- राप्तीनगर विस्तार आवासीय योजना के आवंटी भड़के

- पूरी किश्त लेकर भी आज तक प्लॉट नहीं दे सका जीडीए

-संघर्ष समिति के सदस्यों ने जीडीए सचिव का किया घेराव, दिया अल्टीमेटम

GORAKHPUR:

हर किसी का सपना होता है कि उसका एक आशियाना हो। ऐसा ही एक सपना जीडीए ने शहरवासियों को दिखाया था। 261 लोगों ने तमाम जतन करके प्लॉट के लिए पैसे जुटाए और किश्त भर डाली। लेकिन किश्त का पूरा पैसा चुकाने और काफी वक्त बीतने के बावजूद आजतक उनके सिर पर छत नहीं है। कर्ज की रकम और घर के किराए के बोझ से दबे इन लोगों का गुस्सा मंगलवार को फिर भड़क उठा। राप्तीनगर विस्तार आवासीय योजना आवंटी संघर्ष समिति के सदस्यों ने जीडीए ऑफिस में प्रदर्शन किया और उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में सचिव का घेराव किया।

'केवल वार्ता ही हो रही'

आवंटियों ने आरोप लगाया कि राप्तीनगर विस्तार नगर को लेकर शासन की तरफ से आए आदेश को 12 दिन बीत गए हैं, लेकिन जीडीए की तरफ से आवंटियों के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। 10 मई को जब एक प्रतिनिधि मंडल उपाध्यक्ष से मिले तो उन्होंने कहा कि प्रकरण में मंडलायुक्त से वार्ता की जा रही है, लेकिन अभी तक केवल वार्ता हो रही है कार्य नहीं हो रहा है।

दोहरे बोझ से दबे

जीडीए की राप्ती नगर आवासीय योजना 2009-10 में 892 भू-खंड के लिए योजना निकली। इस योजना में 261 लोगों ने तत्काल पूरी किश्त देकर और शेष लोग किश्तों में लाखों रुपए लोन लेकर, घर के जेवरात बेचकर प्लॉट आवंटित करा लिया, पर आज भी लोग उनके हाथ खाली है। संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अरविंद कुमार का कहना है कि जीडीए केवल एक ही बात पर पिछले सात से हम लोगों को धोखा दे रहा है। स्थिति यह है कि लोगों के जेब पर दो-दो भार पड़ रहा है। एक तो बैंक का हर माह लोन दे रहे हैं और दूसरा मकान किराया अलग से चुका रहे हैं। लोग इस समय बहुत परेशान हैं। कई ऐसे परिवार हैं, जिनको बेटी की शादी करनी है, लेकिन पहले से ही एक लोन होने के कारण दूसरा लोन कैसे लें, उसको लेकर उनके सामने प्रॉब्लम खड़ी हो रही है।

कॉलिंग

चार साल पहले करीब 17 लाख रुपए बैंक से लोन लेकर जीडीए में प्लॉट आवंटित कराने के लिए दिया था। एक सपना था कि अपना भी एक घर होगा, लेकिन अभी तक जीडीए के जिम्मेदार प्लॉट के बारे में कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे हैं। अब हर माह 18 हजार रुपए मंथली ब्याज और 12 हजार रुपए घर का किराया देना पड़ रहा है।

-एसके द्विवेदी, आवंटी

जीडीए के इस योजना में प्लॉट लेने के लिए बैंक से आठ लाख रुपए लोन ली थी। उस समय जीडीए ने भरोसा जताया कि जल्द ही उन्हें प्लॉट मिल जाएगा। अब बैंक को 5 हजार रुपए प्रति माह ब्याज देना पड़ रहा है, इसके साथ ही छह हजार रुपए मकान का किराया देना पड़ रहा है।

-हेमलता, आवंटी

हमने राप्ती नगर विस्तार योजना में तीन लाख रुपए से अधिक जमा किया। सात साल हो गया, लेकिन अभी तक कोई प्लॉट नहीं मिला। अब प्रत्येक माह दो हजार रुपए कर्ज चुका रही हूं और दो हजार रुपए हर माह मकान का किराया देना पड़ रहा है।

चंद्रकला, आवंटी

Posted By: Inextlive