लेकिन सरिता के हाथों में सजेगी मेंहदी
- दूल्हे के पिता ने कहा, ऐसे मौके पर हम नहीं छोड़ सकते अपने समधी का साथ
sunil.trigunayat@inext.co.in आपने फिल्म विवाह तो देखी होगी। जहां, शादी से ऐन पहले हुई दुर्घटना में दुल्हन बनी अमृता राव झुलस जाती है। इसके बावजूद दूल्हा बने शाहिद कपूर उसके साथ शादी रचाते हैं। बेलीपार की सरिता के घर दुखों का पहाड़ टूटा है, फिर भी उसे खुशनसीब ही कहा जाएगा। घर में भीषण डकैती के बावजूद दूल्हे के परिवार ने साथ नहीं छोड़ा है और शादी के लिए अब भी तैयार हैं। गांव के लोग इसे मानवता की मिसाल कह रहे हैं। दु:ख की घड़ी में साथ हैंगौरतलब है कि लालजी पाल की बेटी की शादी 25 तारीख को पिपराइच एरिया के बैलो निवासी बलराम पाल के बेटे वंशीधर पाल से होनी है। आई नेक्स्ट रिपोर्टर से विशेष बातचीत में बलराम ने बताया कि इस घटना से सभी आहत हैं। इस दु:ख की घड़ी में मैं अपने समधी के साथ हूं। रिश्ता तो जुड़ चुका है। शादी तो महज रस्म-अदायगी है। जैसा लड़की के परिवार के लोग कहेंगे वैसा ही किया जाएगा। बारात तो तय तारीख पर ही जाएगी।
एक झटके में खो गई खुशियांशादी में शगुन गीत आए जा रहे थे। महिलाएं सरिता की शादी में पहना जाएगा, कैसे क्या होगा, इस पर चर्चा कर रही थीं। बाहर के बरामदे में अन्य महिलाएं शगुन का गीत गा रही थीं। देर रात अचानक डकैतों ने मकान पर हमला बोलकर एकाएक सभी की खुशियां छीन लीं। शनिवार को आलम यह था कि हर किसी के दहशत फैली हुई थी।
सरिता भी है गमगीन सरिता जिंदगीभर की खुशियों को अपने दामन में समेट लेने के अरमान पाले हुई थी। इस घटना ने उसे भी मानसिक रूप से आघात दिया है। शादी से चंद दिन पहले ही हुई इतनी बड़ी घटना पर सरिता ने कहा कि मेरी मां ने शादी के लिए जेवर बनवाए थे। भाई का जेवर भी रखा हुआ था। साथ ही घर आई महिलाओं ने भी अपने जेवरात ले रखे थे। डकैत सभी समेट कर ले गए। वह सिर्फ जेवर नहीं ले गए, हमारी खुशियों को समेट ले गए। अधूरा रह गया भाई का अरमानसरिता के भाई श्रीराम की मौत की सूचना पर पूरा परिवार आंसूओं में डूब गया। बहन सरिता ने भाई की मौत की खबर सुनी तो उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उसने बताया कि शादी तय होने के बाद उसके अपने अरमान थे कि वह अपनी बहन को विदा करे, लेकिन डकैतों ने एक झटके में खुशिया को मातम में बदल दिया। मां गुलाइची देवी का भी हाल बुरा था। इतना ही नहीं पिता लालजी का भी हाल बुरा था। घर में जो भी रिश्तेदार आए थे, वह भारी मन से पीडि़त परिवार को सांत्वना दे रहे थे।