बड़ों के झगड़े में बच्चों पर केस
- झंगहा एरिया के राजधानी चिडि़या गांव का मामला
- बच्चों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर GORAKHPUR: पट्टीदारी के झगड़े में मासूम बच्चों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा कराने का मामला सामने आया है। माता-पिता से लड़ रहे बड़ों ने दो बच्चों के खिलाफ हत्या, रेप की कोशिश, पाक्सो एक्ट जैसी गंभीर धाराओं का आरोपी बनवा दिया। मासूमों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके पुलिस परेशान हो गई है। अधिकारियों का कहना है कि तफ्तीश में बच्चों को मुकदमे से बाहर कर दिया जाएगा। एसएसपी को महिला ने दिया पत्रझंगहा एरिया के राजधानी चिडि़या टोला निवासी सतीश कुमार का विवाद पट्टीदारों से चलता है। भूमि को लेकर चल रहे विवाद में दोनों पक्ष कई बार आमने-सामने हो चुके हैं। शुक्रवार को सतीश की पत्नी सावित्री एसएसपी से मिलने पहुंची। महिला ने प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया कि उसके चार और छह साल के बच्चों को मुकदमे में मुल्जिम बनाया गया है। महिला ने कहा कि पति-पत्नी के साथ ही उनके मासूम बच्चों को अभियुक्त बनाकर अन्याय किया जा रहा है।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा धारा 323 मारपीट धारा 307 हत्या के प्रयास धारा 324 शार्प हथियार से चोट पहुंचानाधारा 354 ए छेड़छाड़
धारा 504 गाली देना धारा 506 जानमाल की धमकी बच्चों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो सकता है। मुकदमा दर्ज होने के बाद यदि विवेचना के दौरान इस पर ध्यान न दिया जाए तो तब गंभीर मसला होगा। 154 सीआरपीसी के तहत यह व्यवस्था दी गई है कि तहरीर के अनुसार मुकदमा दर्ज करके नियुक्त विवेचक से आरोपों की जांच कराई जाए। विवेचना में तथ्यों के दोषपूर्ण मिलने पर उनको संशोधित करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकरण में विवेचक यह प्रक्रिया अपना सकते हैं। अजय कुमार तिवारी, एसआई कई बार पुलिस, न्यायालय को गुमराह करके फर्जी मुकदमे दर्ज करा दिए जाते हैं। ऐसे मामलों में पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि वह सही ढंग से विवेचना करे। इसमें लापरवाही होने पर मामलों में गड़बड़ी हो सकती है। इसलिए संबंधित थाना की पुलिस इस प्रकरण को दुरुस्त कर सकती है। ओंकारनाथ भट्ट, अधिवक्ता, दीवानी कचहरी कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज किया गया था। विवेचना में बच्चों नाम हटा दिया जाएगा। इस मामले मे हर पहलू की बारीकी से जांच की जाएगी। शेषनाथ यादव, प्रभारी एसओ झंगहा