महेवा मंडी में व्यापारियों को प्यास बुझाने के लिए नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं. लाखों रुपए का टैक्स देने वाले महेवा थोक मंडी के कारोबारी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)।इस कड़ी गर्मी में व्यापारी शुद्ध पानी के लिए परेशान है और मंडी प्रशासन उन्हें शुद्ध पानी तक मुहैया कराने में नाकाम है। पीने की पानी की बदहाल व्यवस्था के चलते व्यापारियों के साथ ही आने वाले हजारों लोगों को भी पानी खरीद कर पीना पड़ता है। आलम यह है कि महेवा में कारोबारी महीने में करीब 6 लाख रुपए सिर्फ पीने के पानी पर खर्च कर रहे हैं। तीन महीने से पानी सप्लाई बंद


महेवा मंडी व्यापारियों के लिए पेयजल की विकट समस्या खड़ी हो गई है। मंडी में स्थित नलकूप खराब पड़े हुए हैं। पिछले तीन महीने से पानी की सप्लाई बंद है। लोग इसके लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। मंडी में कहीं भी इंडिया मार्का हैंडपंप नहीं लगा है, जो लगे भी है वह खराब हैं। फल मंडी, सब्जी मंडी, गल्ला मंडी के बाहर लगे वॉटर सप्लाई के नल बंद पड़े हैं। पीने के पानी के लिए बनाए गए बेसिन जगह-जगह टूट गए हैं। बेसिन की टाइल्स उखड़ गई है। मंडी में पेयजल की कोई सुविधा नहीं नजर आ रही है। मंडी में लगभग प्रतिदिन 7000 लोगों का आना-जाना है। यहां दिल्ली, लखनऊ, नेपाल व बिहार तक के व्यापारी माल खरीदने आते हैं। बाहर से आए हुए व्यापारियों के लिए पेयजल की सुविधा नहीं होने से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।428 थोक दुकानें, पानी की किल्लतपूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी महेवा में फल-सब्जी, गल्ला और मछली का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है। मंडी में कुल 428 थोक व्यापारियों की रजिस्टर्ड दुकानें हैं। साथ ही लगभग 500 से अधिक छोटी दुकानें भी पटरियों पर लगाई जाती हैं। दुकानदारों ने बताया कि वह पीने के लिए बाहर से पानी का जार मंगवाते हैं। सभी दुकानों पर 2 से 3 जार पानी मंगवाया जाता है, जो अपने लिए ही पर्याप्त रहता है। बाहरी लोगों के लिए पानी की किल्लत बनी रहती है। दुकान तक एक जार पानी पहुंचाने के लिए 20 रुपए कीमत अदा करनी पड़ रही है। इस लिहाज से केवल थोक व्यापारियों को पानी पीने के लिए लगभग 5.5 रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं। इतना ही नहीं मंडी में आने वाले खरीदारों को पीने का पानी खरीद कर पीना पड़ता है। बेसिन के पास गंदगी का अंबार

थोक मंडी में पेयजल के लिए बेसिन बनाई गई है। जहां साफ-सफाई न होने की वजह से गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इसकी वजह से संक्रमण का खतरा बराबर बना रहता है। यहां कोई जाना तक पसंद नहीं करता है। व्यापारियों का कहना है कि सफाई के नाम पर मंडी प्रशासन केवल खानापूर्ति कर रहा है। टैक्स के बाद भी सुविधा नदारद मंडी के कुल रजिस्टर्ड थोक व्यापारी समिति को एक करोड़ 50 लाख रुपए टैक्स के रूप में जमा करते हैं। इतना ही शुल्क देने के बावजूद समिति व्यापारियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही है। मंडी समिति के अंदर लगा हुआ सप्लाई का नल भी खराब पड़ा हुआ है। साथ ही वॉटर कूलर मशीन भी काम नहीं कर रहा है। फैक्ट फिगर - 428 दुकानें आवंटित हैलगभग 81 करोड़ से अधिक का महीने में होता है कारोबार 1.50 करोड़ का टैक्स देते हैं कारोबारी थोक मंडी में पेयजल की किल्लत हैं। मंडी प्रशासन टैक्स के बदले सुविधा शुल्क लेती है फिर भी पेयजल की संकट बरकरार है। - अविनाश गुप्ता, व्यापारी मंडी में वाटर सप्लाई की व्यवस्था है लेकिन कई महीनों से बंद है। सब्जी-फल मंडी में पानी की सबसे ज्यादा किल्लत है। गर्मी में मंडी प्रशासन की पेयजल की व्यवस्था करनी चाहिए। संजय शुक्ला, अध्यक्ष

मंडी में पेजयल की व्यवस्था है लेकिन कुछ जगहों की टोटियों गायब हो गई हैं। उन्हें ठीक कराने के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है। साथ ही खराब पड़े नलों को भी जल्द दुरुस्त कराया लिया जाएगा। रजित राम, मंडी सचिव

Posted By: Inextlive