पुलिस के बूट से टूट रही खामोशी
- मोहल्ले के लोगों ने डॉक्टर संजय से कसा किनारा
- ताला बंद कर फरार है आंदोलनकारी नेता की फैमिली GORAKHPUR : निषाद आंदोलन के मुख्य आरोपी डॉक्टर संजय का मकान सन्नाटे में डूबा है। मुकदमा दर्ज होने के बाद पूरी फैमिली ताला बंद करके फरार हो गई। छापेमारी में पुलिसवालों के बूट से सन्नाटा टूट रहा है। डॉक्टर फैमिली से मोहल्ले वालों ने किनारा कर लिया है। वेंस्डे को आई नेक्स्ट टीम डॉक्टर संजय निषाद के घर पहुंची। आसपास के लोगों ने कहा कि मोहल्ले में डॉक्टर किसी से मिलते-जुलते नहीं थे। मोहल्ले में सबको घटना की जानकारी मीडिया से मिली। संडे दोपहर बाद से पूरी फैमिली फरार है। मोहल्लेवालों से दूर रहते हैं डॉक्टर संजयपादरी बाजार पुलिस चौकी से महज दो सौ मीटर दूर संगम चौराहे पर डॉॅक्टर संजय निषाद का मकान है। मकान के अगले हिस्से में एक प्राइवेट कंपनी ने अपना ऑफिस खोला है। पीछे के हिस्से में डॉक्टर संजय और उनकी फैमिली रहती है। संडे दोपहर तक मकान में फैमिली मेंबर्स थे। दोपहर बाद अचानक सभी लोग कहीं चले गए। मकान के मेन गेट पर ताला बंद था। कंपनी के ऑफिस की तरफ से खुले छोटे गेट से टीम भीतर पहुंची। ड्राइंग रूम की जाली से झांकने पर भीतर अफरा-तफरी नजर आई। लाइट्स नहीं बुझी थी। सीलिंग फैन भी चल रहा था। हालात बता रहे थे कि सूचना मिलने पर फैमिली मेंबर्स मकान छोड़कर अचानक भागे हैं। कुछ पूछने पर पास-पड़ोस के लोगों ने जानकारी देने से मना किया। कहा कि संजय निषाद किसी से मतलब नहीं रखते हैं वह, उनकी पत्नी और बेटे यहां रहते हैं, लेकिन किसी से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
जमुना निषाद को आदर्श मानकर की पूरी तैयारी निषाद बिरादरी को आरक्षण दिलाने का आंदोलन संजय ने एक प्लान के तहत किया। पूर्वाचल में निषादों के बड़े नेता माने जाने वाले स्व। जमुना निषाद को संजय ने अपना आदर्श बनाया। इसके बाद धीरे-धीरे बड़े आंदोलन की रुपरेखा तय की। डॉक्टर के मकान में स्व। जमुना निषाद का पुराना कटआउट रखा था। इसके अलावा मकान के बाहर लगे बोर्ड पर भी जमुना निषाद की तस्वीर नजर आई। कंपनी के कर्मचारियों ने कहा कि मीडिया से ही सारी जानकारी मिल रही है। डॉक्टर से किसी का कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। सड़क पर दुकानदारों ने सिर्फ इतना बताया कि बड़ी खामोशी से खुद को निषाद समाज का अगुवा बनाने की रणनीति डॉ। संजय काफी दिनों से लगे हैं।हर ओर खामोशी, पुलिस की कदमताल
डॉक्टर संजय निषाद का मोहल्ला हो या फिर निषाद आंदोलन स्थल के आसपास आधा दर्जन से अधिक गांव। हर जगह खामोशी पसरी हुई है। रात के सन्नाटे में पुलिस की गाडि़यां और उनके बूटों की आवाज से खामोशी टूट रही है। कार्रवाई के डर से अधिकांश लोगों ने गांव छोड़ दिया है। पशुओं की देखभाल के लिए सिर्फ महिलाएं बची हैं। आरोप है कि छापेमारी के दौरान पुलिस उनके साथ बदसलूकी कर रही है। पुलिस कार्रवाई से लोग भयभीत हैं। सबको मुकदमे में जेल जाने का डर सता रहा है। किसी भी तरह से पुलिस लोगों को अरेस्ट की कोशिश में लगी है।
नॉट रीचेबल हुए सभी मोबाइल नंबर्स निषाद आंदोलन में मुख्य आरोपी डॉ। संजय निषाद के सभी मोबाइल नंबर्स से संपर्क नहीं हो रहा। सभी नंबर्स या तो स्विच ऑफ हैं या फिर उनको नॉट रिचेबल कर दिया गया है। डॉक्टर के बेहद करीबियों की तलाश में पुलिस जुटी है। पुलिस का मानना है कि आंदोलन स्थल के आसपास निषाद बहुल गांव हैं, इसी वजह से आंदोलन के लिए मगहर और कसरवल को चुना गया।