चलती ट्रेन में एफआईआर, सॉरी यार
- चलती ट्रेन में पिछले कई महीने से नहीं दर्ज हो रहे एफआईआर, रेलवे बोर्ड के रूल्स की उड़ाते हैं धज्जियां
GORAKHPUR: चलती ट्रेन में होने वाली घटनाओं को दर्ज करने ऑन स्पॉट एफआईआर स्कीम दम तोड़ती सी नजर आ रही है। आलम यह है कि चलती ट्रेन में घटना के शिकार यात्रियों को रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए स्टेशन तक पहुंचने का इंतजार करना पड़ रहा है। कई बार घटना स्थल के चक्कर में यात्रियों की एफआईआर भी लॉज नहीं की जाती। इन दिनों हालत यह है कि एक के बाद एक जहरखुरानी और चोरी की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन जिम्मेदार बजाए फैसिलिटी मुहैया कराने के, पुरानी सुविधा को भी बोझ की तरह ढो रहे हैं। रेलवे बोर्ड के नियमों की उड़ाते हैं धज्जियांचलती ट्रेन में अगर यात्री का सामान चोरी होता है या फिर लूट, हत्या जैसे वारदात पेश आती हैं, तो इसके लिए रेलवे ने चलती हुई ट्रेंस में एफआईआर करने की फैसिलिटी शुरू कर दी थी। गोरखपुर से चलने वाली 118 ट्रेंस में इसकी शुरुआत हुई थी। बोर्ड ने एस-1 में 63 नंबर बर्थ जीआरपी के लिए रिजर्व कर रखी है। लेकिन हालत यह है कि स्टेशन से गुजरने वाली किसी भी ट्रेन में एफआईआर दर्ज करने की प्रॉसेस बंद पड़ी हुई है। आलम यह है कि चलती ट्रेन में होने वाली घटनाओं के मामले में एफआईआर लॉज कराने के लिए यात्रियों को स्टेशन पर मौजूद जीआरपी थाने तक आना पड़ता है। कई बार इस चक्कर में यात्रियों की ट्रेन भी छूट जाती है।
20-22 ट्रेन में है जीआरपी एस्कार्ट की तैनाती गोरखपुर जंक्शन स्थित जीआरपी थाने से मिली जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर स्टेशन और स्टेशन गुजरने वाली करीब 20-22 ट्रेन में जीआरपी की एस्कॉर्ट चलती है। लेकिन इन दिनों सिर्फ खानापूर्ति के लिए 2-4 सिपाही की तैनाती होती है। जीआरपी अधिकारियों की मानें तो उनके पास मैन पॉवर की भारी कमी है। जिसके चलते वह एस्कॉर्ट में मानक के अनुरूप फोर्स नहीं लगा पाते हैं। यही रीजन है कि चलती ट्रेन में एफआईआर लॉज कराने में प्रॉब्लम आती है। क्या है नियमचलती ट्रेन में एफआईआर लॉज करने के लिए जीआरपी व आरपीएफ दोनों की जिम्मेदारी है। अगर किसी यात्री के साथ कोई मिसहैपनिंग हो जाती है तो वह तत्काल प्रभाव से ट्रेन में एस्कार्ट कर रही जीआरपी या फिर आरपीएफ से अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके साथ ही टीटीई और कोच कंडक्टर भी आपकी कंप्लेन दर्ज करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता है। जीआरपी व आरपीएफ एस्कॉर्ट के मानक के अनुसार, चलती ट्रेन में एस्कॉर्ट टीम में एक दरोगा, एक हेड कांस्टेबल और दो सिपाही होने चाहिए, ताकि दरोगा किसी भी घटना को दर्ज कर सके।
केस स्टडी - नई दिल्ली से गोरखपुर आ रहे साहिल कुमार का गाजियाबाद के पास किसी ने लगेज चोरी कर लिया। काफी देर तक वह परेशान रहा, लेकिन ट्रेन में उसकी एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। उसे गोरखपुर जीआरपी थाने पर एफआईआर लॉज करानी पड़ी। - लखनऊ से गोरखपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस से गोरखपुर आ रहे विनोद कुमार सिंह का गोंडा स्टेशन के पास लगेज चोरी हो गया। लेकिन एफआईआर दर्ज कराने के चक्कर में उन्हें गोंडा स्टेशन पर उतरना पड़ा। तब जाकर उनका केस रजिस्टर्ड हुआ। - कुशीनगर एक्सप्रेस में मुंबई से गोरखपुर आ रहे व्यापारी संदीप टेकड़ीवाल का 17,567 रुपए नगदी, सूटकेस समेत महंगे कपड़े चोरी हो गए। लखनऊ में उनका सामान चोरी हुआ, लेकिन न तो ट्रेन में रिपोर्ट दर्ज हुई और न ही थाने में, मजबूरी में उन्हें गोरखपुर जीआरपी का चक्कर लगाना पड़ा।चलती ट्रेन में होने वाले किसी भी घटना के लिए कांस्टेबल हैं। उन्हें निर्देश दिया गया कि वह यात्री के कंप्लेंट को लेकर नियरेस्ट थाने पर रिपोर्ट करें। ताकि पीडि़त यात्री की रिपोर्ट दर्ज हो सके।
- हरिश चंद्र, एसपी जीआरपी, गोरखपुर अनुभाग