हर बार बच जाते मिलावटी के सरदार
-आबकारी विभाग नहीं करता कोई कार्रवाई
-एसटीएफ गोरखपुर ने फिर पकड़ी फैक्ट्री GORAKHPUR: पूर्वाचल के जिलों में मिलावटी शराब का अवैध कारोबार खूब चल रहा है। अवैध शराब की फैक्ट्री में बनी मिलावटी शराब बनाकर कारोबारी आराम से खपा रहे हैं। गोरखपुर के दो बड़े कारोबारी अंबेडकर नगर जिले में मिलावटी शराब की फैक्ट्री चला रहे थे। एसटीएफ गोरखपुर यूनिट ने अंबेडकर नगर स्थित पुरानी राइस मिल में चल रही फैक्ट्री का पर्दाफाश किया। एसटीएफ के सीओ ने कहा कि मिलावटी शराब के संचालक चौरीचौरा निवासी दो कारोबारियों की तलाश की जा रही है। पहले भी शहर और आसपास के इलाकों में आधा दर्जन से अधिक मिलावटी शराब बनाने की फैक्ट्री पकड़ी जा चुकी है। लेकिन किसी मामले में असली कारोबारियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। बुधवार शाम पुलिस ने की कार्रवाईगोरखपुर शहर के साथ-साथ आसपास के इलाकों में मिलावटी शराब बनाने की कई फैक्ट्री चल रही है। इसकी जानकारी पर एसटीएफ गोरखपुर यूनिट मिलावटी कारोबार को खराब करने में लगी है। बुधवार शाम गोरखपुर से सटे अंबेडकर नगर जिले के बार्डर स्थित अहिरौली गांव में मिलावटी शराब का कारोबार चलने की सूचना एसटीएफ को मिली। पुलिस ने बंद पड़े राइस मिल पर छापा मारा। चार लोगों को अरेस्ट करके पुलिस ने उनसे पूछताछ की। तब कारोबार का सच सामने आया।
गोरखपुर के कारोबारी चला रहे फैक्ट्री पकड़े गए लोगों की पहचान आदित्य एडिबल प्राइवेट लिमिटेड राइस मिल मालिक सोनावा गांव के अहिरौली निवासी सुरेश सिंह, चौरीचौरा एरिया के चौरा निवासी विकास गौंड, पिठौरा निवासी सुनील यादव और कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया- बड़हरा निवासी हीरालाल के रूप में हुई। पकड़े गए लोगों ने बताया कि 2002 में राइस मिल खुली थी। लोन की वजह से 2015 में फैक्ट्री बंद हो गई। राइस मिल मालिक आदित्य प्रताप सिंह ने गोरखपुर निवासी प्रदीप जायसवाल, संतोष कुमार जायसवाल और सौरभ जायसवाल के साथ मिलकर फैक्ट्री शुरू कर दी। आरओ प्लांट का एग्रीमेंट, कार से सप्लाई पुलिस जांच में सामने आया कि प्रदीप जायसवाल ने किराए पर राइस मिल ली। विजय के नाम से उसने 26 अप्रैल को एग्रीमेंट कराया। इसके बाद फैक्ट्री चालू करके कारोबार देसी और अंग्रेजी शराब की विभिन्न ब्रांड बनाकर बाजार में सप्लाई देने लगे। नकली शराब पहुंचाने के लिए कारोबारी कार से विभिन्न जिलों में पहुंचाते थे। इतना माल हुआ बरामद - विभिन्न ब्रांड की 1400 पेटी (65000 बोतल) नकली शराब। - पैकिंग के लिए रखा 1000 बोतल आधी बनी नकली शराब।- 100 ड्रम केमिकल (संदिग्ध स्परिट) और शराब के विभिन्न ब्रांड (लाखों की संख्या) में नकली बोतल, ढक्कन, रैपर व होलोग्राम।
- बोतल सील करने की मशीन - निर्मित शराब का परसेंटेज चेक करने की मशीन, प्रेशर मशीन, प्यूरीफायर सिलेंडर मशीन, टैब युक्त ड्रम, पाइप सिलेंडर। - एक रिवॉल्वर कारतूस, एक स्कॉर्पियो, एक होंडा सिटी कार, दो बाइक बरामद। सामने आई ये बातें - पकड़े गए कारोबारी, रैकेट से जुड़े लोग सरकारी शराब के ठेकेदारों से जुड़े हैं। - गोरखपुर में शिकंजा कसने पर बस्ती में फैक्ट्री बनाई फिर अंबेडकर नगर में चले गए। - देसी के साथ-साथ अंग्रेजी शराब की खेप भी करते हैं तैयार। - गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर सहित कई जिलों में बेची जाती है नकली शराब -22 अगस्त में एक टैंकर से स्पिरिट उतरने पर पुलिस ने बढ़ाई सक्रियता -दुकानों की चेकिंग नहीं कराता आबकारी विभाग, बच कर निकल जाते हैं ठेकेदार वर्जन मिलावटी शराब की फैक्ट्री पकड़ी गई है। हमलोग पूरा मामला जिला पुलिस को सौंप देते हैं। आबकारी विभाग को थानों की पुलिस के साथ मिलकर कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन आगे की कार्रवाई न होने से कारोबार से जुड़े अन्य लोग बच जाते हैं। विकास चंद त्रिपाठी, सीओ एसटीएफ