'रूहानी काफिले' ने उड़ाई प्रशासन की निंदिया
- वाराणसी की घटना से डरे प्रशासनिक अमले ने सभा की परमिशन कैंसिल की
- 2 अक्टूबर से पहले ही दे दी थी 3000 लोगों की परमिशन - पराग डेयरी के पास खाली मैदान में होनी है रैली GORAKHPUR: 'जय गुरूदेव' के नाम से मशहूर बाबा उमाकांत के रुहानी काफिले ने प्रशासिक अमले की निंदिया उड़ा दी है। वाराणसी के कार्यक्रम में हुई घटना से डरे जिला प्रशासन ने 21 अक्टूबर को पराग डेयरी के सामने हरैया में होने वाले कार्यक्रम की परमिशन देने के बाद कैंसिल कर दी है। देर रात ऑर्गनाइजिंग कमेटी को फोन कर इसकी जानकारी दी गई है। ऑर्गनाइजर्स को यह बात गले नहीं उतर रही है, उन्होंने इस मामले में गुरुवार को जिम्मेदारों से मिलकर बात करने की बात कही है। क्यों दी परिशन?गोरखपुर में रूहानी काफिले के स्वागत कर्ता और संस्था के मेंबर विशाल जायसवाल का कहना है कि अगर परमिशन नहीं देनी थी, तो प्रशासन इससे पहले ही इनकार कर देता। अब जब काफिला गोरखपुर पहुंचने वाला है, तो प्रशासनिक अमले ने आखिर समय में कार्यक्रम करने में अड़ंगा लगा दिया। 21 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं, इसमें 3 से चार हजार लोग जुटने हैं। ऐसे में अगर कार्यक्रम कैंसिल होता है, तो इससे काफी नुकसान तो होगा ही, साथ ही इतनी भारी संख्या में आने वाले लोगों को कहां ठहराएंगे यह परेशानी हो जाएगी।
500 गाडि़यों का है काफिला विशाल ने बताया कि बाबा उमाकांत की यह यात्रा 2 अक्टूबर को उज्जैन से शुरू हुई है। इसके बाद यह मध्यप्रदेश, राजस्थान होते हुए यूपी में दाखिल हो चुकी है। 21 अक्टूबर को यह गोरखपुर में पहुंच जाएगा। इसके बाद यह आगे बढ़ते हुए 26 अक्टूबर को शहीद पथ लखनऊ पर जाकर खत्म होगा। इसमें करीब 500 गाडि़यों का काफिला है। इसमें मौजूद लोग जब गोरखपुर पहुंचेगे और परिमिशन न मिलने से उन्हें लौटना पड़ेगा, तो न सिर्फ गोरखपुर का नाम खराब होगा, बल्कि हमारी व्यवस्था पर भी सवाल उठेंगे। वाराणसी घटना से डरा है प्रशासनजय गुरुदेव आध्यात्मिक सत्संग के लिए वाराणसी में जुटी लाखों की भीड़ को संभालने में हुई प्रशासनिक चूक के चलते बड़ा हादसा हो गया था। गंगा पर बने अंग्रेजों के जमाने के 129 साल पुराने राजघाट पुल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अव्यवस्था का शिकार हुई, जिससे भगदड़ मच गई। इस हादसे में 25 लोगों की जान चली गई। मरने वालों में 21 महिलाएं और चार पुरुष शामिल थे। राजघाट पुल पर भगदड़ में मौत के बाद राज्य सरकार ने पांच अफसरों को सस्पेंड कर दिया था, जिसमें दो एसपी शामिल थे।
4000 की अनुमति, लाखों की जुटान वाराणसी में कार्यक्रम के आयोजकों ने जिला प्रशासन से अनुमति लेते वक्त लिखित दिया था कि यहां तीन से चार हजार लोग जुटेंगे। इसी आधार पर अनुमति दी भी गई। इसके बावजूद शहर में रातों-रात हजारों की संख्या में अनुयायी जुट चुके थे। शनिवार की सुबह यह संख्या लाखों का आंकड़ा पार कर गई। इतने पर भी पुलिस प्रशासन की ओर से भीड़ व यातायात नियंत्रण के कोई उपाय नहीं किए गए। यहां तक कि पूरे पुल के ठसाठस भर जाने पर भी हादसे के वक्त तक चार पहिया वाहनों को आवागमन नहीं रोका गया था। यह है रूट दो अक्टूबर को उज्जैन से शुरू हुआ काफिल बढ़नी से बरगदवा, खजांची चौराहा, पादरी बाजार, मोहद्दीपुर, पैडलेगंज, ट्रांसपोर्ट नगर होते हुए नौसढ़ पहुंचेगा। इसके बाद हरैया स्थित पराग डेयरी के पास सत्संग होगा।जिला प्रशासन से यात्रा शुरू होने से पहले ही परमिशन ले ली गई थी। मंगलवार रात जिला प्रशासन की ओर से फोन पर परमिशन कैंसिल करने की जानकारी दी गई। अब 21 अक्टूबर को यात्रा यहां आनी है, ऐन वक्त पर परमिशन कैसे कैंसिल की जा सकती है।
- विशाल जायसवाल, कार्यक्रम प्रभारी, रूहानी काफिला जय गुरु देव कार्यक्रम की पुलिस रिपोर्ट में शर्तो के मुताबिक काम न होने की जानकारी मिली है। साथ ही जिस स्थान पर कार्यक्रम की परमिशन मांगी गई है, वहां इतने अधिक लोग और गाडि़यों का पहुंचना मुश्किल है। - लवकुश त्रिपाठी, एडीएम प्रशासन