शान के साथ निकला पांचवी मोहर्रम का रवायती जुलूस
-हजारों की भीड़ मियां साहब की झलक पाने को दिखी बेताब
-5वीं और 10वीं मोहर्रम पर निकलता है बड़ा रवायती जुलूस GORAKHPUR : मियां साहब इमामबाड़ा स्टेट से पांचवीं मोहर्रम का शाही जुलूस पुरानी रवायत के मुताबिक पूरी शानो शौकत के साथ निकाला गया। जुलूस की अगुवाई में सबसे आगे इमामबाड़ा इस्टेट का परचम उसके बाद मियां साहब के पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड सफेद व आसमानी वर्दी पहने लंबी कतारों में नजर आए। कई अदद बैंड और शहनाई वादक के साथ निजी सैनिकों ने जुलूस में चमक बिखेर दी। इस जुलूस में घुड़सवार भी आगे-आगे चलते नजर आए। मियां साहब ने सफेद चमचमाती हुई पैरहन पहनकर जुलूस की अगुवाई की। उन्होंने अपने सहयोगियों और पर्सनल गार्ड्स के साथ गश्त पूरी की। जुलूस को देखने उमड़ा हुजूमजिन रास्तों से मियां साहब के जुलूस को गुजरना था, वहां पर सुबह से ही देखने वालों की भीड़ इकट्ठा होनी शुरु हो गई। जब मियां साहब का जुलूस लोगों के सामने से गुजरा तो इस दौरान उन्हें देखने के लिए लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा। जुलूस के रास्ते में आने वाले सभी मकान सिटी के लोगों से खचाखच भरे हुए थे। मियां साहब की एक झलक पाने के लिए लोग काफी उत्सुक दिखे। आवाम की भीड़ इतनी थी कि सड़क तंग नजर आई। वहीं सड़क के किनारे दोनों ओर की छतों पर औरतों और बच्चों की जबरदस्त भीड़ देखने को मिली।
कई इलाकों से गुजरा जुलूस पांचवी मोहर्रम का रवायती जुलूस शहर के कई अहम इलाकों से होकर गुजरा। इसकी शुरुआत इमामबाड़ा के पश्चिम फाटक से हुई वहां से बक्शीपुर, थवई का पुल, अलीनगर, चरन लाल चौक, जाफरा बाजार होता हुआ घासीकटरा स्थित कर्बला पहुंचा। जहां पर मियां साहब ने फातिहा पढ़ा और थोड़ा आराम किया। इसके बाद जुलूस घासीकटरा चौक, मिर्जापुर, साहबगंज, खूनीपुर होते हुए अंजुमन इस्लामियां पहुंचा। जहां थोड़ा आराम के बाद नखास चौक, कोतवाली होता हुआ इमामबाड़ा दक्षिण फाटक से इमामबाड़ा के अंदर दाखिल हुआ। मियां साहब और जुलूस का कई जगह अस्तकबाल हुआ। जुलूस में उनकेसाथ मुख्य रूप से जमाल अहमद, जुल्फेकार अहमद, मंजूर आलम, सैयद शहाब अहमद, हाजी अमीरूद्दीन, तौकीर आलम, शकील शाही समेत बड़ी तादाद में लोग मौजूद रहे। पुलिस प्रशासन रहा मुस्तैदजुलूस को अमन और चैन के साथ निकलवाने में पुलिस और प्रशासन का भी खास रोल रहा। जिन राहों से जुलूस गुजरना था, उन रास्तों पर पुलिस के जवान मुस्तैद नजर आए। वहीं प्रशासनिक और पुलिस के आला अधिकारी भी जुलूस के साथ नजर आए। जुलूस को सकुशल सपन्न कराने में पुलिस और प्रशासनिक अमले की सक्रियता पर इमामबाड़ा इस्टेट के मुतवल्ली, सज्जादानशी अदनान फर्रुख अली शाह ने तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।
--------------------- जिंदा थे और आज भी जिंदा हुसैन है : अख्तरGORAKHPUR : मोहर्रम की पांचवीं तारीख को गाजी रौजा मस्जिद में चल रहे जिक्रे शोहदाए कर्बला का समापन हो गया। इस मौके पर मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के मुफ्ती मौलान अख्तर हुसैन ने कहा कि कर्बला की दोपहर के बाद दास्तां सुनन से पहले दर्दनाक मंजर निगाहों के सामने लाइए। सुबह से दोपहर तक मोहम्मद साहब के खानदान के तमाम चश्मों चिराग एक करके शहीद हो गये। नजर के सामने लाशों का अंबार, उनमें जिगर के टुकड़े भी है, तो वहीं भाई और बहन के लाडले भी हैं, और बाप की निशानियां भी, इन बेगोरों कफन जनाजाें पर कौन आसूं बहाये? तन्हा एक हुसैन और दोनों जगह की उम्मीदों का हुजूम। तीन दिन के भूखे प्यासे इमाम पहाड़ों की तरह जमी हुई फौजों के मुकाबले में शेर की तरह डट कर खड़े हो गए। इसके बाद हक और बातिल के बीच जबरदस्त मुकाबला शुरू हुआ। तीर नेजा और शमशीर के बहत्तर (72) जख्म खाने के बाद आप सज्दे में गिरे और अल्लाह का शुक्रअदा करते हुए वासिले बहक हो गए। 65 साल 5 माह 5 दिन की उम्र में जुमा के दिन मोहर्रम की दसवीं तारीख को दुनियास को अलविदा की दिया। मजलिस में प्रोग्राम की शुरुआत तिलावते कुरआन पाक से हुई। नात शरीफ हाफिज रहमत अली ने पढ़ी। इस मौके पर मस्जिद के पेश इमाम हाफिज रेयाज अहमद, ताबिश सिद्दीकी, औरंगजेब, मोहम्मद दबीर, हाजी शब्बीर, मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद आजम, मोहम्मद शादाब, शहबाज, अशरफ राईनी, सेराज, फैज, फहीम उबैद सहित तमाम लोग मौजूद रहे।