शौक में कोरोना कोरोना की जांच, डॉक्टर्स परेशान
- कोरोना की जांच के लिए प्रतिदिन 35 से 40 लोग बिना किसी बीमारी के पहुंच रहे जांच कराने
- कोरोना जांच के लिए पहुंच रहे लोगों की करवाई जा रही है अलग से कॉउंसिलिंग - सिमटोमेटिक केस में मरीजों की हो रही जांच - जांच के लिए पहुंच रहे लोगों को किया जाता है वापस GORAKHPUR:डॉक्टर साहब मेरा कोरोना का जांच कर दीजिए। क्यों आपको क्या दिक्कत है? सर कुछ प्राब्लम तो नहीं है। लेकिन पड़ोसी ने कोरोना की जांच करवाई है और फ्री में हो रहा है। इसलिए चेक करवाने चले आए। यह नजारा इन दिनों जिला अस्पताल में खूब देखने को मिल रहे हैं। ओपीडी में करीब 30-35 ऐसे लोग शौकिया तौर पर डेली कोरोना की जांच कराने आ रहे हैं। जिन्हें न तो बुखार है, ना ही किसी तरह का कोई सिंप्टम है। बस किसी पड़ोसी ने फ्री में कोरोना की जांच करवा लिया तो वो भी चले आए हैं। यह हम नहीं बल्कि जिला अस्पताल के डॉक्टर्स कह रहे हैं।
560 की हुई ओपीडीबता दें, गोरखपुर जिले में कोरोना के 12 हजार से अधिक केसेज हो चुके हैं। वहीं जिला अस्पताल में 560 मरीजों का शुक्रवार को इलाज किया गया। जो सामान्य बीमारियों से जूझ रहे थे। वहीं जो इमरजेंसी में गंभीर मरीज हैं। उन मरीजों का जिला अस्पताल के डॉक्टर कोरोना की जांच के बाद ही उनका इलाज कर रहे हैं। लेकिन सामान्य ओपीडी के बीच ऐसे लोग डॉक्टर के पास कोरोना की जांच के लिए नहीं आ रहे हैं। जिन्हें कोई बीमारी ही नहीं है। लेकिन कोरोना की जांच चूंकि मुफ्त में हो रही है तो वह कोरोना की जांच करवा रहे हैं। वहीं मजे की बात यह है कि एक मरीज ने कोरोना की जांच करवाई तो वह पहले निगेटिव आया। दो दिन बाद फिर करवाया तो वह पॉजिटिव आ गया।
जो बीमार हो या फिर लक्षण हो तो कराएं जांचकोरोना प्रभारी डॉ। राजेश कुमार बताते हैं कि कोई ऐसा दिन नहीं है जिस दिन बिना सिंप्टम वाले लोग भी कोरोना जांच के लिए न आ जाएं। ऐसे लोगों को समझाया जाता है कि जो बीमार हैं। वह ही जांच करवाए या फिर डॉक्टर से दिखाएं। बेवजह कोरोना की जांच करवा कर अपना और डॉक्टर का समय नष्ट न करें। कई बार ऐसा भी होता है जो जरूरतमंद होता है। उसकी सेम डेट में जांच नहीं हो पाती है। उसे अगले दिन आना पड़ता है। ऐसे में जो बीमार हो वे ही अगर कोरोना की जांच करवाएं तो बेहतर होगा।
फैक्ट फीगर डेली ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या - 500-750 बिना मरीज वाले - 35-40 इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या - 10-15 वर्जन जिला अस्तपाल में कुछ पेशेंट शौकिया भी आ जाते हैं। उन्हें समझाकर वापस भेजा जाता है। बहुत जिद्द करते हैं, तो उनकी जांच कराई जाती है। डॉ। राजेश कुमार, कोरोना प्रभारी, जिला अस्पताल