गीता प्रेस का विवाद अभी भी अनसुलझा
- तीन दिन पहले भी इसी मुद्दे पर कर चुके हंगामा
- मीटिंग में गीता प्रेस प्रबंधक के न पहुंचने पर मामला गरमाया द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : गीता प्रेस ने अपने यहां ठेके पर काम कर रहे 337 में से 100 कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन ट्यूज्डे को दिया। इस मामले को लेकर वेंस्डे को कर्मचारियों ने हड़ताल की और प्रबधंन के लिए खिलाफ नारे लगाए। कर्मचारियों का आरोप था कि होली का त्योहार है। उसके बावजूद सभी कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है और जिनको दिया है, उनको भी पुरानी दर पर वेतन दिया गया है। गीता प्रेस प्रबंधन प्रशासन की मौजूदगी में हुई वार्ता का उल्लघंन कर रहा है। जब तक गीता प्रेस प्रबंधन हमारी मांगे पूरा नहीं कर देता है, हम अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन करते रहेंगे। नहीं आया कर्मचारियों का प्रतिनिधिगीता प्रेस प्रबंधन का कहना था कि 28 फरवरी को हंगामा हुआ, उसके बाद तय किया गया कि मंडे को कर्मचारी और प्रबंधन की मीटिंग होगी और उसके बाद वेतन देने का निर्णय किया जाएगा। मंडे और ट्यूज्डे को गीता प्रेस प्रबंधन ने इंतजार किया, लेकिन कर्मचारियों की तरह से कोई प्रतिनिधि आया ही नहीं। ऐसे में प्रबंधन ने ट्यूज्डे को वेतन बांटने का काम शुरू कर दिया।
28 फरवरी को एडीएम सिटी ने सभी कर्मचारियों को कहा था कि 12 मार्च को मीटिंग होने वाली है। मीटिंग में निर्णय लिया जाएगा कि क्या होना है। उसके पहले कोई भी कर्मचारी या प्रबंधन हल्ला नहीं करेगा, लेकिन लोग प्रशासन की भी बात नहीं मान रहे हैं।
लालमणि तिवारी, पब्लिकेशन मैनेजर