एमएमएमयूटी के एकाउंट से 24.80 लाख की जालसाजी
-एमएमएमयूटी स्थित एसबीआई ब्रांच से फर्जी चेक से निकाले गए रुपए
-जिस चेक से निकला रुपया वह चेक यूनिवर्सिटी के पास हैं मौजूद द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: कॉर्पोरेशन बैंक में फर्जी सिग्नेचर से रुपए निकाले जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि सैटर्डे को एक और फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हो गया। ताजा मामला मदन मोहन मालवीय टेक्निकल यूनिवर्सिटी स्थित भारतीय स्टेट बैंक का है, जहां एमएमएमयूटी के खाते से फर्जी चेक के जरिए 24.80 लाख रुपए जालसाजों ने उड़ा दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि जिन चेक से रुपए निकाले गए हैं, वो चेक बैंक से यूनिवर्सिटी को इश्यू किए गए हैं और सभी चेक यूनिवर्सिटी के पास मौजूद हैं। इसकी सूचना पुलिस को दे दी गई है और बैंक ने भी अपने स्तर से जांच शुरू कर दी है। 11 चेकों के माध्यम से हो गए भुगतान28 अप्रैल को एमएमएमयूटी ने एक व्यक्ति को चेक काटकर दिया था। जब वह बैंक की ब्रांच में उसे भुनाने गया तो बैंक मैनेजर के होश उड़ गए। उस नंबर के चेक का भुगतान हो चुका था। बैंक मैनेजर ने इसकी सूचना यूनिवर्सिटी को दी और रजिस्ट्रार के पास स्वयं चेक लेकर गए। इसके बाद छानबीन में पता चला कि कुल 11 चेकों के माध्यम से 24 लाख 80 हजार 100 रुपए का भुगतान हो चुका है। दो चेक और लगे थे, जिन्हें समय रहते बैंक ने पकड़ लिया और उस पर रोक लगा दी। आश्चर्य की बात यह थी कि जिन चेक नंबरों से भुगतान हुआ था, वे सभी चेक नंबर यूनिवर्सिटी की चेक बुक में सादे पड़े हैं। इतना ही नहीं एक सिरीज के जिस संख्या तक चेक यूनिवर्सिटी द्वारा काटे जा चुके थे, जालसाजों ने उसके आगे की संख्या का चेक बैंकों में लगाया था। इसके अलावे गोरखपुर व आसपास के बैंकों में किसी चेक का भुगतान नहीं कराया गया बल्कि गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार व उत्तर प्रदेश के झांसी से चेकों का भुगतान कराया गया है। यूनिवर्सिटी ने रजिस्टर्ड डाक से इसकी सूचना एसएसपी को भेजी है।
संदेह के दायरे में लेखा विभागजालसाजों द्वारा यूनिवर्सिटी की तरफ से उपयोग में लाए गए चेकों की संख्या के आगे का चेक लगाना यूनिवर्सिटी के लेखा विभाग को संदेह के दायरे में लाता है। सवाल उठता है कि जालसाजों को यह कैसे पता चला कि यूनिवर्सिटी इस सिरीज के इस क्रमांक संख्या का चेक काट चुका है? इससे इतना तो तय है कि जालसाजों का कोई सूत्र लेखा विभाग में मौजूद है।
पहले भी हो चुका है इस तरह का फर्जीवाड़ा भारतीय स्टेट बैंक की रेलवे कालोनी ब्रांच में इसी तरह का फर्जीवाड़ा 14 सितंबर 2012 को सामने आया था। हालांकि इसमें 23 करोड़ का फर्जी भुगतान होने से बच गया था। यहां भी वही चेक लगाए गए थे जो चेक रेलवे के पास सादा पड़े थे। लेखा विभाग की सक्रियता के चलते मामला भुगतान से पूर्व ही पकड़ लिया गया और खाते पर रोक लगा दी गई। सीबीआई की जांच में आरोपी पकड़े गए जो आज भी जेल में है और जांच अभी चल रही है। पैसा करेंगे वापस वहीं इस मामले में एसबीआई के डीजीएम वीएन प्रसाद ने बताया कि यह जांच का विषय है, लेकिन यह तो तय है कि किसी जालसाज ने बैंक को धोखा दिया है। बैंक की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने उपभोक्ता को संतुष्ट करे। इसलिए उपभोक्ता का पूरा पैसा वापस किया जाएगा। जहां से भी भुगतान हुआ है, उन सभी शाखाओं को मेल कर दिया गया है। यह पैसा कलेक्टिव बैंक से लिया जाएगा। क्या कहना है एमएमएमयूटी के रजिस्ट्रार काएमएमएमयूटी के रजिस्ट्रार केपी सिंह ने बताया कि हम तो यह देखकर हतप्रभ रह गए कि जो चेक हमारे पास चेकबुक में पड़े हैं, आखिर उन्हीं चेक पर भुगतान कैसे हो गया। ये चेक कहां से आए, इसके पीछे कौन है, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा। लेकिन यह सवाल मेरे दिमाग में भी है कि जालसाजों को कैसे पता चला कि हम किन नंबरों तक चेक का उपयोग किए हैं। इस मामले में लेखा विभाग में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।