पढ़ तो लें पर बढ़ें कैसे
- वर्ल्ड लिट्रेसी डे पर आई नेक्स्ट की पड़ताल
- शहर का एंप्लॉयमेंट ऑफिस नहीं दिला पा रहा बेरोजगारों को नौकरी - पिछले दस साल में महज 554 लोगों को मिल सका रोजगारGORAKHPUR: बेरोजगारी बढ़ रही है। हर तरफ पढ़े-लिखे बेरोजगारों की फौज खड़ी होती जा रही है। ऐसे युवाओं को उम्मीद होती है कि सरकारी तंत्र रोजगार पाने में उनकी मदद करेगा। यही कारण है कि रोजाना शहर स्थित एंप्लॉयमेंट ऑफिस पर सैकडों ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट सहित प्रोफेशनल कोर्स डिग्री धारकों की भीड़ जुटती है। मगर हालत ये है कि पिछले दस साल में यहां से महज गिनती के लोगों को ही रोजगार नसीब हुआ है। बेहद चिंताजनक है कि एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज अब तक होते रहे हजारों रजिस्ट्रेशंस में से 554 को ही रोजगार दिला सका है। आज लिट्रेसी डे पर जब आई नेक्स्ट ने इस बेरोजगारी संकट की पड़ताल की तो शिक्षा प्रणाली, जिम्मेदारों और कहीं ना कहीं कैंडिडेट्स पर भी सवाल उठते नजर आए।
कहीं हो ना जाए बंदडीडीयूजीयू कैंपस स्थित एंप्लॉयमेंट ऑफिस के आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं। हर साल हजारों की तादाद में यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज के यूजी और पीजी कैंडिडेट्स यहां रजिस्ट्रेशन कराते हैं। लेकिन हैरानी वाली बात है कि आज तक यहा से नाम मात्र लोग ही रोजगार पा सके हैं। एंप्लॉयमेंट ऑफिस की बात करें तो यहां कुल छह कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन करने के लिए इनके पास कुछ खास नहीं है। पिछले साल से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाने से गोरखपुर रीजन के रजिस्टर्ड कैंडिडेट्स की लिस्ट क्षेत्रीय एंप्लॉयमेंट ऑफिस से बनाई जा सकती है।
नौकरी नहीं तो क्यों कराएं रजिस्ट्रेशन एंप्लॉयमेंट ऑफिस के कर्मचारियों की मानें तो रोजगार ना मिलने के कारण अब कैंडिडेट्स का रजिस्ट्रेशन से मोह भंग हो रहा है। यही कारण है कि रजिस्ट्रेशन पहले के मुकाबले बहुत कम हो गए हैं। उधर कैंडिडेट्स का कहना है कि रजिस्ट्रेशन कराकर क्या फायदा जब रोजगार मिलना ही नहीं है। केवल नाम का एंप्लॉयमेंट ऑफिसएंप्लायमेंट ऑफिस अब केवल नाम का रह गया है। यहां एक समय जहां कैंडिडेट्स की भीड़ रहती थी। वहीं पिछले एक साल से केवल खानापूर्ति के लिए आईटीआई होल्डर्स के लिए रोजगार दिए गए हैं। जबकि यूजी, पीजी और प्रोफेशनल कोर्सेज के कैंडिडेट्स को पिछले दस वर्षो में एक भी नौकरी नहीं मिली है। यहां तैनात अधिकारियों की मानें तो पहले एंप्लॉयमेंट ऑफिस में विभिन्न विभागों से पहले रिक्तियों की सूची आती थी। उन रिक्तियों की भरने के लिए दोनों विभाग मिलकर नियुक्ति कराते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। कुछ अधिकारियों का तो यह भी कहना था कि हो सकता है कि आने वाले दिनों में एंप्लॉयमेंट ऑफिस की मेन ब्रांच छोड़ बाकी ब्रांचेज को बंद कर दिया जाए।
काउंसिलिंग बन गई खानापूर्ति क्षेत्रीय एंप्लॉयमेंट ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर अखंड प्रताप सिंह का उच्च अधिकारी के सामने दावा था कि उनके यहां यूनिवर्सिटी व कॉलेज स्टूडेंट्स की काउंसिलिंग कराई जाती है। जबकि कैंडिडेट्स से पता चला कि हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। नियमत: उपलब्धता के आधार पर काउंसिलिंग टीम को कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भेजा जाता है। जबकि यहां सच्चाई ये है कि कोई जाता ही नहीं है। यहीं नहीं, पिछले दो साल पहले कंप्यूटर ट्रेनिंग देने के लिए सीसीसी कोर्स चालू किया गया। लेकिन वह भी अब तक शुरू नहीं हो सका है। क्या कहते हैं एक्सपर्टवहीं, बढ़ती बेरोजगारी पर एजुकेशन एक्सपर्ट्स भी काफी चिंतित नजर आते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक समय था जब ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कैंडिडेट्स को नौकरी के लिए खास मेहनत नहीं करनी पड़ती थी। पढ़ाई का भी उतना बोझ नहीं था। लेकिन समय के साथ पढ़ाई जितनी कठिन होती गई, उतनी ही प्रतिस्पर्धा भी बढ़ती गई। वर्तमान में अगर कैंडिडेट्स अपने को इस प्रतिस्पर्धा में अलग नहीं रखते हैं तो वे खुद को बेरोजगार की श्रेणी में पाते हैं।
एजुकेशन क्वालिटी में आई है गिरावट डीडीयूजीयू एक्सपर्ट प्रो। अजय शुक्ला बताते हैं कि वर्तमान एजुकेशन क्वालिटी में काफी हद तक गिरावट आई है। इसकी मुख्य वजह बाजारवाद है। जब तक क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन स्टूडेंट्स को नहीं मिलेगी, तब तक बेरोजगारी की दंश युवा झेलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि मार्केट में रोजगार नहीं है। दिक्कत उन्हें है जो खुद को रोजगार के काबिल नहीं बना सके हैं। जब तक युवा खुद को रोजगार के काबिल नहीं बनाता है तब तक उसे बेरोजगारी की दिक्कत झेलनी पड़ेगी। डीडीयू एंप्लॉयमेंट ऑफिस से मिले आंकड़े सन् ग्रेजुएट पोस्ट 2015 1,705 1052 2014 6,496 3112013 9,312 607
2012 9,175 591 2011 9,305 483 2010 8,753 397 2009 9,303 390 2008 9,001 307 2007 8,005 597 2006 8,887 305 नोट - आंकड़े औसत में हैं। हवा-हवाई है ये सब - करियर काउंसिलिंग - प्री-काउंसिलिंग (कॉलेज व यूनिवर्सिटी) - अपना व्यवसाय चुनिए पखवाड़ा - 16-31 अगस्त तक कार्यशाला - सितंबर - दिसंबर तक काउंसिलिंग क्षेत्रीय एंप्लॉयमेंट ऑफिस के आंकड़ों की हकीकत सन् रजिस्ट्रेशन नियुक्ति 2016 9,922 103 2015 21,808 15 2014 10,866 06 2013 15,623 19 2012 19,6105 19 2011 8,265 200 2010 11,275 16 2009 10,520 103 2008 10,441 73 एक्सपर्ट व्यू यूजी, पीजी के अलावा प्रोफेशनल डिग्री लिए लाखों बेरोजगार घूम रहे हैं। रोजगार मुहैया कराने का काम एंप्लॉयमेंट ऑफिस के जिम्मेदारों को करना चाहिए, लेकिन वे नहीं करते। बेरोजगारी की वजह खुद कैंडिडेट्स भी हैं। अगर वे बेहतर परफॉर्म करते हैं तो निश्चित तौर पर रोजगार के काबिल हो सकेंगे। रविरंजन मिश्रा, करियर एक्सपर्ट मैने बीएचयू से एमबीए किया है। बाकी स्टूडेंट्स की तरह मुझे भी जॉब की चिंता सताती थी। मुझे खुद भी नहीं पता था कि मेरा प्लेसमेंट इतनी आसानी से हो जाएगा। अगर हम ईमानदारी से पढ़ाई करें तो निश्चित तौर पर प्लेसमेंट के हकदार होंगे। हम खुद को काबिल बनाकर खुद रोजगार डेवलप कर सकते हैं। शिवांगी त्रिपाठी, करियर एक्सपर्ट कोट्स निश्चित तौर पर बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हुई है। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा। स्टूडेंट्स को डिग्री के साथ-साथ नौकरी की भी जरुरत है। - सरिता यादव इस मार्डन युग में जहां बीएड, टीईटी क्वालिफाई कर कैंडिडेट्स बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए वैकेंसी निकालनी चाहिए। - पूजा गुप्ता हर विभाग में भारी पैमाने पर वैकेंसी हैं, लेकिन गवर्नमेंट वैकेंसी नहीं निकालती है। अगर किसी विभाग में निकली भी तो मामला कोर्ट में चला जाता है। स्थिति जस की तस फिर से हो जाती है। - गायत्री वर्मा यूपी में वैकेंसी ना आने के पीछे ज्यादातर तो कोर्ट केस वजह हैं। एक तरफ जहां कैंडिडेट्स के लिए रोजगार अवसर मिलने वाला होता है तो दूसरा गुट उसका विरोध करने उतर जाता है। अब एसे में बेरोजगारी नहीं रहेगी तो क्या होगा। - अनुज गुप्ता कहीं ना कहीं बेरोजगारी की मुख्य वजह हम सब हैं। हाल में सफाई कर्मियों की भर्ती निकली थी, लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। वैकेंसी पर रोक लग गई। अब ऐसे में बेरोजगारी नहीं होगी तो क्या होगा। - सूर्य प्रताप एंप्लॉयमेंट ऑफिस को तो बंद कर देना चाहिए। आज की डेट में उसका कोई रोल नहीं है। मैंने तो रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया है। जब जॉब मिलना नहीं है तो रजिस्ट्रेशन का क्या फायदा। - संदीप वर्मा वर्जन एंप्लॉयमेंट ऑफिस में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है। रहा सवाल रोजगार को तो 2015 में 12 रोजगार मेले लगाए गए, जिसमें 1097 कैंडिडेट्स को रोजगार दिया गया है। - अखंड प्रताप सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, रीजनल एंप्लॉयमेंट ऑफिस, गोरखपुर