बहुत हुई रट्टन विद्या अब सीखने समझने की बारी है. अब स्कूलों में खेल-खेल में पढ़ाई होगी और छोटे बच्चे भी वहां टेक्निकल कोर्स करके अपने पैर पर खड़े होने का दम रखेंगे.


गोरखपुर (ब्यूरो)।न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 (एनईपी) तो यहां तक कहती है कि स्कूल में पढऩे वाला बच्चा अगर इंटरनेशनल गेम खेलने जा रहा है तो एग्जाम की डेट तक चेंज हो जाएगी। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने एनईपी 2020 पर वेबिनार के माध्यम से एक चर्चा आर्गनाइज की, जिसमें सिटी के एजुकेशनिस्ट ने अपना-अपना विचार शेयर किया।मंथली बनाया पाठ्यक्रम


वेबिनार में सेंट पॉल स्कूल के एग्जीक्यूटिव प्रिंसिपल अमरीश चंद्रा ने बताया कि एनईपी 2020 से एग्जाम में बड़ा बदलाव है। अब 12वीं के माक्र्स से यूनिवर्सिटी में एडमिशन नहीं मिल रहा है। वर्तमान में कट के थू्र देश की सभी यूनिवर्सिटी का एक एंट्रेंस एग्जाम होता है। एंट्रेंस में मिले माक्र्स के आधार पर ही अब हायर एजुकेशन में एडमिशन हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल में पाठ््यक्रम को तोड़कर मंथली बनाया गया है। इसके अतंर्गत एक सेशन में चार एग्जाम होते हैं, जिसके आधार पर बच्चों को अगली क्लास में प्रमोट किया जा रहा है। अच्छे नंबर पाने हैं तो बच्चे को पूरे साल पढ़ाई करनी होगी।अर्ली चाइल्ड कॉन्सेप्ट पर फोकस

सीबीएसई के डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर अजीत दीक्षित ने बताया कि एनईपी का मूल मंत्र है कि मुझे याद करने की जरूरत नहीं बल्कि समझने की जरूरत है। एनईपी के अनुसार अब अर्ली चाइल्ड कॉन्सेप्ट पर फोकस किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में 5+3+ 3+4 डिजाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है। 3 से 6 साल की एज में दिमाग का विकास होता है। इसलिए अब 3 से 6 साल पर भी उतना ही फोकस करना है, जितना कि सिक्स से 8 क्लास के बच्चों पर ध्यान दिया जाता है। हमने स्कूल में पूरा असेसमेंट का पार्ट तीन पार्ट में शिफ्ट कर दिया है। हर दस साल पर एनईपी का रिव्यू होगा

जेपी एजुकेशन एकेडमी के डायरेक्टर डॉ। सलील के श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान समय में पढ़ाई करने के बाद युवा विदेश में जॉब करने चले जा रहे हैं। जबकि एनईपी 2020 लोकल का समर्थन करती है। पहले 10+2 का पैटर्न था। अब 5+3+ 3+4 में इसे बांट दिया गया है। अब लोवर क्लासेज के बच्चों पर भी फोकस किया गया है। यानी पहले दिन से बच्चों पर ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान दिया जा रहा है। टीचर ट्रेनिंग के साथ ही अब एनईपी 2020 के अनुसार बच्चों की हेल्थ और फिटनेस पर फोकस किया जा रहा है। स्कूल के हर टीचर को साल में 50 घंटे की ट्रेनिंग अनिवार्य कर दी गई है। हर दस साल पर एनईपी का रिव्यू भी होगा। कहीं पढें बच्चा नहीं चेंज होगी किताबआर्मी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल विशाल त्रिपाठी ने बताया कि एनईपी 2020 के अनुसार अब वोकेशनल कोर्स लागू किए गए हैं। आर्मी पब्लिक स्कूल में पढऩे वाला बच्चा अगर दूसरे शहर में शिफ्ट होता है तो उसे वहां पर एडमिशन मिलेगा। किताब भी नहीं बदलनी होगी। स्कूल में बच्चों को समाज से जोडऩे के लिए भी काम हो रहा है। इसके लिए प्रोग्राम तैयार किया गया है, बच्चों को अगल बगल के रूरल एरियाज में ले जाया जाएगा। ताकि बच्चे समाज की कार्यशैली को देखें और समझें। तभी बच्चे अपने लोकल एरिया के साथ जुड़ेंगे। अब बच्चे का 360 डिग्री हॉलेस्टीक रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा। अब बच्चे की एक एक डेवलपमेंट का रिपोर्ट कार्ड बनाया जाएगा। बच्चे खुद भी अपना रिपोर्ट कार्ड तैयार करेंगे।जॉब का इंतजार नहीं करेंगे बच्चे
आरपीएम एकेडमी के डायरेक्टर अजय शाही ने बताया कि वर्तमान समय में बच्चों की परिस्थिति को समझना होगा। भारत की आबादी 140 करोड़ के करीब पहुंच गई है। इसको ध्यान में रखते हुए एनईपी बच्चों को ये सीखा रही है कि जॉब न मिले तो उन्हें क्या करना होगा। बच्चों के लिए स्किल डेवलपमेंट कोर्स तैयार किया गया है, जिससे बच्चा कभी भी अपने पैर पर खड़ा होने का सामथ्र्य रखेगा। पेरेंट्स को घर पर ये ध्यान देना होगा कि बच्चा कहां समय स्पेंड कर रहा है, वह किस वातावरण में रह रहा है, कब खेलता है क्या खेलता है, ये समझना ही होगा। छोटे बच्चे अपनी बात नहीं बता पाते हैं, उनसे बात करनी होगी। जहां छोड़ी पढ़ाई, वहीं से शुरू करेंकॅरियर काउंसलर पुर्णेन्दु शुक्ला ने बताया कि एनईपी 2020 में एक अच्छी बात ये है कि अब आप किसी वजह से हायर एजुकेशन की पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं, तो बाद में कभी भी वहीं से पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। वोकेशन कोर्स तैयार किए गए हैं। जिसकी पढ़ाई से बच्चे किसी भी समय अपने पैर पर खड़े होने में सक्षम होंगे। हर बच्चा अपना स्टार्टअप शुरू कर सकता है। एनईपी की खास बातें--हाईस्कूल में नहीं होंगे बोर्ड एग्जाम।-नई शिक्षा नीति में 5+3+ 3+4 डिजाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है।- कट के थ्रू हायर एजुकेशन के लिए यूनिवर्सिटी और कालेज में हो रहे एडमिशन।- रटने पर नहीं समझने समझाने पर दिया गया जोर।- हर दस साल पर होगा एनईपी का रिव्यू।
- स्कूलों में शुरू हो रहे वोकेशन कोर्स।- बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर दिया जा रहा ध्यान।- टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम चलेगा और 2030 में एनईपी का रिव्यू होगा।

Posted By: Inextlive