बिजली विभाग का बिल, बैठा रहा गोरखपुराइट्स का दिल
- विकास नगर विस्तार एरिया में ज्योति उपाध्याय के घर थमाया 273336 रुपए का बिल
- ऐसा बिल देखकर बिगड़ने लगी गोरखपुराइट्स की तबीयत GORAKHPUR : केस नं 1 अलहदादपुर के रहने वाली पुष्पावती देवी के घर में कुल तीन कमरे हैं। उन्होंने एक किलोवाट का कनेक्शन लिया है। अगस्त माह में अचानक उनके यहां खपत बढ़ गई। जिसके कारण सितंबर माह में जब अगस्त माह का बिल आया तो पूरे परिवार का दिल ही बैठ गया। करीब दो माह का बिल आया 150953 रुपए का। जब इस बिल को लेकर वह ऑफिस पहुंची तो पता चला कि उनका बिल सीडीएफ (सीलिंग डिफेक्टिव) बन गया है। उन्होंने जब इसका अप्लीकेशन बिजली विभाग को दिया तो क्लर्क ने उनका बिल सही किया। सही होकर कुल 33213 रुपए का बिल बना। केस नं 2पिछले तीन माह से बिलंदपुर के रहने गोविंद मिश्रा परिवार बिजली बिल को लेकर परेशान हैं। पहले छह माह तक बिल निकालने कोई नहीं आया। बिल न आने के कारण सितंबर माह में परिवार का एक सदस्य बिजली विभाग ऑफिस पहुंचा। वहां बिल देखते ही उसका सर चकरा गया। उसने गोविंद को बिल दिखाया जिसे देख उनकी धड़कनें बढ़ गई। बिल देखते ही गोविंद मिश्रा की दिल की गति ही बढ़ गई। छह माह का बिल 72383 रुपए का था। गोविंद मिश्रा बिजली विभाग पहुंचे तो इनका बिल भी सीडीएफ निकला। बिजली विभाग ने उनका बिल सही किया और नया बिल 27758 रुपए का बना।
यह दो केस केवल उदाहरण के लिए हैं। ऐसे दर्जनों केस डेली विभाग में आते हैं। बिजली विभाग की लापरवाही और कंज्यूमर्स की अनदेखी के कारण हर माह 15 से 20 हजार कंज्यूमर्स परेशान होकर बिजली विभाग का चक्कर लगा रहे हैं। फिर भी उनका बिल सही नहीं हो पा रहा है। बिल में गड़बड़ी के बाद चेकिंग टीम से हुई बहस में मंगलवार को शहर में एक डॉक्टर की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। हर महीने डिफेक्टिव बिल शहर में लगभग 1.44 लाख बिजली के कंज्यूमर्स हैं। करीब 70 प्रतिशत कंज्यूमर्स के यहां बिल रीडिंग कर्मचारियों और बिलिंग काउंटर से बनता है। लगभग 45 प्रतिशत लोग हर माह बिल जमा भी कर देते हैं। बिजली विभाग के आंकड़ों की मानें तो हर माह लगभग 15 से 20 हजार कंज्यूमर्स के गलत बिल उनके घर पहुंचते हैं। इसके लिए बिजली विभाग और कंज्यूमर्स, दोनों जिम्मेदार हैं। समझिए बिल की गड़बड़ी बिजली विभाग के क्लर्क अजय कुमार ने बताया कि बिल में गड़बड़ी तीन तरह की होती है।सीलिंग डिफेक्टिव(सीडीएफ)- यह बिल कंज्यूमर्स की गड़बड़ी से बनता है। अगर कंज्यूमर ने दो किलोवाट का कनेक्शन लिया है और अचानक यूसेज बढ़ जाता है तो बिल सीडीएफ बनता है।
मीटर डिफेक्टिव(आईडीएफ)- यह बिल मीटर बंद होने के कारण बनता है। जिसमें बिजली विभाग की लापरवाही होती है। विभाग जानता है कि कंज्यूमर्स का मीटर बंद है, लेकिन उसके बाद भी बिल बना देता है। रीडिंग डिफेक्टिव(आरडीएफ)- यह बिल बिजली विभाग की लापरवाही और कंज्यूमर्स की लापरवाही से बनता है। कंज्यूमर जब बिल बनवाने विभाग जाता है तो लास्ट मंथ जमा किए गए बिल से कम रीडिंग बताने पर ऐसा बिल जनरेट होता है। बिजली विभाग वाले कभी-कभी बिना घर गए ही बिल बना देते हैं, जिससे रीडिंग डिफेक्टिव बिल बन जाता है। जेई संगठन ने किया प्रदर्शनजेई और एसडीओ पर दर्ज मुकदमा वापस कराने की मांग को लेकर बुधवार को राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। बिजली विभाग के कार्यो की समीक्षा करने गोरखपुर आए पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम के तकनीकी निदेशक अजीत कुमार सिंह का घेराव भी किया। प्रदर्शन के दौरान गोरखपुर जनपद अध्यक्ष एएन सिंह ने कहा कि उच्चाधिकारी तत्काल इन दोनों इंजीनियर्स पर दर्ज मुकदमा को वापस कराने की प्रक्रिया शुरू करें नहीं तो हम लोग पूरे जिले की बिजली सप्लाई बाधित कर देंगे।