसद, गोरखपुर हम लोगों ने प्रयास किया था, लेकिन तकनीकी कमियों के कारण गोरखपुर का चयन नहीं हो पाया है। कई योजनाएं जो अधूरी हैं, उन योजनाओं ने शहर को स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर कर दिया है। राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त