- एनसीटीई के निर्णय का अभी करना होगा इंतजार

- गोरखपुर यूनिवर्सिटी की कार्य परिषद नहीं ले सकी निर्णय

- परिषद ने लिया मूर्ति प्रकरण पर विराम लगाने का फैसला

GORAKHPUR:

फर्जी एनओसी से बीएड मान्यता हासिल करने के प्रकरण पर कार्रवाई को लेकर फैसला एक बार फिर टल गया है। इस बार फैसला टलने की वजह एनसीटीई का वह पत्र है, जो कार्य परिषद की बैठक से ठीक पहले गोरखपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन को प्राप्त हुआ। पत्र में गुरुवार को होने वाली उत्तर क्षेत्रीय समिति की उस बैठक का हवाला है, जिसमें एनसीटीई फर्जी एनओसी प्रकरण पर भी चर्चा करने वाली है। ऐसे में परिषद के सदस्यों ने एनसीटीई के निर्णय का इंतजार करना ही उचित समझा है।

फर्जीवाड़े पर रही सबकी नजर

बुधवार को आयोजित कार्य परिषद की बैठक में सबकी नजर इस फर्जीवाड़े पर फैसले को लेकर लगी थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन भी इसे लेकर तैयार से था, लेकिन अचानक किसी ने वीसी को इस प्रकरण में एनसीटीई की ओर से आए उस पत्र की जानकारी दी, जो यूनिवर्सिटी की ओर से मांगे गए दिशा-निर्देश के क्रम में आया था। फिर तो पत्र की खोजबीन शुरू हो गई। पत्र मिलते ही इस प्रकरण को लेकर सबका उत्साह ठंडा पड़ गया और बैठक का मुख्य विषय आयोजित होने से पहले दरकिनार हो गया। सदस्यों ने एक स्वर से यह कहकर मामले पर चर्चा से मना कर दिया कि अब एनसीटीई के निर्णय के बाद ही इस प्रकरण को कार्य परिषद में रखा जाए।

मूर्ति प्रकरण हो गया मुख्य मुद्दा

फर्जीवाड़े पर चर्चा टली तो बैठक का मुख्य मुद्दा मूर्ति प्रकरण हो गया। लंबी बहस के बावजूद जब यह मुद्दा किनारा पकड़ता नहीं दिखा तो सदस्यों ने निर्णय ले लिया कि इस प्रकरण पर ही विराम लगा दिया जाए। अब किसी की मूर्ति यूनिवर्सिटी परिसर में नहीं लगाई जाएगी। एक सदस्य डॉ। आरपी सिंह ने जब सभी महापुरुषों के तैल चित्र लगाने की बात परिषद के सामने रखी, तो ज्यादातर सदस्यों ने उनका समर्थन किया। इस बात पर भी चर्चा हुई कि कुछ ब्लॉक के नाम महापुरुषों के नाम पर रख दिए जाएं, लेकिन तैल चित्र और ब्लॉक के सुझाव पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका।

Posted By: Inextlive