हाईवे से जाइए तो शुक्र मनाइए कि कुछ न हो
- गोरखपुर से गुजरने वाले एनएच-एसएच पर नहीं मिलती कोई सुविधा
- एक्सीडेंट होने पर एंबुलेंस नहीं तो वारदात होने पर पुलिस नहीं केस एक: 16 मार्च 2016 की रात खजनी और सहजनवां थाना क्षेत्र के बॉर्डर पर फोरलेन से गुजर रहे कार सवार एडीओ पंचायत का एक्सीडेंट हो गया। वह काफी देर तक तड़पते रहे। लेकिन उनको कोई मदद नहीं मिल सकी जिससे उनकी जान खतरे में पड़ गई। केस दो: 15 मई 2016 को खोराबार एरिया में जगदीशपुर-कोनी मोड़ पर टैंकर पलटने से आग लग गई। राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी। गोलघर से फायर टैंकर पहुंचते-पहुंचते पूरी गाड़ी राख हो गई। ड्राइवर की जान नहीं बचाई जा सकी। केस तीन:28 जनवरी 2016 को फोरलेन पर लगातार तीन एक्सीडेंट हुए। खोराबार एरिया के रामनगर कड़जहां, कोनी और सहजनवां के पास चार वाहन टकरा गए। घायलों को तत्काल कोई प्राथमिक उपचार नहीं मिल सका। राहगीरों की सूचना पर पुलिस पहुंची तब टेंपो पर लादकर सभी को जिला अस्पताल भेजा गया।
GORAKHPUR: इन कुछ मामलों से ही गोरखपुर में पड़ने वाले एनएच की गई व्यवस्था की हकीकत सामने आ जाती है। हाईवे पर यूं तो आपातकाल के लिए सारी व्यवस्थाएं रहनी चाहिए, लेकिन यहां तो घायल होने पर एंबुलेंस नहीं मिलता और वारदात होने पर पुलिस नहीं पहुंच पाती। ऐसे में, दोनों ही हालात में हाईवे पर क्या हालत होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। हद तो तब हो जाती है जब इन सारी अव्यवस्थाओं के बावजूद एनएचएआई और पुलिस विभाग के जिम्मेदार खुद की मुस्तैदी का ही दावा करते हैं।
किससे, कहां करें शिकायत गोरखपुर से होकर गुजरने वाले हाईवे पर न पेट्रोलिंग की सुविधा है, न ही सड़क पर एबुलेंस और फायर बिग्रेड ही समय से उपलब्ध होती है। हाईवे पर कहीं टॉल-फ्री नंबर का जिक्र तक नहीं किया गया है कि मुसीबत के वक्त पर पीडि़त कॉल करके अपनी प्रॉब्लम बना सके। हाइवे की पेट्रोलिंग वैन तो कहीं नजर ही नहीं आती। तेनुआ टोल प्लाजा के पास एक एंबुलेंस तो रहता है, लेकिन उसकी मदद शायद ही किसी को मिल पाए। अक्सर हादसे के समय 102 और 108 के एंबुलेंस से ही घायल अस्पताल पहुंचाए जाते हैं। इसे एक्सीडेंट प्वाइंट कहिएफोरलेन पर खोराबार एरिया में स्थित जगदीशपुर-कोनी तिराहा एक्सीडेंट के लिए बदनाम है। यहां आए दिन किसी न किसी वाहन से एक्सीडेंट होता है। हर माह औसतन तीन से चार एक्सीडेंट हो जाते हैं। आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि रोड के मोड़ पर सही इंजीनियरिंग न होने से हादसे थम नहीं रहे। एक्सीडेंट प्वाइंट होने के बाद भी यहां पेट्रोलिंग टीम नजर नहीं आती। अगल-बगल कभी एबुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाडि़यां भी नहीं दिखतीं। 2015 में ही मोड़ की डिजाइन बदलने का आदेश आ चुका है बावजूद इस पर कोई अमल नहीं हो रहा।
गोरखपुर से गुजरने वाले हाइवे दूरी - सोनौली-नौतनवां-गोरखपुर- देवरिया- बलिया हाइवे 154.13 किलोमीटर - इलाहाबाद- गोरखपुर मार्ग दूरी तकरीबन 106.16 किलोमीटर - गोरखपुर-महराजगंज स्टेट हाइवे 53.16 किलोमीटर - अयोध्या-गोरखपुर-कसया (बिहार सीमा तक फोरलेन) 229 किलोमीटर हाईवे पर ये होनी चाहिए सुविधाएं - प्रॉपर पेट्रोलिंग का इंतजाम - घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एबुलेंस - वाहनों का मलवा हटाने के लिए क्रेन- फायर ब्रिगेड की गाड़ी
हाईवे पर क्राइम कंट्रोल के लिए पुलिस पेट्रोलिंग की जरूरत है। कर्मचारियों के साथ कई बार बदमाश मारपीट करते हैं। एक्सीडेंट होने पर एबुलेंस जाती है। पेट्रोलिंग के कर्मचारी मूवमेंट में रहकर नजर रखते हैं। इसको चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए संबंधित लोगों को निर्देश दिए जाएंगे। - एके कुशवाहा, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनएचएआई, गोरखपुर- पीने का पानी और टॉयलेट की सुविधा
- टेलीफोन बूथ - टोल फ्री नंबर के बोर्ड - सीसीटीवी कैमरे है बस इतनी सी सुविधा - पेट्रोलिंग वाहन- 01 - एबुलेंस- 01 - क्रेन- 01 - फायर ब्रिगेड की गाड़ी - 01 - डॉक्टर टीम- 03 - विभिन्न प्रकार की ड्यूटी में शामिल मैन पॉवर- 25 व्यक्ति यह हैं कमियां - पेट्रोलिंग वाहन नहीं चलते। - एबुलेंस की तत्काल मदद नहीं मिलती। - हर किलोमीटर पर लगे 32 टेलीफोन बूथ टूटे हैं। - मलवा हटाने के लिए पुलिस विभाग अपनी ओर से क्रेन से मंगाता है। - रास्ते भर कहीं भी हेल्प लाइन नंबर का डिस्प्ले बोर्ड नहीं है। - कोनी, बाघागाड़ा, रामनगर कड़जहां में लाइटिंग का अभाव - प्रमुख जगहों पर कट्स, टर्निग से एक्सीडेंट की संभावना वर्जन पांच लोगों की टीम हाईवे पर पेट्रोलिंग करती है। खोराबार इलाके में पुलिस कांस्टेबल भी रहते हैं। हालांकि बेलीपार और सहजनवां क्षेत्र में पड़ने वाले एरिया में कभी कोई पुलिस कर्मचारी नजर नहीं आता। - शिवराम सिंह, पेट्रोलिंग अधिकारी, फोरलेन