जहां जी चाहा, पार्किंग समझिए वहां..
- सिटी में पार्किंग जोन डेवलप करना भूल गया नगर निगम और जीडीए
- एक-दो जगहों पर शुरू हुई कोशिश लेकिन साकार नहीं हुई योजना - प्राइवेट मार्केट में सबसे अधिक परेशानी, कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में मनमाना रेटGORAKHPUR: कहने को अपना शहर महानगरों की श्रेणी में आता है लेकिन जब बात सुविधाओं की होती है तो हम अन्य महानगरों की तुलना में काफी पीछे खड़े नजर आते हैं। और सुविधाओं की बात छोड़ दें, यदि सिर्फ पार्किंग की बात करें तो ही अंदाजा लग जाता है कि जिम्मेदारों ने सिस्टमेटिक डेवलपमेंट और पब्लिक की सहूलियतों की कितनी चिंता की है। बड़े पॉश एरियाज में पार्किंग के लिए जगह नहीं मिलती, वहीं प्राइवेट मार्केट्स में पार्किंग के लिए मनमाना वसूली होती है। 50-100 रुपए का सामान लेने जाने पर बाइक खड़ी करने के एवज में ही 15 से 20 रुपए दे देने पड़ते हैं। न तो नए पार्किंग जोन डेवलप करने के बारे में जिम्मेदारों के पास कोई स्पष्ट योजना दिखती है और न ही प्राइवेट मार्केट में बने पार्किंग का रेट फिक्स करने के बारे में ही कोई सोच है। पब्लिक की मजबूरी है कि जगह नहीं मिलने पर वह रोड या किसी भी खाली जगह को पार्किंग बना लेती है। मतलब कि अपने शहर में जहां जी चाहा, वहीं पार्किंग है
शहर में छह जगह हैं पार्किंग - कैंट थाने के सामने - पुलिस लाइन के सामने से गोलघर काली मंदिर तक - घंटाघर बंधु सिंह पार्क - लालडिग्गी - नॉर्मल - रेलवे स्टेशन - नगर निगम कार्यालय परिसर यहां होती है अवैध पार्किंग - सिनेमा रोड - रेलवे स्टेशन - बस स्टेशन - इंदिरा बाल विहार - विजय चौक - बक्शीपुर - अली नगर - रेती चौक - नखास - साहबगंज - चौरहिया गोला - बेतियाहाता - थवईपुल - गंगेज चौराहा - गोरखनाथ - घंटाघर तिराहा लोगों को नहीं पता, कहां है पार्किंग गोलघर, घंटाघर, रेती चौक, नखास, बक्शीपुर सहित कई ऐसे प्रमुख मार्केट हैं, जहां पार्किंग नहीं है। पार्किंग न होने के कारण दुकानदार अपने यहां आने वाले कस्टमर्स की गाड़ी दुकान के सामने खड़ी करवा देते हैं। इसके अलावा शहर के एक दर्जन से अधिक ऐसे एरियाज हैं जहां पार्किंग तो है, लेकिन इसके बारे में पब्लिक को जानकारी नहीं है। घंटाघर एरिया में बंधु सिंह पार्क को पार्किंग स्थल के रूप में घोषित किया है, लेकिन घंटाघर तिराहे पर ही गाडि़यां पार्क की जाती हैं। इसके बाद भी नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता।बॉक्स
जहां पार्किंग, वहां रेट पर झिकझिक एक तरफ पार्किंग जोन नहीं होने के कारण पब्लिक को दिक्कत होती है तो वहीं जहां पार्किंग है, वहां रेट के लिए झिकझिक होती रहती है। प्राइवेट स्थलों पर बने पार्किंग के मनमाना रेट हैं जिस कारण पब्लिक को सुविधा होने की जगह परेशानी बढ़ जाती है। गोलघर, पार्क रोड, बैंक रोड, टाउनहाल, रेती चौक और अलीनगर एरिया में पार्किंग तो हैं लेकिन कहीं भी इसके रेट एक नहीं हैं। सिटी में पांच रुपए से लेकर 20 रुपए तक बाइक पार्क करने के लिए वसूली होती है। पार्क रोड पर 15 रुपए, गोलघर में 20 रुपए, बैंक रोड पर सात रुपए से लेकर 12 रुपए तक और अली नगर में 10 रुपए पार्किंग रेट है। इस रेट को लेकर रोज ही पब्लिक की पार्किंग वालों से कहासुनी होती है लेकिन कभी भी प्रशासन ने सिटी में पार्किंग रेट तय करने का प्रयास नहीं किया। इस कारण पार्किंग वालों की मनमानी के साथ पब्लिक की परेशानी बढ़ती जा रही है। कॉलिंग इस शहर का कोई माई-बाप ही नहीं है। किसी रोड पर किसी भी मार्केट में पार्किंग स्थल नहीं है। रोड के किनारे गाड़ी खड़ी कर दें तो गायब हो जाती है या ट्रैफिक पुलिस वाले उठा ले जाते हैं। - मूर्ति पांडेय, सर्विसमैन नगर निगम हो या जीडीए, किसी को शहर के लोगों की चिंता नहीं है। पार्किंग नहीं होने के कारण मजबूर होकर रोड किनारे गाड़ी खड़ी करनी पड़ती है। अजय यादव, व्यापारीऔर इनकी भी सुन लीजिए
सिटी में कहीं भी निकल जाइए, आपको पार्किंग के लिए जगह ढूंढनी पड़ेगी लेकिन नगर निगम प्रशासन का दावा कुछ और ही है। दावा है कि ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम की तरफ से उन जगहों को फ्री पार्किंग के रूप में घोषित किया गया है। सड़कों के किनारे तीन से चार फीट एरिया को मार्किंग करके वाहन खड़ी करने के लिए जगह छोड़ी गई है। वहीं कुछ एरियाज ऐसे भी हैं जहां पार्किंग बना दी गई है, वैसे जगहों पर रोड किनारे नो पार्किंग के बोर्ड लगाए गए हैं। पार्किंग तो बस नक्शा पास करवाने के लिए हैजीडीए के आंकड़ों पर नजर डालें तो शहर में लगभग 356 छोटे-बड़े शॉपिंग कांप्लेक्स हैं। इन शापिंग कॉप्लेक्स का नक्शा पास करते समय इनके द्वारा पार्किंग जोन दिखाया जाता है क्योंकि इसके बिना नक्शा पास ही नहीं किया जाता। लेकिन पिछले साल जीडीए के ही एक सर्वे में यह बात सामने आई कि 155 शॉपिंग कांप्लेक्स में पार्किंग का उपयोग किसी और रूप में किया जा रहा है। जिसके बाद जीडीए ने 56 शापिंग कांप्लेक्स को पार्किंग पर कब्जा किए जाने के मामले में नोटिस थमाई। लेकिन आज भी ऐसे दर्जनों कांप्लेक्स हैं जहां पार्किंग नहीं है या उसका यूज किसी और रूप में हो रहा है।
यहां कब्जा नहीं हटा पाता विभाग यूं शहर में पार्किंग के लिए कोई जगह भले ही न दिखे लेकिन नगर निगम के कागजों पर कई जगह पार्किंग जोन है। पुलिस लाइन के सामने की जगह पार्किंग के रूप में एलॉट है लेकिन आप वहां जाएं तो हर जगह गैराज नजर आएगा। वहीं घंटाघर में बंधु सिंह पार्क में भी पार्किंग की जानी है। वहां जाने पर पता चलता है कि फल और सब्जी बेचने वालों का कब्जा है। लालडिग्गी एरिया और नॉर्मल एरिया में बने पार्किंग स्थल पर भी वाहन लगने के बजाय ठेले-खोमचे वालों का कब्जा है। वहीं शास्त्री चौक पर नगर निगम पोखरे के बगल में ाोषित पार्किंग स्थल पर खुद नगर निगम का ही कब्जा हो गया है। गोलघर एरिया में इंदिरा बाल विहार से लेकर गोलघर काली मंदिर की तरफ आने वाले लोगों के लिए काली मंदिर के बगल में और पुलिस लाइन में पार्किंग स्थल बना है, शास्त्री चौक और जिला अस्पताल की तरफ से आने वाले लोगों के लिए नगर निगम के स्टोर में पार्किंग की व्यवस्था की गई है लेकिन मौके पर कहीं कुछ नहीं है।