संभल जाइए, वर्ना बिन पानी हो जाएगा सब सून
- लगातार गिर रहा है पानी का स्तर
- गर्मियों में अक्सर प्रत्येक सप्ताह होता है पानी के लिए हंगामा - गिरते पानी के स्तर पर नगर निगम के जिम्मेदार भी अंजानGORAKHPUR: शहर में आने वाले समय में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ेगा। पिछले एक दशक में शहर का भू-जल स्तर दो गुने से नीचे चला गया है। इस बीच आबादी बढ़ी है और पानी की मांग भी बढ़ी है। गिरते जल स्तर के बावजूद भी हैंडपंप की गहराई वही है। हालांकि शहर के गिरते जल स्तर को पकड़ने के लिए नगर निगम ने बड़े और छोटे ट्यूबवेलों की गहराई को बढ़ाया है, लेकिन पिछले एक दशक में भू-जल स्तर लगातार गिरता गया है। 2006 में जिस एरिया में 380 फीट पर लोगों को शुद्ध पानी मिल जाता था, आज उस लेवल पर दूषित पानी की बात कौन करे पानी तक नसीब नहीं होने वाली है।
जनसंख्या दोगुनी, जल स्तर दो गुनानगर निगम की कागजी जनसंख्या भले ही पिछले दस साल में नहीं बढ़ी है, लेकिन हकीकत में पिछले दस साल में नगर निगम सीमा के अंदर जनसंख्या दो गुनी हुई है। जलकल विभाग के जेई अष्टभुजा सिंह का कहना है कि 2005 में नगर निगम सीमा की वास्तविक जनसंख्या सात से आठ लाख थी। उस समय शहर में जो ट्यूबवेल लगते थे, वह 380 से 400 फीट पर लगते थे, लेकिन वर्तमान में शहर की वास्तविक जनसंख्या लगभग 13 लाख है और भू-जल स्तर 600 को पार कर गया है। जलकल के एक और जेई अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि शहर में जो भी ट्यूबवेल 600 से नीचे लगे हुए हैं वह पानी को दे रहे हैं, लेकिन केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। जिस पानी की टंकी को भरने में कभी ट्यूबवेल को एक से दो घंटे का समय लगता था आज गिरे हुए भू-जल स्तर के कारण चार से पांच घंटे का समय लग जा रहा है।
अभी भी जल संकट में ही शहरनगर निगम पानी सप्लाई के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो अभी ही शहर जल संकट का सामना कर रहा है। शहर की पानी सप्लाई व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई है। शहर के 68 प्रतिशत स्तर में जलकल द्वारा पानी सप्लाई होती है तो 32 प्रतिशत एरिया जहां पानी सप्लाई की व्यवस्था नहीं है, वहां इंडियामार्का हैंडपंप से पानी सप्लाई हो रही है। हकीकत यह है कि शहर में अधिकांश ट्यूबवेल 600 फीट से अधिक गहराई के होने पर पानी दे रहे हैं। ऐसे में 110 फीट वाले इंडियामार्का हैंडपंप कैसे पानी देंगे, भगवान ही जानते हैं? शहर के जिन एरिया में पाइप लाइन नहीं है, उन एरिया में पानी आपूर्ति के लिए जलकल 3975 हैंडपंप लगाए हुए है। वहीं जलकल के एक रिपोर्ट की मानें तो शहर में लगे लगभग 1000 हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। 500 हैंडपंप ऐसे हैं जिनको जल निगम ने लालचिन्ह लगाकर दूषित घोषित कर दिया है।
मांग और सप्लाई शहर के 68 प्रतिशत एरिया में पाइप लाइन और 32 प्रतिशत एरिया में इंडियामार्का हैंडपंप से पानी सप्लाई पेयजल उत्पादन (बडे़ और छोटे नलकूप)- 90 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) मानक के अनुसार- 135 एलपीसीडी (लीटर प्रति कैपिटा पर डे) कुल पेयजल की आवश्यकता (मांग)- 135 एलपीसीडी मांग की कमी(शार्ट फाल)- 41.3 एलपीसीडी पेयजल की उपलब्धता प्रति व्यक्ति प्रतिदिन- 93.70 एलपीसीडी पिछले दस साल में लगातार गिरा है जल स्तर वर्ष जल स्तर बडे़ ट्यूबवेल मिनी ट्यूबवेल इंडियामार्का हैंडपंप2007 400 फीट 350 फीट 110 फीट
2008 400 फीट 360 फीट 110 फीट 2009 410 फीट 370 फीट 110 फीट 2010 420 फीट 380 फीट 110 फीट2011 450 फीट 380 फीट 110 फीट
2012 480 फीट 380 फीट 110 फीट 2013 500 फीट 390 फीट 110 फीट 2014 550 फीट 400 फीट 110 फीट 2015 600 फीट 450 फीट 110 फीट नोट- यह आंकड़ें शहर में पानी सप्लाई व्यवस्था को देखने वाली संस्था जलकल की है। 2016 में अभी तक एक भी ट्यूबवेल लगे तो नहीं है, लेकिन जिन ट्यूबवेलों की स्वीकृत मिली है, उनका लेवल 620 फीट से अधिक का है।