- संरक्षण देने से बिगड़ रहा मामला, हर जगह खेल

- तस्करी को लेकर पहले भी हो चुकी है मुठभेड़

GORAKHPUR: जंगलों सें साखू और सागौन के पेड़ों की अवैध कटान आम है। वन सुरक्षा में लापरवाही से तस्कर पेड़ों की कटान करते हैं। देवरिया और कुशीनगर जिले के बड़े गिरोह भी जिले में एक्टिव हैं। कुसम्ही जंगल से तस्करी करने के आरोप में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। वन विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि जंगल में तस्करों को पनाह देने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जंगल में छोटे-मोटे काम के लिए बुलाए जाने वाले मजदूर ही तस्करों का सहारा बन गए हैं।

जंगल में चलता है लाइन का कोडवर्ड

जंगलों में प्रतिबंधित पेड़ों की कटान के पीछे बड़ा गैंग काम करता है। जंगल से 10 किलोमीटर की परिधि में चलने वाली आरा मशीनों पर रात में लकड़ी चीर दी जाती है। वन विभाग के लोगों का कहना है कि जंगल के आसपास रहने वाले लोगों की मदद से बाहर के तस्कर काम करते है। दिन में घूमकर पेड़ों को चिन्हित किया जाता है। रात में मौका देखकर पेड़ गिराकर बोटे बनाए जाते हैं। जंगल में गाड़ी लगाकर लकड़ी लादी जाती है। इसके लिए कुछ वन कर्मचारियों और पुलिस को लकड़ी पास कराई दी जाती है। तस्कर इसके लिए लाइन कोडवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। रास्ते में पकड़े जाने पर बता देते हैं कि लाइन वाली लकड़ी है। आपस में तालमेल गड़बड़ होने पर कार्रवाई होती है।

कुसम्ही जंगल में पहले भी हुई घटनाएं

- 28 अगस्त 2015: कुसम्ही जंगल में पेड़ काट रहे तस्करों से मुठभेड़, फायरिंग में व्हीकल छोड़कर तस्कर फरार हो गए।

- 19 जनवरी 2015: जंगल में पेड़ काट रहे तस्करों को वन कर्मियों ने मुठभेड़ में दबोचा।

- 28 दिसंबर 2014: वन टांगिया नर्सरी के पास पेड़ काटकर ले जा रहे तस्करों को वन कर्मचारियों ने रोका। तस्करों और वन विभाग के बीच फायरिंग में तस्कर भाग गए। पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी।

- 24 दिसंबर 2013: अवैध ढंग से जलौनी लकड़ी ले जा रहे लोगों पर कार्रवाई हुई। इसके विरोध में तस्करों ने फॉरेस्टर राजेश पांडेय और वन अजीत सिंह पर हमला किया। इस मामले में सात नामजद और दो अज्ञात पर मुकदमा दर्ज कराया गया। लेकिन पुलिस किसी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर सकी।

- वर्ष 2011 में रात रजही बीट में वॉचर भभूति को तस्करों ने पेड़ में बांधकर पीटा था। इस मामले में सिर्फ एक आरोपी गिरजा पकड़ा गया।

टिकरिया जंगल में लाखों की बेत बरामद

जंगलों में साखू, सागौन के साथ बेत की तस्करी भी होती है। जंगल टिकरिया से दिल्ली जा रही दो लाख कीमत की बेत की टोकरी पकड़ी गई। सोमवार की रात वन सुरक्षा अधिकारी महेंद्र यादव को किसी ने सूचना दी। वन विभाग की टीम जंगल में पहुंची तो जंगल में खड़े डीसीएम पर बेत की टोकरी लादी जा रही थी। वन कर्मचारियों ने ड्राइवर को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में उसकी पहचान सहजनवां एरिया के नगवा, जैतपुर निवासी हरिशंकर के रूप में हुई। उसने बताया कि ट्रांसपोर्ट से गाड़ी बुक कराकर लकड़ी पहुंचाने के लिए कहा गया था। इसके पहले भी टिकरिया जंगल के पास बेत की बरामदगी हो चुकी है। बांसथान के पास वन विभाग ने कार्रवाई में एक पिकअप पर बेत बरामद किया। वन विभाग के लोगों का कहना है कि करीब 10 साल से वन निगम बेत का कटान नहीं कर रहा है। इससे तस्करी बढ़ती जा रही है।

इन जंगलों भी सक्रिय हैं तस्कर

भेलम उर्फ टिकरिया

कैंपियरगंज, फरेंदा

बनगाई, ब्रहमपुर - बेलटीकर

रामनगर कड़जहां

जंगल में कटान की सूचना पर वनकर्मचारियों ने दबिश दी। मुठभेड़ होने पर तस्करों ने वन कर्मचारियों पर हमला किया। सभी को चिन्हित किया जा रहा है। उनके खिलाफ जानलेवा हमला करने, जंगल से पेड़ काटने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कराकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ। जनार्दन, डीएफओ

Posted By: Inextlive