गोल्डन गर्ल्स ऑफ गोरखपुर
-बीआरडी मेडिकल कॉलेज का 5 वें दीक्षांत समारोह
-24 गोल्ड मेडल में 23 पर गर्ल्स काबिज -सिर्फ एक व्वॉय को मिला गोल्ड - प्राची को मिले 10, गंगोत्री व हिमांशी को 4-4, आरती को 2 और सरस्वती, रोहित, शना और संजू को मिले 1-1 गोल्ड मेडल Gorakhpur : बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सैटर्डे को पांचवे दीक्षांत समारोह में इतिहास रचा गया। इतिहास इसलिए क्योंकि ख्ब् गोल्ड मेडल में ख्फ् पर गर्ल्स स्टूडेंट्स ने कब्जा किया। प्राची को लिए यह दिन कभी न भूलने वाला रहा। उन्होंने एक नहीं, दो नहीं, तीन नहींबल्कि क्0 मेडल जीते। इसके बाद गंगोत्री और हिमांशी को ब्-ब् मेडल मिले। खुशी मिली इतनी दिल में न समाएगोल्ड मेडल पर एबीबीएस की गर्ल्स स्टूडेंट्स का कब्जा रहा। बीआरडी कॉलेज का ऑडिटोरियम हॉल भर चुका था। लोग अपनी अपनी जगह पर ले चुके थे। सभी चीफ गेस्ट आ चुके थे। सभी स्टूडेंट्स की दिल की धड़कनें तेज हो रही थी। तभी मंच से एनाउंस किया गया कि सभी स्टूडेंट्स मेडल्स लेने के लिए तैयार हो जाएं। जैसे है प्राची राय का नाम लिया गया ऑडिटोरियम हॉल तालियों से गूंज उठा। प्राची को दस गोल्ड मेडल मिले। जबकि गंगोत्री और हिमांशी ने चार-चार गोल्ड मेडल पर कब्जा कर अपनी फैमिली का नाम रोशन किया। गंगोत्री के लिए यह दोहरी खुशी थी क्योंकि उसकी बहन सरस्वती ने भी उसके साथ गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा आरती, रोहित और शना सिद्दीकी को एक-एक गोल्ड मेडल मिला।
कड़ी मेहनत और टीचर्स का आशीर्वाद है मंत्र: प्राची राय एमबीबीएस की परीक्षा में दस गोल्ड मेडल पाने वाली प्राची बेसिकली गाजीपुर जिले की है। उनके पिता डॉ। जितेंद्र राय और माता सविता का कहना है कि प्राची बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल थी। प्राची ने टेंथ आईसीएसी बोर्ड मऊ और ट्वेल्थ से कानपुर से किया। प्राची अपनी सफलता का श्रेय अपनी मेहनत, माता-पिता के सपोर्ट और टीचर्स को देती हैं। फैमिली सपोर्ट को श्रेय : हिमांशी गुप्ता जब हिमांशी गुप्ता का नाम मंच से पुकारा गया तो वे खिल उठी। उन्हें जब चार चार गोल्ड मेडल मिले तो उनके मम्मी डैडी भावुक हो उठे। हिमांशी ने कहा कि उनकी सफलता में उनके माता पिता का श्रेय है। उनके पिता डॉ। राजेश गुप्ता और मां साधना गुप्ता ने बताया कि हिमांशी पढ़ाई को लेकर हमेशा से कंसर्न रही है। सीबीएसई से टेंथ और ट्वेल्थ करने वाली हिमांशी का कहना है कि अगर फैमिली का सपोर्ट नहींहोता तो वह इस मुकाम तक नहींपहुंच पाती।सही मायनों में नारी सशक्तीकरण
इस दीक्षांत समारोह की सबसे खास बात यह रही कि इसमें एक परिवार की दो बहनों ने गोल्ड मेडल जीते। ये दो बहनें हैं गंगोत्री (चार मेडल)और सरस्वती (एक)। दोनों ने अपने परिवार का मान बढ़ाया है। दोनों ने हाईस्कूल और इंटर की पढ़ाई सीबीएसई से की है। उन्होंने सारी सफलता का श्रेय पैरेंट्स, टीचर्स को दिया।
पिता जयंत कुमार कौड़ीराम के रहने वाले हैं। सेंर्टल बैंक में ब्रांच मैनेजर जयंत वर्तमान में वे रुस्तमपुर में रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटियों साबित कर दिया कि बेटियां किसी से कम नहींहोती हैं। वे बताते हैं कि दोनों बहनों में शुरू से ही पढ़ाई को लेकर हेल्दी कॉम्प्टीशन था। इन्होंने भी बढ़ाया मान मैं आज बहुत खुश हूं। माता- पिता और टीचर्स के सहयोग से सफलता मिली। मेरे पिता मिर्जापुर के रहने वाले हैं औ रिटायर्ड एंप्लाइ हैं। हाउसवाइफ होने के बाद भी मेरी मां ने मुझे पूरा वक्त दिया। आरती सिंह, एक गोल्ड मेडल मेहनत के साथ माता-पिता और बड़े भाई के आशीर्वाद से कामयाबी मिली है। मेरा मकसद गरीबों की सेवा करना है। पिता नंदलाल सिंह लेफ्टीनेंट कर्नल, मां प्रमीला यादव हाउस वाइफ हैं। संजू यादव, एक गोल्डगोल्ड मेडल मिलना सौभाग्य की बात है। माता-पिता और गुरुजनों के आशीर्वाद और सहयोग की वजह से सफल हो पाया हूं। लोगों की सेवा ही मेन मकसद है।
रोहित शाही, एक गोल्ड गोल्ड मेडल मिलने से काफी खुश हूं। मुझसे ज्यादा मेरी फैमिली खुश हैं। मेहनत तो मैंने बहुत की थी, लेकिन माता-पिता का आशीर्वाद नहींहोता मैं कुछ नहींकर पाता। मेरे पिता निजाम और माता शहनाज ने मेरा भरपूर सपोर्ट किया। सना सिद्दीकी, एक गोल्ड