'नाली' में बहाया अवस्थापना निधि का पैसा
- नगर निगम को अपने आय के स्रोत बढ़ाने पर खर्च करने थे अवस्थापना निधि के पैसे
- पिछले तीन साल में नगर निगम को मिले हैं 32 करोड़ रुपए - एक भी दुकान या कॉमर्शियल पार्क का नहीं हो सका निर्माण GORAKHPUR: नगर निगम के कारनामे अनोखे हैं। यह एक ऐसा विभाग है जिसको शासन पैसा आय स्रोत को बढ़ाने के लिए पैसे देता है, लेकिन वह बजाए इसे बढ़ाने के इन्हें बर्बाद करने में लगे हुए हैं। पिछले तीन साल की बात करें तो इस दौरान नगर निगम को शासन से करीब 32 करोड़ रुपए मिल। नियमानुसार इसका 40 प्रतिशत हिस्सा उन्हें आय के स्रोत बढ़ाने पर खर्च करना चाहिए, लेकिन नगर निगम ने ऐसे काम के लिए एक रुपए भी खर्च नहीं किए। उन्होंने करीब आधे से ज्यादा पैसा सिर्फ नाला निर्माण में ही खर्च कर डाला। 53 की जगह मिला 32 करोड़अवस्थापना निधि के तहत अप्रैल 2004 से लेकर अप्रैल 2014 तक नगर निगम को कुल 53,87,41,282 रुपए मिलने थे। जिसमें अभी तक नगर निगम को 31,89,91,803 रुपए ही मिले हैं। जबकि नगर निगम को अभी 21,97,49,479 रुपए शासन से अवस्थापना निधि में मिलने बाकी हैं। अगर निगम को पूरे पैसे मिल जाते तो शायद वह कुछ और कार्य कर पाता।
पानी निकालने में बहा रहे पैसा
नगर निगम के पूर्व अधिकारियों की मानें तो निगम के पास दर्जनों जगह ऐसी है, जहां वह शॉपिंग कॉम्प्लेक्स या छोटी-छोटी दुकान बना सकते हैं। इससे नगर निगम को पैसे मिलने के साथ ही साथ लोगों को रोजगार भी मिलेगा। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। निगम सिर्फ आय के स्रोत डेवलप करने के बजाए पानी निकासी से निपटने के लिए नाला निर्माण कराने के लिए ही जूझता रहा। हो सकते थे कई काम रिटायर्ड अधिकारियों की मानें तो नगर निगम अगर चाहे तो अपनी ही जमीन सेंट्र एंड्रयूज इंटर कॉलेज, घोषकंपनी चौराहा, हासूंपुर, मोहद्दीपुर, महेवा और नगर निगम कार्यालय परिसर के अंदर की जमीन मार्केट या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बना सकता है। इससे नगर निगम को एक्स्ट्रा आमदनी होने लगेगी, वहीं गोरखपुराइट्स को रोजगार मिलने के साथ ही नया मार्केट भी मिल जाता। एक साल पहले मेयर और नगर आयुक्त ने एक योजना भी बनाई थी कि नगर निगम स्टोर के किनारे दुकान बनाई जाएगी, लेकिन यह भी योजना केवल बातचीत तक ही सिमट कर रह गई। यह था शासनादेशअवस्थापना निधि का गठन अप्रैल 1998 में किया गया। 1999 में लागू की गई। इस निधि के बाईलॉज में ही यह निर्धारित कर दिया गया था कि अवस्थापना निधि जिस भी संस्था को दी जाएगी। संस्था निधि के 40 प्रतिशत हिस्से को अपने आय बढ़ने के स्रोत डवलेप करने पर खर्च करेगा।