लापरवाही के भंवर में फंसा जीडीए टावर
- दिसंबर से बनकर तैयार, अभी तक नहीं शुरू हो पाया जीडीए टावर
- टावर शुरू न होने से फंसे आवंटियों के लाखों रुपए - शॉप न मिलने से जीडीए ऑफिस के चक्कर लगाने के लिए मजबूर बिजनेसमैनGORAKHPUR : करोड़ों रुपए की लागत से बनकर तैयार खड़ा जीडीए टावर लापरवाही के भंवर में फंसकर अटका हुआ है। जीडीए के अफसर कभी बिजली विभाग तो कभी नगर निगम पर ठीकरा फोड़कर टावर के चालू होने का मामला टाल रहे हैं। लगभग 12 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए जीडीए टावर में 152 आवंटियों का करीब 9 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं। जीडीए अफसर हर बार उद्घाटन की तिथि तय करते हैं और जैसे ही समय आता है, सारी प्लानिंग पोस्टपोन हो जाती है। इस बार फिर जीडीए अफसर दावा कर रहे हैं कि अगस्त तक टावर चालू हो जाएगा। कॉमर्शियल काम्प्लेक्स शुरू न होने से सिटी के व्यापारियों की पूंजी फंसी हुई है जिससे दबाव बढ़ रहा है।
15 अगस्त तक हो सकता है शुरूजीडीए सचिव हरिचरण सिंह का कहना है कि लगातार कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द कार्य पूरा कर लिया जाए और टावर चालू कर दिया जाए। अभी टावर में बिजली का काम चल रहा है। जुलाई लास्ट तक बिजली का काम पूरा हो जाएगा। बिजली विभाग को यूनिवर्सिटी सब स्टेशन से टावर तक नया फीडर बिछाना था। इस फीडर से सप्लाई चालू होते ही टावर को बिजली सप्लाई शुरू की जाएगी। इसके अलावा जलकल का एक ट्यूबवेल भी रास्ते पर है जो वर्षो से बंद पड़ा है, इसके लिए नगर निगम को कई बार पत्र लिखा गया है।
फॉर योर इंफॉर्मेशन - गोरखपुर विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2003 में गोलघर में शहर के सबसे पहले कॉमर्शियल काम्पलेक्स की नींव डाली। - वर्ष 2005 में तय बजट से अधिक खर्च के चलते जांच बैठ गई और करीब डेढ़ दर्जन अभियंताओं व जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई। - जांच के बाद शासन के निर्देश पर वर्ष 2010 में कार्य एक बार फिर शुरू हुआ। - टावर में ग्राउंड फ्लोर के साथ छह मंजिल हैं। - टावर में ग्राउंड फ्लोर समेत पहले व दूसरे मंजिल पर 152 से अधिक दुकानें हैं। तीसरी से छठी मंजिल तक कार्यालयों के लिए ब्लाक आवंटित होने हैं। - टावर की पांचवीं व छठवीं मंजिल के ब्लाकों की ब्रिकी के लिए बाद में आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।- जीडीए टावार में करीब 20 हजार वर्गफुट में फैले पार्किंग स्पेस में एक साथ 70 से अधिक चार पहिया वाहन खड़े हो सकते हैं।
- योजना पर अभी तक 12 करोड़ रुपए से अधिक राशि जीडीए खर्च कर चुका है। नगर निगम अपना ट्यूबवेल हटा ले और बिजली विभाग काम पूरा कर ले तो टावर चालू हो जाएगा। उम्मीद है कि अगस्त में टावर चालू हो जाएगा। हरिचरण सिंह, सचिव, जीडीए