कोरोना संक्रमण की थर्ड वेव की आहट के पहले गोरखपुर में एक्सरसाइज तेज हो गई है. डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन और हेल्थ डिपार्टमेंट पूरी तह से अलर्ट है. ओमिक्रॉन के मद्देनजर एहतियातन कोविड टेस्टिंग बढ़ाने के साथ कांटैक्ट ट्रेसिंग और ट्रैवल हिस्ट्री लेने का काम शुरू कर दिया है. वहीं अब फोकस बच्चों पर है. गोरखपुर जिले में बनाए गए शेल्टर होम के बच्चों व किशोरों को कोविड के नए वैरिएंट से बचाने के लिए गाइडलाइन जारी की गई है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। बता देें, गोरखपुर जिले में कुल आठ शेल्टर होम हैैं, जहां पर 0-18 वर्ष तक के बच्चे हैैं। लेकिन इनमें दो ऐसे शेल्टर होम प्रोविडेंस होम, शिशु गृह (0-10 वर्ष) व प्रोविडेंस होम, बालिका गृह (10-18 वर्ष) में रहने वाले बच्चे पूरी तरह से मल्टीपल डिसैबल्ड हैैं। इन बच्चों की केयरिंग के लिए आया की तैनाती की गई है। जो प्रॉपर निगरानी करती हैैं। कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर आठों शेल्टर होम के बच्चों के केयरिंग करने वाले स्टाफ का वैक्सीनेशन कराने पर जोर दिया गया है। जहां पर सभी स्टाफ के वैक्सीनेशन हो चुके हैैं, उन सभी की लिस्ट तैयार की जा रही है। इसके अलावा जो बच्चे अगर किसी प्रकार से बीमार होते हैैं, तो उन्हें सेपरेट करते हुए उनके इलाज के लिए डाक्टर तुरंत तैनात किए जाएंगे। सेकेंड वेव में स्टाफ हुआ था संक्रमित


डीपीओ सरबजीत सिंह ने बताया, कोरोना की फस्र्ट और सेकेंड वेव में शेल्टर होम का स्टाफ संक्रमित हो गया था। थर्ड वेव को देखते हुए पूरे स्टाफ का वैक्सीनेशन करा दिया गया है, लेकिन जो बचे हैैं या जिन्होंने दूसरी डोज नहीं ली है। उनकी लिस्ट बनाकर उनका भी वैक्सीनेशन करा रहे हैैं। उन्होंने बताया, हमारा फोकस मल्टीपल डिसैबल्ड बच्चों पर है, जिनकी निगरानी की जा रही है। मनोचिकित्सक डॉ। अमित शाही समेत अन्य डाक्टर की टीम लगातार बच्चों की मनोदशा पढ़ते हुए उन्हें भय मुक्त बनाने का काम कर रहे हैैं। शेल्टर होम के लिए ये गाइडलाइन जारी - 0-10 वर्ष व 11 से 18 वर्ष के बच्चों पर निगरानी रखना।- सेकेंड वेव में पॉजिटिव हुए लोगों की सूची बनाना व उनके वैक्सीनेशन की रिपोर्ट। - बाल संरक्षण अधिकारी डॉ। सुमन शुक्ला द्वारा लगातार बच्चों की काउंसलिंग करना। - डाक्टर की निगरानी में बच्चे के हेल्थ चेकअप करना। यह डेली रूटीन में शामिल होना चाहिए। - किसी भी बच्चे के बीमार होने पर उसे बाकी के बच्चों से अलग रखने की व्यवस्था करना। - किसी भी बच्चे के बीमार पडऩे पर उसकी तत्काल सूचना देनाहोम का नाम - स्वीकृत क्षमता - आवासित की संख्या राजकीय संप्रेक्षण गृह किशोर - 50 - 138 राजकीय महिला शरणालय - 75 - 55प्रतिक्षा बालिका गृह 10-18 वर्ष- 25 - 30 स्नेहालय खुला आश्रय गृह 10-18 वर्ष - 25 - 18बाल गृह शिशु 0-10 वर्ष - 50 - 47

प्रोविडेंस होम, 0-10 वर्ष - 25 - 26प्रोविडेंस होम, बालिका गृह - 50 - 15आसरा विशेष स्कूल, 10-18 वर्ष - 25 - 23 वर्जनसंभावित थर्ड वेव को लेकर शेल्टर होम में रखे गए बच्चों पर पूरी नजर रखी जा रही है। इसके लिए शासन से आई गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। बाल संरक्षण अधिकारी बराबर निगरानी कर रही हैैं। उनको निर्देशित किया जा चुका है।सरबजीत सिंह, डीपीओ

Posted By: Inextlive