- सीएमओ ऑफिस की छत पर फेंक दी गई है जेई की वैक्सीन

- 37 साल से पूर्वाचल के लिए काल बनी है यह बीमारी

- रोज इस बीमारी से होती है किसी न किसी मां की गोद सूनी

GORAKHPUR: पूर्वाचल के मासूमों के लिए 37 साल से काल बनी बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) की दवा कितनी महत्वपूर्ण है, यह आम आदमी भी समझ सकता है। सोचिए यदि यह दवा या इस दवा का कोई जरूरी हिस्सा कहीं फेंक दी जाए तो? सोचकर ही आप हैरान रह जाएंगे। लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो जिला अस्पताल स्थित सीएमओ ऑफिस की छत पर जेई की वैक्सीन का डायलुएंट फेंका हुआ है।

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक, जेई की वैक्सीन का जो डायलुएंट यहां फेंका हुआ है, उसके बिना वैक्सीन कंप्लीट नहीं होती। यह हालत तब है जब बीआरडी में रोज इस बीमारी से किसी न किसी मां की गोद सूनी हो रही है। अब भी कितने ही मासूम मौत से लड़ रहे हैं।

तीन कॉर्टन डायलुएंट फेंका

शनिवार दोपहर दो बजे आई नेक्स्ट रिपोर्टर एक खबर के सिलसिले में सीएमओ ऑफिस पहुंचा। सीढ़ी के रास्ते छत पर पहुंचने पर एक कोने में तीन कॉर्टन दिखे। करीब से देखने पर होश उड़ गए। उसमें तो दवा की शीशीयां पड़ी हुई थीं। वह भी ऐसी दवाएं जो जेई पेशेंट्स के लिए जिंदगी जैसी है। दवाओं पर लिखा था- डायलुएंट फॉर आरएस डॉट जेईवी। पहले लगा कि हो सकता है कि दवाएं एक्सपायर्ड हो गई हो इसलिए फेंक दी गई। पढ़ने पर मैनुफैक्चरिंग डेट 2015.05.सी 20 और एक्सपायरी डेट 2018.05.02 है। यानी अभी दवा 2 साल और चल सकती है।

सीएमओ के जवाब ने चौंकाया

रिपोर्टर ने जब पड़ताल की तो पता चला कि अस्पताल में यह वैक्सीन पिछले साल ही मंगाई गई थी। इतनी गंभीर बीमारी की दवा का अहम पार्टिकल इस तरह फेंक देने के बारे में जब सीएमओ से पूछा तो उनका जवाब और भी हैरान कर देने वाला रहा। उन्हें तो इस बात की जानकारी तक नहीं थी। जब सीएमओ से कहा गया कि पूर्वाचल में जेई बीमारी कहर बरपा रही है और यहां उस बीमारी की दवाएं इस तरह फेंकी हुई हैं तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि गोरखपुर में जेई के पेशेंट कहां हैं।

मेडिकल कॉलेज में 32 जेई पेशेंट

केवल बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही जेई के 32 पेशेंट्स एडमिट हैं। वहीं रोज एक-दो पेशेंट्स की मौत हो रही है। प्रतिदिन इसकी खबरें भी अखबारों में छपती हैं। इसके बाद भी हैरान कर देने वाली बात है कि स्वास्थ्य विभाग के इतने बड़े अधिकारी को जेई पेशेंट्स की जानकारी नहीं है। सीएमओ का बयान ही काफी है यह बताने के लिए कि यहां जेई बीमारी के प्रति स्वास्थ्य महकमा कितना गंभीर है।

क्या है जेई/एईएस

जापानी इंसेफेलाइटिस के साथ एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) एक वायरस है। इस नए वायरस का पता डॉक्टर्स को 2005 में चला। जापानी इंसेफेलाइटिस क्यूलेक्स प्रजाति की मादा मच्छर के सुअर को काटने से होता है। बाद में जब वही मच्छर सुअर को काटकर बच्चे को काटता है तो उसे जेई बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं एइएस दूषित जल के सेवन से होता है।

एईएस के लिए नहीं बनी है वैक्सीन

जापानी इंसेफेलाइटिस का असर जहां मरीज के दिमाग पर होता है और उसे झटके के साथ तेज बुखार आता है। वहीं एईएस दिमाग के साथ शरीर के 100 से अधिक अंगों को प्रभावित करता है। जापानी इंसेफेलाइटिस को रोकने और उसके उपचार के लिए जहां वैक्सीन बाजार में उपलब्ध है, वहीं एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) की अब तक कोई वैक्सीन बनाई ही नहीं जा सकी है। ऐसे में यह इंट्रो वायरस कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

एसआईसी और रिपोर्टर में सवाल जवाब

सवाल- जापानी इंसेफेलाइटिस का इलाज क्या जिला अस्पताल में होता है?

सीएमओ- जापानी इंसेफेलाइटिस का खात्मा हो चुका है सिर्फ एईएस है।

सवाल-बीमारी के इलाज के लिए क्या-क्या इंतजाम है?

सीएमओ- इंसेफेलाइटिस इलाज के लिए पहले से ही मुक्कमल व्यवस्था है।

सवाल-कौन सी वैक्सीन टीकाकरण में इस्तेमाल होती है?

सीएमओ- जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका इस्तेमाल किया जाता है।

सवाल-क्या इस समय अस्पताल में वैक्सीन है?

सीएमओ-अस्पताल में काफी संख्या में वैक्सीन उपलब्ध है और ग्रामीण एरियाज में लगाए भी जा रहे हैं।

सवाल-आखिरी बार वैक्सीन कब आई थी?

सीएमओ- इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

सवाल- आपके ऑफिस की छत पर वैक्सीन किसने फेंकी हुई है?

सीएमओ- इसके बारे में जानकारी नहीं है। यदि ऐसी बात है तो पता किया जाएगा।

इस बीमारी से हर साल इतनी मौतें

वर्ष मौतें

2015 474

2014 675

2013 497

2012 608

2011 655

2010 543

2009 568

2008 515

2007 547

2006 434

(यह आंकड़ा बीआरडी मेडिकल कॉलेज का है। सिर्फ इस साल भी जनवरी से अब तक 210 पेशेंट्स की मौत हो चुकी है.)

वर्जन

जेई वैक्सीन छत पर फेंकी गई है इसकी जानकारी नहीं है। इसके नोडल अधिकारी से बात की जाएगी। अगर वैक्सीन के साथ लापरवाही की गई है तो मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ। रवींद्र कुमार, सीएमओ

Posted By: Inextlive