बच गया फर्जीवाड़ा होते-होते
- काउंसिलिंग के दौरान सामने आया एडमिशन में फर्जीवाड़े का मामला
GORAKHPUR : दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में कोटे के तहत एडमिशन कराने का सनसनीखेज मामला पकड़ा गया। दीक्षा भवन में चल रही काउंसिलिंग के दौरान बीए में एडमिशन कराने पहुंचे एक डीडीयू कर्मचारी ने अपने एक रिश्तेदार का एडमिशन कर्मचारी पाल्य कोटे के तहत कराने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों की सजगता से मामला पकड़ में आ गया। मामले में विभागीय कर्मचारी ने गलती स्वीकारते हुए माफी मांग ली। कोटे में कर रहा था खेलगोरखपुर यूनिवर्सिटी में लिपिक पद पर तैनात राजकिशोर तिवारी थर्सडे को अपनी पुत्री और भतीजी के एडमिशन के लिए दीक्षा भवन पहुंचा। जहां उसने कर्मचारी पाल्य कोटे से दोनों का बीए में एडमिशन कराने की कोशिश की। वह दोनों की फीस का चालान इलाहाबाद बैंक में जमा करने ही वाला था कि मामला पकड़ में आ गया। बीए काउंसिलिंग में बैठे हिमांशु चतुर्वेदी ने इस मामले को पकड़ लिया।
रुक गया चालान मामला संज्ञान में आते ही हिमांशु चतुर्वेदी ने इलाहाबाद बैंक मैनेजर को फोन कर चालान फीस जमा करने से रोक दिया। हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि कर्मचारी पाल्य कोटे में किसी रिश्तेदार के बच्चे मान्य नहीं है।क्या है नियम- यूनिवर्सिटी का कोई कर्मचारी केवल अपने ब्ल्ड रिलेटिव (पत्नी, बेटा-बेटी) का एडमिशन कर्मचारी पाल्य कोटे के तहत करा सकता है।
क्या हुआ- कर्मचारी अपनी भतीजी का एडमिशन कर्मचारी पाल्य कोटे के तहत करवाने की फिराक में था। मामला संज्ञान में आते ही कर्मचारी को पकड़ लिया गया। उसने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। उसकी भतीजी का एडमिशन निरस्त कर दिया गया है। प्रो। अशोक श्रीवास्तव, बीए काउंसिलिंग कोआर्डिनेटर, डीडीयूजीयू