अपराधियों की मस्ती का अड्डा बना गोरखपुर जेल
-डीएम-एसएसपी के औचक निरीक्षण में खुली जेल प्रशासन की कलई
- सलाखों के भीतर शातिरों के ऐशो आराम की चीजें हुई बरामद GORAKHPUR: जेल में मौज मस्ती नहीं होती। जेल में कोई मोबाइल यूज नहीं करता। जेल में कोई गलत काम नहीं होता। जेल प्रशासन के अफसर कुछ इसी तरह के दावे हमेशा करते हैं। लेकिन उनके झूठे दावों की पोल ट्यूज्डे मार्निग खुल गई। मंडलीय कारागार गोरखपुर में अचानक पड़े छापे से बंदी ही नहीं, जेल के कर्मचारी भी सकते में आ गए। पुलिस-प्रशासन की चतुराई से किसी को संभलने का मौका नहीं मिला तो हकीकत सामने आई। गोरखपुर जेल बदमाशों की मौज मस्ती का अड्डा बना है। सलाखों के भीतर शातिर ऐशो आराम भोग रहे हैं। जेल में बजती है घंटी, खुल गई पोलचिलुआताल एरिया के कुसहरा का देवकी नंदन उर्फ चंदन सिंह बाराबंकी जेल में बंद है। लूट, हत्या, हत्या के प्रयास सहित कई मुकदमे उस पर चल रहे हैं। एक मामले में उसे सजा भी हो चुकी है। लेकिन जेल में रहकर वह पूर्वाचल में डॉक्टर्स, बिजनेसमैन से रंगदारी मांग रहा है। गाजीपुर, वाराणसी, आजमगढ़ सहित कई जिलों में दहशत फैलाने वाला श्यामबाबू पासी जेल में है। गोरखपुर जेल में रहने के दौरान रंगदारी मांगने, सुपारी किलिंग कराने की शिकायत पर उसे महराजगंज शिफ्ट किया गया। जेल में मोबाइल यूज करने का दावा पुलिस करती रही। लेकिन जेल के अफसर इसे नकारते रहे। रुटीन चेकअप में भी कभी ऐसा मामला पकड़ में नहीं आ सका। लेकिन ट्यूज्डे को अचानक हुई कार्रवाई में सारा खेल सामने आ गया।
अचानक पहुंचे अफसर तो मच गया हड़कंप ट्यूज्डे मार्निग डीएम रंजन कुमार और एसएसपी रामकृष्ण भारद्वाज ने कानाफूसी की। मार्निग वॉक के बहाने जेल पहुंचे और तब मातहतों को कॉल किया। अचानक जेल में हुई छापेमारी से अफरातफरी मच गई। बैरकों में बंदियों की भगदड़ तो कैंपस में बंदी रक्षकों की दौड़भाग से अफसरों का शक गहरा गया। बैरक में तलाशी के दौरान अफसर भी हैरान हो गए। सलाखों के भीतर कई ऐसे सामान मिले जो आसानी से नहीं जा सकते हैं। जेल की बैरक नंबर दो, सात और आठ में प्रतिबंधित चीजें मिलीं। मिट्टी के नीचे पालीथिन में छिपाकर रखे गए सामान भी मिले। इन सामानों की हुई बरामदगी -सात मोबाइल हैंडसेट -छह मोबाइल बैट्री -छह मोबाइल चार्जर -विभिन्न सेलुलर कंपनियों के आठ सिम -क्क् लाइटर, चार पैकेट सिगरेट, दो बंडल बीड़ी, गुलेल, शराब की खाली बोतलें-क्8 भांग के गोले, पेन ड्राइव, सात कैंची, सब्जी काटने वाले चाकू सहित क्क् चाकू
पौधों के नीचे नहीं छिपा पाए सामान अचानक हुई कार्रवाई से बैरकों में अफरातफरी मच गई। बंदी रक्षकों और बंदियों को इतना मौका भी नहीं मिल सका कि वे सामान छिपा सके। गमलों की मिट्टी में, पौधों के नीचे, जमीन में गड्ढे खोदकर सामान रखे जाते हैं। इसकी हकीकत सामने आई तो जेल प्रशासन को सांप सूंघ गया। सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर साढ़े क्0 बजे तक चली कार्रवाई में ढेरों सामान बरामद हुआ, लेकिन बंदियों ने चालाकी दिखाते हुए कुछ सामान नालियों में फेंक दिया। सफाई कर्मचारियों के न होने से नालियों से सामान नहीं निकाला जा सका। गेट पर चेकिंग, बैरक में सीसीटीवी कैमरेजेल के भीतर बंदियों को सुविधाएं कहां से मिल रहीं। इस सवाल का जवाब देने में जेल प्रशासन कतरा रहा है। जेल में जाने के पहले सघन तलाशी ली जाती है। बंदी हों या मुलाकाती, सबकी जांच पड़ताल की जाती है। इसके साथ ही बैरकों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं। सीनियर सुपरिटेंडेंट के दफ्तर में उसकी निगरानी की जाती है। बंदियों के पास सामान मिलने के मामले में जेल अफसर बंदी रक्षकों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि जिन बैरकों में सामान मिले हैं, उनमें विनोद उपाध्याय, सत्यव्रत राय सहित कई नामचीन बदमाश बंद हैं।
बंदी रक्षकों पर गिरेगी जांच, क्ख् घंटे हवाले रहती है जेल जेल प्रशासन के अफसरों का कहना है कि बंदी रक्षक रुपए के लिए कुछ भी कर सकते हैं। शाम सात बजे से लेकर सुबह छह बजे तक जेल बंदी रक्षकों के जिम्मे होती है। इस दौरान मौका देखकर बंदी रक्षक और प्रधान बंदी रक्षक सामान को भीतर पहुंचा देते हैं। सामान मिलने वाली बैरकों के बंदी रक्षक, प्रधान बंदी रक्षकों पर कार्रवाई होगी। उनके खिलाफ फर्द सीजर रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी। मामले का खुलासा होने पर जेल प्रशासन कार्रवाई में जुट गया।