मौत के बाद टूटी जीएमसी की नींद
-सांड़ के हमले से ट्यूज्डे को बिजनेसमैन की हो गई थी मौत
- वेंस्डे को सुबह चार बजे से दोपहर तक पकड़े गए छुट्टा पशु - जीएमसी की लापरवाही, तहरीर मिलने पर दर्ज होगा मुकदमाGORAKHPUR: सिटी में जीएमसी की लापरवाही लोगों की जान पर भारी पर रही। छुट्टा पशु लोगों की जान ले रहे हैं जीएमसी के अधिकारी चैन की बंसी बजा रहे हैं। ट्यूज्डे को सांड़ के हमले में घायल बिजनेसमैन की जान चली गई। बिजनेसमैन के फैमिली मेंबर्स अब जिम्मेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी कर रहे। यह सामने आने के बाद जीएमसी अफसरों की नींद खुली। वेंस्डे को तिवारीपुर एरिया में छुट्टा पशुओं को पकड़ा गया लेकिन उनको कांजी हाउस में छोड़ने की बजाय सिटी के दूसरे हिस्से में छोड़ दिया गया। बिजनेसमैन की मौत के बाद सिटी में लोग सहमे हुए हैं। लोगों का कहना है कि लापरवाही करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है।
सांड़ के हमले में हो गई बिजनेसमैन की मौततिवारीपुर एरिया के नरसिंहपुर निवासी बाबूलाल कपड़ों का बिजनेस करते थे। मंडे नाइट शॉप के पास सांड़ ने उनपर हमला कर दिया। सीगों से उठाकर सांड़ ने कई बार पटका। गंभीर हाल बाबूलाल को एक नर्सिग होम में एडमिट कराया गया, जहां उनकी जान चली गई। बेटी की शादी की तैयारियों में जुटे बाबूलाल की फैमिली पर मुसीबत आ गई। इस बात की जानकारी होने पर पब्लिक आक्रोशित हो गई। लोगों ने कहा कि बाबूलाल की मौत के जिम्मेदार नगर निगम के अफसर और मेयर हैं। छह माह से सांड़ पकड़ने की मांग की गई थी, लेकिन किसी के कान पर जूं नहीं रेंगा। इस मामले में फैमिली मेंबर्स मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी में हैं।
नगर निगम के झाड़ा पल्ला सांड़ के हमले में बाबूलाल की मौत के लिए जीएमसी जिम्मेदार नहीं है। यह हम नहीं बल्कि नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों का कहना है। मेयर और अफसरों का कहना है कि एनजीओ चलाने वाली अपर्णा त्रिपाठी और अपराजिता माथुर सांड़ नहीं पकड़ने देती। जीएमसी का कैटल कैचिंग दस्ता निकलने पर व्हीकल के आगे खड़ी हो जाती है। एनजीओ की तरफ से याचिकाएं भी दाखिल की गई हैं। एनजीओ का कहना है कि जब पशुओं को रखने का इंतजाम नहीं तो पकड़ने की कार्रवाई क्यों होती है। एनजीओ के बहाने जीएमसी के लोग घटना से पल्ला झाड़ने में लगे हैं। जागा जीएमसी, पकड़ने पहुंचे सांड़बिजनेसमैन की मौत के बाद जीएमसी प्रशासन की नींद खुली। वेंस्डे को सांड़ पकड़ने के लिए जीएमसी के कर्मचारी पहुंचे। पहली बार मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी अरुण कुमार एक्टिव नजर आए। सुबह चार बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक तिवारीपुर एरिया के नरसिंहपुर में अभियान चलाया गया। इस दौरान बिजनेसमैन पर हमला करने वाले सांड़ सहित कुल क्0 पशुओं को पकड़ा गया। जीएमसी कर्मचारियों ने उनको फर्टिलाइजर स्थित कांजी हाउस में छोड़ दिया। जीएमसी की कार्रवाई पर लोगों ने कहा कि अब एनजीओ क्यों नहीं आड़े आया।
एनजीओ और जीएमसी की लड़ाई में मरती रहे पब्लिक एनजीओ पर पल्ला झाड़कर जीएमसी के लोग पिंड छुड़ाने में लगे हैं। करीब दो साल से यह लड़ाई चल रही है। पूर्व नगर आयुक्त के कार्यकाल में भी यह मामला उठा था। वर्तमान नगर आयुक्त राजेश त्यागी भी इस प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं। लापरवाही की हद तो तब हो गई जब दो साल बाद भी पशुओं को पकड़ने, उनके रखरखाव का इंतजाम नहीं हो सका। अफसरों का कहना है कि जब तक पशुओं का रखने का इंतजाम नहीं होता। तब तक छुट्टा पशुओं को नहीं पकड़ा जाएगा। इससे यह साफ हो गया है कि सांड़ों के हमले में अभी कई अन्य लोगों को जान गंवानी पड़ेगी।दस्ता, बजट, कर्मचारी, फिर भी सो रहे अधिकारी
सिटी में छुट्टा पशुओं को पकड़ने के लिए जीएमसी का कैटिल कैचिंग दस्ता बनाया गया है। यह मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी के अधीन काम करता है। इस दस्ते में क्ख् से अधिक कर्मचारियों की तैनाती की गई है। इसके लिए हर साल करीब पांच साल का बजट खर्च किया जाता है। ठेके पर पशुओं को पकड़वाया जाता है। ठेकेदार के कर्मचारियों की ड्यूटी होती है कि वे सिटी में विभिन्न इलाकों में घूमकर छुट्टा पशुओं को पकड़ें। इसमें सांड़ और बछड़े भी शामिल हैं। हाल ही में जीएमसी प्रशासन ने पशु मालिकों को नोटिस भेजने की योजना बनाई है। जीएमसी की गणना में क्म् सौ छुट्टा पशुओं को चिन्हित किया गया है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए शाम सात बजकर आठ मिनट पर नगर आयुक्त के सीयूजी 7म्0700फ्70क् पर कॉल किया। करीब पांच बार बात करने के प्रयास में हर बार स्वीच ऑफ होने का जवाब आता रहा। बाबूलाल के पहले हुई है लोगों की मौतसांड़ के हमले में रोजाना लोग घायल होते हैं। इसके पहले डीडीयू गोरखपुर के पूर्व कुलपति विश्वभरशरण पाठक की मौत हो चुकी है। एक साल पूर्व शाहपुर में सांड़ के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। रोजाना कोई न कोई बाइक सवार, महिलाएं या बच्चे इन छुट्टा पशुओं केहमले में घायल होते हैं। टैक्स देने वाली पब्लिक को सांड़, कुत्तों, बंदरों से मुक्त रखने की जिम्मेदारी जीएमसी की है, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़े हुए है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार जानवरों के पकड़ने पर एनजीओ के लोग बवाल करते हैं। अपराजिता माथुर और अपर्णा त्रिपाठी के विरोध से पशुओं को नहीं पकड़ा जा सका। सांड़ पकड़ने के बाद रखने की जगह का इंतजाम नहीं था। इसलिए छुट्टा पशुओं को पकड़ा जा सका। डॉ। सत्या पांडेय, मेयर आज पशुओं को पकड़ा गया है। इसमें बिजनेसमैन पर हमला करने वाला सांड़ भी शामिल है। आठ-क्0 पशुओं को पकड़कर कांजी हाउस में रखा गया है। आगे कहां यह अभियान चलाया जाएगा, इसके बारे में कोई निर्णय नहीं हो सका है। डॉ। अरुण कुमार, मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी बिजनेसमैन की मौत के लिए जीएमसी जिम्मेदार है। छह माह से सांड़ को पकड़ने की मांग की जा रही थी लेकिन किसी ने सुधि नहीं ली। जीएमसी चाहे जो बहाने करे। बिजनेसमैन के फैमिली मेंबर्स के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती। सौरभ विश्वकर्मा, पार्षद छुट्टा पशुओं के हमले में रोजाना लोग घायल होते हैं। बाबृलाल की मौत एक दुखद घटना है। इस मामले को बोर्ड की मीटिंग में उठाया जाएगा। मौत के लिए सीधे तौर पर जीएमसी जिम्मेदार है। इससे कोई भी अपना पिंड नहीं छुड़ा सकता। जियाउल इस्लाम, पूर्व डिप्टी मेयर तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के पहले विधिक राय भी ली जाएगी। हालांकि इसमें नगर निगम की पूरी लापरवाही नजर आ रही है। राजीव सिंह, एसओ तिवारीपुर यह नगर निगम के मूल कार्यो में शामिल है। नगर आयुक्त ने कहा है कि छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाएंगे। इस संबंध में नगर आयुक्त बेहतर बता सकेंगे। रंजन कुमार, डीएम