रजिस्ट्रेशन में पेंच, चालक भूके पेट
- दिल्ली में हुई घटना के बाद आरटीओ ने अनरजिस्टर्ड ई-रिक्शा पर लगाई रोक
- शहर में ई-रिक्शा वालों के पास कोई कागज न रहने से रजिस्ट्रेशन कराने में आ रहा संकट - लाखों रुपए लोन लेकर खरीदे रिक्शा अब दरवाजे पर खड़ा करने के लिए मजबूर केस नं 1 रानीडिहा के रहने वाले त्यागी यादव दो साल पहले एक लाख 20 हजार रुपए की लागत से एक ई-रिक्शा खरीदा। दो साल से इस रिक्शा की मदद से अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ ही साथ वह रिक्शा का लोन भर रहे हैं। पिछले लगभग डेढ़ माह से उनके परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने इन गाडि़यों का रजिट्रेशन अब मस्ट कर दिया है, लेकिन कागज न होने से इन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केस नं 2सोनू कुमार पिछले एक माह से बिना काम के कचहरी स्टैंड पर घूम रहे हैं। खाली सोनू दिन में घर नहीं रह पा रहे हैं, क्योंकि एक माह से उनका ई-रिक्शा ट्रैफिक पुलिस ऑफिस में रजिस्ट्रेशन न होने के कारण खड़ा है। सोनू का कहना है कि एक साल तक यह रिक्शा खूब चला हमने एक साल में 80 प्रतिशत लोन जमा भी कर दिया, लेकिन एक माह से हम लोगों के परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
GORAKHPUR: सिटी के करीब एक दर्जन से ज्यादा परिवार के सामने इन दिनों आर्थिक संकट खड़ा हो गया। बड़ी उम्मीदों के साथ चंद रुपए कमाने की आस में इन्होंने बैटरी से चलने वाला रिक्शा खरीदा। इसके लिए उन्हें बैंक से कर्ज भी लेना पड़ा। इन्हें उम्मीद थी कि इस ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार को भरण-पोषण करेंगे और उनको अपने ही शहर में एक अच्छा रोजगार मिल जाएगा, लेकिन ऐसी सोच रखने वाले तमाम ई-रिक्शा संचालकों को करारा झटका लगा है। दिल्ली में हुए एक हादसे के बाद आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने इन प्रदूषण रहित इस ई-रिक्शा पर रजिस्ट्रेशन मस्ट कर दिया। इसके लिए व्हीकल ओनर के पास सेल्स रेसिप्ट होनी चाहिए, लेकिन कोई ऑथराइज डीलर न होने की वजह से उस वक्त गाड़ी खरीदने वालों को कोई कागज नहीं मिला, जिससे उन्हें रजिस्ट्रेशन कराने में काफी दिक्कत होने लगी है। 24 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन फीसत्यागी यादव का कहना है कि पहले 1.20 लाख रुपए की लागत से गाड़ी खरीदी और 20 हजार रुपए का बैट्री लगवाई। अब आरटीओ में इसके रजिस्ट्रेशन के लिए 24 हजार रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क वसूल किया जा रहा है। त्यागी ने बताया कि सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि रोज कमाकर रोज खाने वाले हम गरीब 24 हजार रुपए कहां से लाएं। हम लोगों की स्थिति यह हो गई है कि आरटीओ की डर से गाड़ी घर पर ही खड़ी करनी पड़ रही है।
शुरू हो गई कार्रवाई छह अक्टूबर को एक शासनादेश आने के बाद आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस ने ई-रिक्शा पर कार्यवाही शुरू कर दी। जिसका भी रजिस्ट्रेशन नहीं है, उस गाड़ी को सीज कर दिया जा रहा है। इस डर से अब ई-रिक्शा ओनर अपना पेट पालने के लिए अपनी गाडि़यों को आसपास के इलाकों में ही लेकर निकल रहे हैं। इसकी वजह से उनकी मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं और उनका दो जून की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो गया है। ई-रिक्शा के फायदे - - गोरखपुर में लगने वाले जाम से निजात मिल जाती - शहर बराबर होने के कारण किसी भी एरिया में यह गाड़ी आसानी से पहुंच जाती - स्पीड अधिक न होने के कारण कोई बड़ी दुर्घटना होने की संभावना कम होती - लोगों को कम पैसे में एक अच्छा रोजगार मिल जाता - पर्यावरण को भी हानि कम होती- शहर के बाहरी एरिया में रहने वाले लोगों को भी आसानी से आने-जाने का साधन मिल जाता
पहले प्रावधान नहीं था, लेकिन शासन ने अब ई-रिक्शा को भी रजिस्ट्रेशन के दायरे में ला दिया है। इसलिए ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन और वन टाइम टैक्स जमा कराया जा रहा है। डॉ। अनिल कुमार गुप्ता, आरटीओ एनफोर्समेंट