जिम्मेदारों की सुस्ती में अटकी ऑनलाइन व्यवस्था
- 2012 में लागू हुआ था बिजली विभाग का ऑनलाइन सिस्टम
- शुरू हो सकी सिर्फ बिलिंग की व्यवस्था, 30 प्रतिशत एरिया में वो भी नहीं GORAKHPUR: हाईटेक होने के बिजली विभाग के दावों की हवा खुद उसके जिम्मदारों की सुस्ती ने निकाल दी है। चार साल पहले जोरशोर से शुरू हुई विभाग की ऑनलाइन व्यवस्था वर्तमान में महज खानापूर्ति बनकर रह गई है। हाल ये है कि अभी तक इस व्यवस्था से केवल बिल जमा करने का ऑप्शन ही शुरू हो सका है। जिन एरियाज में ये व्यवस्था चल भी रही है, वहां भी कंज्यूमर्स का बिजली बिल बमुश्किल ही ऑनलाइन जमा हो पा रहा है। यहां पर भी कभी सर्वर स्लो तो कभी वेबसाइट पर रश होने के कारण पब्लिक को ऑफिस जाकर ही बिल जमा करना पड़ रहा है। आराम से मिलती जानकारीशहर में 2012 में बिजली विभाग की ऑनलाइन सेवा की शुरुआत हुई। इसके तहत कंज्यूमर्स की पूरी जानकारी, बिल का स्टेटस, ट्रांसफार्मर की स्थिति, पोल की स्थिति, बिल संशोधन आदि सारी जानकारी ऑनलाइन होनी थी। लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण बीते चार साल में केवल बिल जमा करने की ही प्रक्रिया ही ऑनलाइन हो सकी है। शेष कार्यो और डिटेल के लिए पब्लिक को विभाग का ही चक्कर लगाना पड़ता है।
हजारों घर वंचित
कार्यदायी संस्था की भी लापरवाही ऑनलाइन व्यवस्था के पूरी तरह शुरू ना हो पाने में बिजली विभाग के जिम्मेदारों की उदासीनता के साथ ही ये कार्य करने वाली कंपनी की लापरवाही भी जिम्मेदार है। जिस कंपनी को इस कार्य की जिम्मेदारी मिली थी, उसने केवल ऑनलाइन बिलिंग व्यवस्था का ही कार्य किया। शेष कार्यो पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। वहीं, शहर के लगभग 30 प्रतिशत एरिया के लोगों को तो ऑनलाइन बिलिंग की व्यवस्था भी नसीब नहीं हो सकी। इन एरियाज के बिजली खंभों का नंबर ऑनलाइन सेवा में अब तक नहीं जोड़ा जा सका है। यही कारण है कि यहां के कंज्यूमर्स का बिल ऑनलाइन फीड ही नहीं हो पाता। वहीं, बिजली विभाग के जिम्मेदार हैं कि केवल व्यवस्था सही होने के दावे करने में ही लगे हैं।